अभी 17 किलोमीटर पर सफर कर सकेंगे 8 माह बाद ही, ट्रायल रन के लिए आज निगमायुक्त ने किया प्रायोरिटी कॉरिडोर का दौरा
इंदौर। भोपाल और इंदौर मेट्रो प्रोजेक्ट (Bhopal and Indore Metro Project) में अब ट्रायल रन (Trail run) की तैयारी की जा रही है ताकि विधानसभा चुनाव में इसका लाभ लिया जा सके। आज निगमायुक्त श्रीमती हर्षिका सिंह ने साढ़े 5 किलोमीटर के प्रायोरिटी कॉरिडोर का दौरा भी किया, जहां पर ट्रायल रन अगले माह होना है। इसी माह के अंत तक तीन कोच की मेट्रो ट्रेन भी इंदौर पहुंच जाएगी। संभवत: 14 सितम्बर को मुख्यमंत्री द्वारा ट्रायल रन किया जाएगा, तो दूसरी तरफ 26 अगस्त को भोपाल में मेट्रो मॉडल कोच का उदाहरण और अनावरण भी मुख्यमंत्री द्वारा किया जाना है। इंदौर मेट्रो का पहला चरण, जो कि साढ़े 32 किलोमीटर का है, वह 2026 तक यानी तीन साल में पूरा होगा। वहीं इसमें से 17 किलोमीटर का हिस्सा अवश्य अगले साल अप्रैल-मई तक शुरू कर दिए जाने की घोषणा की गई है।
भोपाल के स्मार्ट सिटी पार्क में मेट्रो मॉडल कोच का उद्घाटन मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान द्वारा 26 अगस्त को किया जाएगा। दूसरी तरफ इंदौर मेट्रो के लिए तीन कोच की एक ट्रेन बड़ोदरा से दो दिन पहले रवाना की जा चुकी है, जो 28 से 30 अगस्त तक पहुंच जाएगी, जिसे गांधी नगर डिपो पर अनलोड किया जाएगा और इसी ट्रेन के जरिए साढ़े 5 किलोमीटर क प्रायोरिटी कॉरिडोर पर ट्रायल रन लिया जाना है, जिसकी तैयारी जोर-शोर से चल रही है। पिछले दिनों मध्यप्रदेश मेट्रो रेल कापोर्रेशन के एमडी मनीष सिंह ने दौरा और समीक्षा भी की थी। भोपाल में ट्रायल रन 20 सितम्बर को रखा गया है। दूसरी तरफ रोबोट चौराहा से हाईकोर्ट तक एलिवेटेड कॉरिडोर के टेंडर भी बुलाए जा चुके हैं, जिसकी तकनीकी निविदा खुल गई है और अब वित्तीय निविदा खोली जानी है। इस कॉरिडोर की अनुमानित लागत 395 करोड़ रुपए आंकी गई है। हालांकि निविदा कितनी दर की प्राप्त होती है ये तो आने वाले दिनों में पता चलेगा। अभी एयरपोर्ट से लेकर गांधी नगर और वहां से सुपर कॉरिडोर होते हुए एमआर-10, विजय नगर, रेडिसन से रोबोट चौराहा तक 17 किलोमीटर के एलिवेटेड कॉरिडोर का काम चल रहा है। इस कॉरिडोर पर ही आठ माह बाद व्यवसायिक संचालन मेट्रो का शुरू हो जाएगा। यानी यात्री सफर कर सकेंगे, लेकिन मेट्रो के पहले चरण का लाभ 2026 में ही मिलेगा, जब तीन साल की समयावधि में साढ़े 32 किलोमीटर का पहला चरण पूरा होगा। अभी रोबोट चौराहा से हाईकोर्ट तक एलिवेटेड कॉरिडोर ही बनेगा। वहीं हाईकोर्ट से लेकर बड़ा गणपति के आगे होते हुए एयरपोर्ट तक मेट्रो अंडरग्राउंड रहेगी। लगभग 9 किलोमीटर के इस अंडरग्राउंड हिसेस का अभी तकनीकी परीक्षण चल रहा है और इसके भी टेंडर जल्द बुलाए जाएंगे, ताकि हाईकोर्ट परिसर के भीतर से अंडरग्राउंड काम शुरू किया जा सके। पिछले दिनों हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के समक्ष भी इसका प्रजेंटेशन एमडी द्वारा दिया जा चुका है और हाईकोर्ट से सहमति भी मिल गई है। प्रायोरिटी कॉरिडोर में आने वाले स्टेशनों को भी अंतिम रूप दिया जा रहा है। आज निगमायुक्त ने मेट्रो अधिकारियों के साथ इस प्रायोरिटी कॉरिडोर का दौरा भी किया।
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