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जनरल बिपिन रावत का निधन कश्मीर के लिए बड़ी क्षति, लोगों ने खोया अपना खास दोस्त और शुभचिंतक


नई दिल्ली । तमिलनाडु (Tamilnadu) के कुन्नूर (Kunnoor) इलाके में एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल बिपिन रावत (General Bipin Rawat) का दुखद निधन (Death) कश्मीर के लोगों के लिए एक बड़ी क्षति है (A big loss for Kashmir People) । उन्होंने अपना खास दोस्त और शुभचिंतक (Special friend and well wisher) खो दिया (Lost) है, जो जम्मू-कश्मीर के नागरिकों को अनिश्चितता और पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के दलदल से बाहर निकालना चाहता था।


‘पीपुल्स जनरल’ यानी ‘लोगों के जनरल’ ने कश्मीरियों के साथ एक बहुत मजबूत बंधन साझा किया था, क्योंकि उन्होंने उनके कष्टों को करीब से देखा था। उनके निधन से एक शून्य पैदा हो गया है और कश्मीर के लोग सदमे में हैं। उन्होंने अपने दोस्त को खो दिया है, जो जब भी उन्हें संबोधित करते थे तो अपने दिल की बात कहते थे।
महत्वपूर्ण समय के दौरान तीन बार उत्तरी कश्मीर में सेवा करने वाले पूर्व सेना प्रमुख ने हमेशा लोगों से इच्छा और ²ढ़ संकल्प के साथ पाकिस्तान प्रायोजित हमले से लड़ने के लिए कहा। उन्होंने पहले बारामूला जिले के उरी सेक्टर में कंपनी कमांडर के रूप में और फिर सोपोर के वाटलाब में सेना के 5-सेक्टर के सेक्टर कमांडर के रूप में और 19 इन्फैंट्री डिवीजन (डैगर डिवीजन) के जनरल ऑफिसर कमांडिंग (जीओसी) के रूप में कार्य किया था।

आज की तारीख में उत्तरी कश्मीर, जहां दिवंगत जनरल रावत तैनात थे, लगभग आतंकवाद मुक्त है क्योंकि लोगों ने आतंकवादियों और उनके आकाओं के नापाक मंसूबों को नाकाम कर दिया है। वे शांति से रह रहे हैं। उन्होंने वही किया, जो उनके जनरल ने उन्हें सिखाया था और आज वे क्षेत्र में कायम शांति का आनंद ले रहे हैं।
कश्मीर में अपने विभिन्न कार्यकालों के दौरान, जनरल रावत ने लोगों के साथ एक मजबूत बंधन विकसित किया था, क्योंकि वह हमेशा सरल एवं सुलभ रहते थे। चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ और चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के पदों पर पदोन्नत होने के बाद भी, जनरल रावत कश्मीर के लोगों के संपर्क में रहे। वह उनके फोन कॉल का जवाब देते थे और घाटी में तैनात अपने अधिकारियों को उनकी चिंताओं को दूर करने का निर्देश देते थे।

उनके लोगों के अनुकूल ²ष्टिकोण ने कई अधिकारियों को उनके नक्शेकदम पर चलने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने लोगों का दिल और दिमाग कैसे जीता जाए, इसकी मिसाल पेश की। उन्होंने अपने अधीनस्थों को सिखाया कि कैसे एक आम आदमी से दोस्ती की जाए और जब भी जरूरत हो, उसके लिए तैयार रहा जा सकता है।
कश्मीर जनरल रावत की जन-हितैषी नीतियों को नहीं भूला है, यह 10 दिसंबर, 2021 को स्पष्ट हुआ, जब सीमावर्ती कुपवाड़ा जिले के कुछ इमामों ने उनके, उनकी पत्नी और सेना के अन्य अधिकारियों के लिए फतेह की पेशकश की, जो हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मारे गए थे। फतेह मुसलमानों द्वारा मृतकों के लिए की जाने वाली विशेष प्रार्थना है। यह शायद पहली बार था कि मस्जिदों के इमामों ने किसी गैर-मुस्लिम के लिए विशेष नमाज अदा की, वह भी मस्जिद के पल्पिट से।

इमामों की ओर से एक गैर-मुस्लिम के लिए फतेह की पेशकश करना कट्टरपंथ का प्रचार करने वाले तथा नफरत फैलाने वालों के लिए एक आंख खोलने वाला क्षण होना चाहिए। कश्मीरियों ने फतेह की पेशकश करके, कैंडल लाइट मार्च निकालकर और शोक समारोहों में भाग लेकर इस बात को लोगों तक पहुंचा दिया है कि वे अपने दिल से जनरल रावत का सम्मान करते हैं और उनका दुखद और आकस्मिक निधन उनके लिए एक बड़ी क्षति है।

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