- जिन दुर्घटनाओं में वाहन चालकों की पहचान नहीं हो पाती उनकी सहायता के लिए बना कानून
उज्जैन। सड़क दुर्घटना के ‘हिट एंड रन’ मामलों में गंभीर घायल होने या जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों को अब सरकार उपचार और मुआवजा राशि देगी। यह व्यवस्था ऐसी स्थिति में लागू होगी, जब एक्सीडेंट करने वाले वाहन की पहचान नहीं हो पाती है। अस्पतालों में ऐसे लोगों के लिए कैशलेस इलाज की व्यवस्था भी की जाएगी। इस संबंध में केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने शुक्रवार को ही फाइनल नोटिफिकेशन जारी करते हुए नया कानून बनाया है। इसे ‘टक्कर मारकर भागना मोटरयान दुर्घटना पीडि़त प्रतिकल स्कीम 2022Ó नाम दिया गया है। शासन ने इसे लेकर अगस्त 2021 में योजना बनाते हुए ड्रॉफ्ट नोटिफिकेशन जारी किया था, जिस पर दावे-आपत्तियों के समाधान के बाद अब इसे मूर्त रूप दिया गया है। यह कानून पूरे देश में 1 अप्रैल 2022 से लागू होगा। अब तक ऐसी कोर्ई व्यवस्था न होने के कारण किसी व्यक्ति की सड़क दुर्घटना होने पर अगर वाहन की पहचान नहीं होती है तो उसे न तो उपचार के लिए खर्च मिल पाता है न ही मृत्यु होने पर परिजनों को मुआवजा राशि मिल पाती है। इसे देखते हुए ही यह कानून बनाया गया है, जिसके तहत ऐसी स्थिति में अगर किसी व्यक्ति की मौत होती है तो उसके परिजनों को दो लाख की सहायता राशि दी जाएगी, वहीं गंभीर घायल होने पर 50 हजार की राशि दी जाएगी।
केंद्र से लेकर जिला स्तर पर बनेगी स्थायी समिति
बीमा विशेषज्ञ ने बताया कि इसके लिए सरकार ने जिला और केंद्र स्तर पर अलग-अलग समितियां बनाए जाने का प्रावधान भी किया है। केंद्र स्तर पर समिति में परिवहन मंत्रालय के संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी अध्यक्ष होंगे। जिला स्तर पर दावा निपटान अधिकारी, पुलिस अधीक्षक, मुख्य चिकित्सा अधिकारी, आरटीओ सहित अन्य इसके सदस्य होंगे।
गोल्डन आवर्स में जान बचाना है उद्देश्य
इस योजना का मूल उद्देश्य है कि किसी भी सड़कदुर्घटना की स्थिति में पीडि़तों को तुरंत उपचार मिल सके। दुर्घटना के बाद कुछ ही समय में अगर उपचार मिल जाए तो ज्यादातर जानें बचाई जा सकती हैं। इस कुछ समय को ही गोल्डन आवर्स कहते हैं। इसे देखते हुए शासन की योजना है कि दुर्घटनाग्रस्त लोगों को अस्पतालों में कैशलेस उपचार की सुविधा दी जाए, जिससे खर्च के अभाव में कोई जान न गंवाए।
बीमा कंपनियों के साथ तैयार की जाएगी योजना
सरकार द्वारा एक विशेष निधि बनाकर बीमा कंपनियों के साथ ऐसे मामलों के लिए उपचार के खर्च और मुआवजा राशि की व्यवस्था की जाएगी। समिति द्वारा आवेदन की स्वीकृति के बाद जारी की जाने वाली राशि से उपचार का खर्च पहले दिया जाएगा।