विदेश व्‍यापार

G-7 देशों ने रूसी हीरे पर लगाया प्रतिबंध, भारत में 10 लाख नौकिरियों पर संकट

नई दिल्ली (New Delhi) । रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine War) इस मोड़ पर पहुंच गया है कि इसका सीधा असर पूरी दुनिया में दिखने लगा है। पश्चिमी देशों के साथ-साथ भारत भी अछूता नहीं है। एक बार फिर भारत में 10 लाख लोगों के रोजगार पर खतरा (threat to employment) मंडराने लगा है क्योंकि G7 देशों (G20) ने रूस में खनन किए गए हीरों पर नए प्रतिबंध लगा दिए हैं। भारत में हीरों का कारोबार दुनिया में उपलब्ध 10 में से 9 हीरों को काटने और पॉलिश करने का काम करता है और अलरोसा से रूसी हीरे का इम्पोर्ट करता है।

बता दें कि यूक्रेन के ऊपर रूसी सेना के हमले की नाटो समेत ज्यादातर देशों ने लगातार कड़ी निंदा की है। इसे लेकर मॉस्को पर कई तरह के प्रतिबंध भी लगाए गए हैं। यूरोपीय देशों ने तो रूस को ऊर्जा संकट में डालने की दिशा में कदम उठाए हैं। रूस से व्यापार पर पाबंदियों के बावजूद भारत ने उससे कच्चा तेल खरीदना जारी रखा।
भारतीय रिफाइनर्स ने रूसी कच्चे तेल को छूट पर खरीदकर और उससे निकाले गए डीजल को यूरोपीय देशों को बेचा। इस नीति से उन्हें काफी फायदा हुआ। हालांकि, रूस के साथ व्यापार अब एक सेक्टर को महंगा पड़ सकता है। रूस से हीरे के व्यापार पर प्रतिबंध भारत में 10 लाख से अधिक लोगों को बेरोजगार कर सकता है।



रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया के करीब 90 प्रतिशत हीरों की कटिंग और पॉलिशिंग भारत में की जाती है। इनमें रूसी हीरे भी शामिल हैं। भारत रूस के अलरोसा से हीरे आयात करता रहा है। जानना दिलचस्प है कि दुनिया के कुल हीरे का लगभग 30 प्रतिशत हीरे का उत्पादन अलरोसा में ही होता है। आयातित हीरों का भारतीय डायमंड कंपनियां कटिंग और पॉलिशिंग करती हैं। इसके बाद इन्हें जी-7 देशों को निर्यात किया जाता है। जी-7 देशों की ओर से रूस पर नए प्रतिबंध की घोषणा के बाद जेम एंड ज्वैलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (GJEPC) के चेयरमैन विपुल शाह ने चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि अगर रूस पर यह पाबंदी जारी रही तो भारत के 10 लाख लोगों के रोजगार पर तलवार लटक सकती है।

यूक्रेन युद्ध को लेकर रूस पर लगी आर्थिक पाबंदियों के चलते रूसी राजस्व में करीब 50 प्रतिशत की गिरावट आई। रूस ने हीरा निर्यात को बढ़ावा देकर इसकी भरपाई करने की कोशिश की। मीडिया रिपोर्ट की मानें तो रूस ने 2021 में हीरा निर्यात से करीब 4 अरब डॉलर कमाए। मगर, मॉस्को का यह दांव भी अब बेअसर हो सकता है। इस तरह के कयास पहले से लगाए जा रहे थे कि अमेरिका और यूरोपीय यूनियन रूसी हीरों पर कड़े प्रतिबंध लगा सकते हैं। अब जब इन पाबंदियों का ऐलान हो चुका है तो चिंता भारतीय कामकारों की भी बढ़ गई है।

बता दें कि हाल ही में जापान के हिरोशिमा में जी-7 देशों की मीटिंग के बाद एक संयुक्त बयान जारी हुआ। इसमें कहा गया, ‘रूसी राजस्व को कम करने के लिए हम रूस में खनन किए गए हीरों या उत्पादित हीरों के व्यापार और इस्तेमाल को प्रतिबंधित करने वाले हैं। इसे लेकर हमारी ओर से कदम उठाए गए हैं। यह पाबंदी प्रभावी रूप से लागू हो, इसके लिए ट्रेसिंग टेक्नोलॉजी यूज की जाएगी।

गौरतलब है कि जिस दिन जी-7 देशों ने रूस के खिलाफ इन प्रतिबंधों का ऐलान किया, उसी दिन ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने भी एक बड़ा फैसला लिया। उन्होंने रूसी हीरों के आयात पर बैन लगाने की घोषणा कर दी। अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, न्यूजीलैंड और बहमास ने अप्रैल 2022 में ही रूसी डायमंड माइनर कंपनी अलरोसा के साथ व्यापार रोक दिया था।

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