मुफ्त के दो इंजेक्शनों से ब्लैक फंगस पीडि़ता की खुलने लगी आंख
इंदौर। जहां निजी अस्पतालों में ब्लैक फंगस (Black fungus) के इलाज में लाखों रुपए खर्च हो रहे हैं, वहीं एमवाय अस्पताल (MY Hospital) में यह इलाज मुफ्त में मिल रहा है। लेकिन ऐसे संक्रमण से पीडि़त मरीजों की पीड़ा है कि उन्हें कोरोना मरीजों ( Corona Patients) के बीच रखा जा रहा है। मुफ्त के इलाज के बीच एक ब्लैक फंगस (Black fungus) से पीडि़त महिला की जल्दी रिकवरी भी हुई है। भर्ती कराते समय उसकी आंख नहीं खुल रही थी, अब उसकी आंख खुलने लग गई।
एमवाय परिसर में कैंसर अस्पताल के पीछे बने कोरोना वार्ड में सनावदिया की रहने वाली 36 वर्षीय रचना पति भारत सोलंकी भर्ती है। रचना को बुखार आने के चलते 5 मई को चोइथराम अस्पताल में दिखाया गया। इसके बाद डॉक्टरों ने जांच की तो कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई, लेकिन ऑक्सीजन लेवल बेहतर होने और संक्रमण की दर भी कम होने के चलते उन्हें घर पर ही रहने की सलाह दी। घर पर क्वारेंटाइन रचना की तबीयत नॉर्मल होने लगी, लेकिन 11 दिन बाद आंख में दर्द होने लगा तो वापस चोइथराम अस्पताल लेकर पहुंचे। भाई जीवन का कहना है कि दोबारा जांचें कराईं और फिर बेड नहीं होने के चलते एमवाय अस्पताल रैफर किया गया। धीरे-धीरे आंख में स्वैलिंग आने लगी और धुंधला दिखाई देने लगा। एमवाय के कोरोना वार्ड में ब्लैक फंगस (Black fungus) का इलाज शुरू किया और अब उसकी आंख से स्वैलिंग भी कम हो गई और दिखने में भी कोई दिक्कत नहीं आ रही है। इस वार्ड में करीब 13 मरीज भर्ती हैं, जो हर दिन कम-ज्यादा होते रहते हैं। इनमें सभी कोरोना के मरीज ही हैं। रचना के घर वालों का कहना है कि उसकी कोरोना रिपोर्ट तो नेगेटिव आ गई, लेकिन डर इस बात का है कि कोरोना मरीजों के बीच कहीं दोबारा कोरोना न हो जाए। अभी तक रचना के इलाज में एमवाय अस्पताल में एक भी रुपए का खर्च नहीं आया है।
स्टेराइड नहीं लिया, फिर भी फंगस से पीडि़त
डॉक्टरों का कहना है कि ज्यादातर मामलों में ठीक हुए वे कोरोना मरीज ब्लैक फंगस का शिकार हो रहे हैं, जिनका ऑक्सीजन लेवल कम रहा था और इलाज के दौरान स्टेराइड दवाइयां दी गई थीं, लेकिन रचना के साथ ऐसा नहीं हुआ था। उसका ऑक्सीजन लेवल भी शुरू से आखिरी तक सामान्य रहा था और डॉक्टर ने उसे एंटीबायोटिक व नॉर्मल दवाइयां ही दी थीं।
इंजेक्शन के बाद कम हुई सूजन
रचना को जब एमवाय अस्पताल में भर्ती कराया गया था तो उसकी आंख नहीं खुल रही थी, लेकिन दो इंजेक्शन के बाद न सिर्फ आंख की सूजन कम हो गई, बल्कि रचना की आंख भी खुलने लगी है।