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दिल्ली से लेकर अनुच्छेद 370 तक… Year 2023 में SC के ये फैसले रहे यादगार

नई दिल्ली (New Delhi)। साल 2023 (Year Ender 2023) अब खत्म होने वाला है। इस साल भारत (India) के हिस्से में न केवल सेना (Army), अंतरिक्ष (Space), विज्ञान (Science), मेडिकल (Medical) से जुडी उपलब्धियां आईं, बल्कि देश की सर्वोच्च अदालत (Supreme court of the country) ने कई ऐसे फैसले दिए, जिससे सालों से चल रहे विवाद समाप्त हो गए और जिनकी खूब चर्चा हुई। इनमें चाहें हम अनुच्छेद 370 (Article 370) की संवैधानिक वैधता (constitutional validity) से जुड़े सुप्रीम कोर्ट (Supreme court ) के फैसले की बात करें या जल्लीकट्टू पर आए फैसले की या फिर समलैंगिक विवाह को लेकर आए फैसले की। इस साल सुप्रीम कोर्ट ने कई ऐसे महत्वपूर्ण मामलों को निपटाया। आज हम आपको बताएंगे कि इस साल सुप्रीम कोर्ट ने कौन-कौन से बड़े फैसले दिए और कितने मामले निपटाए।


देश की सर्वोच्च अदालत है सुप्रीम कोर्ट
देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट है। सुप्रीम कोर्ट की स्थापना संविधान के अनुच्छेद 124 के तहत स्थापित की गई थी। शीर्ष अदालत के पास कानूनों की व्याख्या करने और उन पर निर्णय देने की शक्ति है। इतना ही नहीं, इसके पास उच्च न्यायालयों और अन्य सभी न्यायालयों के निर्णयों की भी समीक्षा करने की भी ताकत है। सुप्रीम कोर्ट नागरिकों के मूल अधिकारों की रक्षा करने के लिए भी जिम्मेदार है।

इन महत्वपूर्ण मामलों में आया ‘सुप्रीम’ फैसला
इस साल कानूनी रूप से सुप्रीम कोर्ट के जिस फैसले को हमेशा याद रखा जाएगा, वह जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को खत्म करने के केंद्र के फैसले को मंजूरी देने वाले ऐतिहासिक फैसले से जुड़ा है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के फैसले को वैध ठहराया। शीर्ष कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि जम्मू कश्मीर के पास भारत में विलय के बाद आंतरिक संप्रभुता का अधिकार नहीं है।

इसके अलावा, अक्तूबर माह में शीर्ष कोर्ट ने समलैंगिक जोड़े के विवाह पर भी ऐतिहासिक फैसला दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक विवाह को कानूनी तौर पर वैधता देने से इनकार कर दिया था। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने 3-2 के बहुमत वाले अपने फैसले में कहा था कि इस तरह की अनुमति सिर्फ संसद के जरिए कानून बनाकर ही दी जा सकती है।

इस साल शीर्ष कोर्ट ने चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति को लेकर भी बड़ा और अहम फैसला सुनाया था। शीर्ष कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने मार्च में ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा था कि मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति एक पैनल के जरिए की जाएगी। इस पैनल में प्रधानमंत्री, सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष (सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता) को शामिल किया जाएगा।

इस साल तमिलनाडु के पारंपरिक जल्लीकट्टू खेल को अनुमति देने वाले कानून की वैधता पर भी सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई पूरी करते हुए फैसला सुनाया था। मई में सुनाए गए इस फैसले में कोर्ट ने इसे कानूनन वैध करार दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा था कि राज्य सरकार के नए कानून में पशु क्रूरता के हर विषय को घ्यान में रखा गया है।

इसके साथ ही इस साल सुप्रीम कोर्ट ने तलाक पर भी अहम फैसला दिया। अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में शीर्ष कोर्ट ने आपसी सहमति से तलाक के लिए छह महीने के अनिवार्य वेटिंग पीरियड को खत्म कर दिया था। संविधान पीठ ने अपने फैसले में कहा था कि अगर पति-पत्नी के बीच सुलह की कोई गुंजाइश न बची हो, ऐसे में अदालत संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपने विशेषाधिकार का प्रयोग करते हुए तलाक को तत्काल मंजूरी दे सकता है।

इसके अलावा, शीर्ष कोर्ट ने साल 2023 में मुद्रांकित दस्तावेजों और उनकी स्वीकार्यता से संबंधित मध्यस्थता मामले, सामान्य लाइसेंस पर भारी मोटर वाहन चलाने, सेवाओं पर नियंत्रण पर दिल्ली सरकार और केंद्र के बीच विवाद का निपटारा, महाराष्ट्र विधानसभा में शिवसेना के दोनों गुटों जैसे अन्य महत्वपूर्ण मामलों पर विधिवत सुनवाई की और फैसले भी सुनाए गए।

लंबित मामलों को लेकर उठाए बड़े कदम
सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामलों को लेकर अक्सर चिंता जाहिर की जाती रही है। लेकिन इस साल सुप्रीम कोर्ट ने इस दिशा में भी बड़े कदम उठाए। सुप्रीम कोर्ट ने साल 2023 में अभूतपूर्व 52,191 मामलों का निपटारा किया है। ये साल 2017 में ICMIS (इंटीग्रेटेड केस मैनेजमेंट इंफॉर्मेशन सिस्टम) लागू होने के बाद से संख्या की दृष्टि से निपटान सबसे अधिक है। इस साल सर्वोच्च न्यायालय 1 जनवरी, 2023 से 15 दिसंबर, 2023 तक 52191 मामलों का निपटारा किया। इनमें 45,642 विविध मामले और लगभग 6,549 नियमित मामले शामिल हैं। सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक,वर्ष 2023 में कुल 49,191 मामले पंजीकृत किए गए। वहीं, इसकी तुलना में निपटाए जाने वाले मामलों की संख्या 3000 ज्यादा है।

2017 में ICMIS लागू होने के बाद सबसे ज्यादा मामले निपटाए गए
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी बताया कि साल 2017 में ICMIS (इंटीग्रेटेड केस मैनेजमेंट इंफॉर्मेशन सिस्टम) लागू होने के बाद से इस साल संख्यात्मक रूप से सबसे ज्यादा मामले निपटाए गए हैं। इस साल मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने मामलों को दाखिल करने और सूचीबद्ध करने के लिए आवश्यक समय-सीमा को सुव्यवस्थित किया। उन्होंने मामलों को सूचीबद्ध करने की प्रक्रिया में एक आदर्श बदलाव करते हुए मामले के सत्यापन के बाद सूचीबद्ध होने से लेकर दाखिल करने तक का समय 10 दिनों से घटाकर 7 से 5 दिन कर दिया।

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