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मप्र में कल से हड़ताल पर जाएंगे सरकारी डॉक्टर्स, स्वास्थ्य सेवाएं हो जाएंगी ठप

भोपाल (Bhopal)। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के सरकारी डॉक्टर्स (government doctors strike) ने हड़ताल पर जाने का ऐलान कर दिया है। शासकीय स्वशासी चिकित्सक महासंघ की ओर से सोमवार को ये ऐलान किया गया. प्रदेश के करीब 10 हजार सरकारी डॉक्टर (About 10 thousand government doctors) 3 मई से कामबंद हड़ताल (work strike from 3 may) पर जाएंगे। डॉक्टर लंबे समय से विभाग की विसंगतियां दूर करने और केंद्र की तर्ज पर डीएसीपी लागू करने की मांग कर रहे हैं।

डॉक्टर्स की मांगों पर कोई सकारात्मक पहल होती नजर नहीं आई तो शासकीय/ स्वशासी चिकित्सक महासंघ ने प्रदेशव्यापी हड़ताल का ऐलान कर दिया। शासकीय/ स्वशासी चिकित्सक महासंघ के बैनर तले पूरे प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में कार्यरत डॉक्टर्स ने 1 मई को बांह पर काली पट्टी बांधकर विरोध जाहिर किया।


डॉक्टर्स का कहना है कि सरकार के साथ 31 मार्च को बातचीत के दौरान कई मुद्दों पर सहमति बन गई थी. सरकार की ओर से सहमति तो जताई गई थी लेकिन सरकार ने इसे लेकर आदेश जारी नहीं किया. सूबे के सरकारी अस्पतालों में कार्यरत करीब 15 हजार डॉक्टर्स ने इसी के विरोध में काली पट्टी बांधकर विरोध प्रदर्शन किया।

इस प्रदेशव्यापी विरोध-प्रदर्शन में सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, जिला अस्पताल, सिविल अस्पताल, चिकित्सा महाविद्यालय के चिकित्सक, संविदा पर कार्यरत चिकित्सक और बांडेड चिकित्सक शामिल हुए. शासकीय/ स्वशासी चिकित्सक महासंघ का कहना है कि प्रदेश के डॉक्टर्स के लिए DACP योजना को लागू करने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) के निर्देश पर दिनांक 17 फरवरी 2023 को उच्च स्तरीय कमेटी गठित हुई थी।

संघ के मुताबिक चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय समिति की कई बैठकें हुईं, घंटों चर्चा चली. डीएसीपी को लेकर सभी ने सहमति भी जताई. सारी कवायद के बाद भी इसे लेकर शासन स्तर पर कार्यवाही लंबित है. महासंघ के डॉक्टर राकेश मालवीय ने कहा कि मांगें नहीं माने जाने के विरोध में सभी सरकारी डॉक्टर 3 मई से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जा रहे हैं. उन्होंने ये भी बताया कि इस दौरान इमरजेंसी, शैक्षणिक, प्रशासनिक और मेडिको लीगल कार्यों से भी सभी डॉक्टर दूर रहेंगे।

क्या है डॉक्टर्स की मांग
1. केंद्र सरकार, बिहार और अन्य राज्यों की तरह प्रदेश के चिकित्सकों के लिए DACP योजना का प्रावधान हो.

2. स्वास्थ्य विभाग, चिकित्सा शिक्षा विभाग और ईएसआई की वर्षों से लंबित विसंगतियां दूर की जाएं.

3. चिकित्सकीय विभागों में तकनीकी विषयों पर प्रशासनिक अधिकारियों का हस्तक्षेप दूर किया जाए.

4. राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत कार्यरत संविदा चिकित्सकों (MBBS) की MPPSC के माध्यम से की जाने वाली नियुक्ति/ चयन प्रक्रिया में प्रतिशत परिधि को समाप्त कर संशोधन किया जाए.

5. जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के ग्रेजुएशन के बाद ग्रामीण सेवा बॉन्ड राशि को कम किया जाए और ट्यूशन फीस भी कम की जाए जो देश में सबसे अधिक है.

6. विभाग में कार्यरत समस्त बंधपत्र चिकित्सकों का वेतन समकक्ष संविदा चिकित्सकों के समान किया जाए.

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