नई दिल्ली । भारतीय कंपनियां(Indian Companies) जिन कर्मचारियों को 3 साल या उससे कम समय के लिए विदेश में काम(Work abroad) पर भेजती हैं, उन्हें जल्द एक बड़ा फायदा (Big advantage)मिलने वाला है। अब इन कर्मचारियों का सामाजिक सुरक्षा का पैसा (जैसे पेंशन या ग्रैच्युटी) भारत में ही उनके पीएफ (EPFO) खाते में जमा किया जाएगा। कंपनियों को यह पैसा विदेश में नहीं भरना पड़ेगा। भारत सरकार इसके लिए दूसरे देशों के साथ खास समझौते कर रही है।
किन देशों के साथ है डील?
भारत अब तक 22 देशों के साथ ऐसा समझौता कर चुका है, और उन देशों में काम करने वाले भारतीयों को यह लाभ मिलना शुरू हो रहा है। साथ ही भारत और ब्रिटेन के बीच होने वाले फ्री ट्रेड डील (FTA) में भी ये प्रावधान शामिल हैं। ब्रिटेन इसके लिए राजी हो गया है।
भारत, अमेरिका के साथ चल रही ट्रेड डील की बातचीत में भी यह बात उठा रहा है। सरकार का लक्ष्य उन सभी देशों के साथ ऐसे समझौते करना है जहां भारतीय कंपनियां काम करती हैं या भविष्य में कर सकती हैं।
श्रम मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया ने बताया कि जब भी भारत किसी देश के साथ FTA या द्विपक्षीय ट्रेड डील करता है, तो उसमें सामाजिक सुरक्षा के नियम भी जोड़े जा रहे हैं। इससे विदेश में काम करने वाले भारतीयों को सुरक्षा का पूरा लाभ मिल सकेगा। बाकी देशों के साथ भी अलग से समझौते किए जाएंगे।
पहले क्या थी दिक्कत
जिन देशों के साथ भारत का ऐसा कोई समझौता नहीं था, वहां कर्मचारियों की सैलरी से हर महीने सामाजिक सुरक्षा के नाम पर एक पैसा काटा जाता था। इस पैसे के बदले उन्हें कोई खास फायदा नहीं मिलता था।
जब कर्मचारी 3 साल बाद वापस आते थे, तो यह कटा हुआ पैसा उन्हें वापस भी नहीं मिलता था। नया समझौता इसी समस्या को हल करेगा। पैसा भारत में पीएफ में जमा होगा और कर्मचारी को उसका पूरा लाभ मिलेगा।
कितने लोगों को मिलेगा फायदा?
इस नए नियम से विदेश में काम करने वाले लाखों भारतीयों को फायदा होगा। जैसे सिर्फ ब्रिटेन में ही करीब 60,000 भारतीय आईटी प्रोफेशनल काम करते हैं। इनमें से ज़्यादातर भारतीय कंपनियों द्वारा 3 साल या कम समय के लिए भेजे जाते हैं।
अभी उनका सामाजिक सुरक्षा का पैसा ब्रिटेन सरकार ले लेती है, लेकिन डील लागू होने पर यह पैसा उन्हीं के पीएफ खाते में जमा होगा। अगर अमेरिका के साथ भी ऐसा समझौता हो जाता है, तो हर साल लाखों भारतीय कर्मचारियों को इसका लाभ मिलेगा।
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