इंदौर न्यूज़ (Indore News)

25 करोड़ वैक्सीन डोज नष्ट होने से बचाने के लिए खपाएगी सरकार

  • मुफ्त बूस्टर डोज की ये है हकीकत…अगस्त व सितंबर में ही अधिकांश डोज हो रहे हैं एक्सपायर, इंदौर में ही 25 लाख डोज लगेंगे

इंदौर, राजेशज्वेल। कोरोना वैक्सीन को लेकर केन्द्र सरकार के ढोल की पोल अग्निबाण ने लगातार उजागर की है। पहले वैक्सीन लगवाने के लिए ढेर सारे मापदंड तय किए, उसके बाद राज्यों से महंगी वैक्सीन खरीदवाई, फिर सेकंड डोज की समय सीमा वैक्सीन का टोटा पडऩे के कारण बढ़ा दी और अब जब कम्पनियों के पास 25 करोड़ वैक्सीन डोज स्टॉक में जमा हो गए और अगले दो महीनों में उनकी एक्सपायरी डेट आ रही है तो अब मुफ्त बूस्टर डोज लगाकर इन वैक्सीन डोज को नष्ट होने से बचाने की कवायद की जा रही है। देश में सबसे ज्यादा कोविशील्ड वैक्सीन ही लगी है, जिसे बनाने वाली सीरम इंस्टीट्यूट ने पिछले कई दिनों से वैक्सीन का उत्पादन बंद कर रखा है, क्योंकि 20 करोड़ डोज का स्टॉक हो गया। इसी तरह कोवैक्सीन बनाने वाली भारत बायोटैक के पास 5 करोड़ डोज पड़े हैं।

जब से वैक्सीनेशन शुरू हुआ, तब से केन्द्र सरकार ने इसको लेकर कई तरह के आदेश जारी किए। पहले तो वैक्सीन लगाने के लिए इतने कठिन मापदंड तय कर दिए कि लोग चाहकर भी वैक्सीन नहीं लगवा पाए। इसके बाद जब उत्पादन बढ़ा तो फिर मुफ्त वैक्सीन लगाने की घोषणा कर दी और देशभर में 75 करोड़ से ज्यादा वैक्सीन डोज लगाए गए। देश में सीरम इंस्टीट्यूट, जहां पर वैक्सीन बनती है उसने एस्टोजैनिका और ऑक्सफोर्ड द्वारा विकसित की गई कोविशील्ड का उत्पादन किया और देश में सबसे ज्यादा पहला और दूसरा डोज कोविशील्ड का ही लगाया गया। इसके बाद स्वदेशी वैक्सीन कोवैक्सीन को अनुमति मिली, जिसे भारत बायोटैक ने बनाया।

18 साल से अधिक उम्र वालों को पहले वैक्सीन लगवाई गई और फिर बच्चों के लिए भी अनुमति दी गई। चूंकि ये वैक्सीन निर्धारित समय तक ही लगाने योग्य रहती है। यानी दवाइयों की तरह वैक्सीन की भी एक्सपायरी डेट तय है। पिछले दिनों सीरम इंस्टीट्यूट के सीईओ अदार पूनावाला ने ही ट्वीट कर यह जानकारी दी थी कि कोविशील्ड के 20 करोड़ तैयार डोज को नष्ट करना पड़ सकता है, जिसके चलते वैक्सीन का उत्पादन भी बंद कर दिया है। दरअसल देशभर में कोरोना की तीसरी और अभी चौथी लहर चूंकि घातक साबित नहीं हुई, इसलिए अधिकांश लोगों ने बूस्टर डोज नहीं लगवाए। नतीजतन सीरम और भारत बायोटैक के पास 25 करोड़ वैक्सीन डोज स्टॉक में पड़े हैं। भारत बायोटैक के पास कोवैक्सीन के 5 करोड़ डोज हैं, तो सीरम के पास कोविशील्ड के 20 करोड़ डोज हैं, जिनमें से अधिकांश अभी अगस्त-सितम्बर में ही खराब हो जाएंगे, जिसके चलते कल केन्द्र सरकार ने मुफ्त बूस्टर डोज लगाने का 75 दिनी अभियान घोषित कर दिया, जो कि 15 जुलाई से 27 सितम्बर तक चलेगा।


इंदौर संभाग में ही लाखों डोज स्वास्थ्य विभाग के पास पड़े
अग्निबाण ने पिछले दिनों ही यह खबर प्रकाशित की थी कि स्वास्थ्य विभाग के पास ही लाखों डोज पड़े हैं और अब चूंकि लोग वैक्सीन बहुत कम लगवा रहे हैं, लिहाजा आने वाले कुछ महीनों में अधिकांश वैक्सीन डोज एक्सपायर हो जाएंगे। इंदौर संभाग में ही लाखों कोविशील्ड और कोवैक्सीन के डोज पड़े हैं और अभी जो मुफ्त बूस्टर की घोषणा केन्द्र सरकार ने कर दी है उसके चलते मध्यप्रदेश को और भी लाखों डोज मिलेंगे। स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि केन्द्र ने जो कार्यक्रम घोषित किया है उसके चलते अब बूस्टर डोज लगवाने का अभियान शुरू किया जाएगा और घर-घर दस्तक भी देंगे। केन्द्र सरकार ने आजादी के अमृत काल का हवाला देकर 18 साल से अधिक उम्र के सभी लोगों को 75 दिन तक मुफ्त बूस्टर डोज लगवाने की सुविधा दी है। अभी हालांकि ये डोज 375 रुपए में निजी अस्पतालों द्वारा लगाए जा रहे हैं। हालांकि वहां भी बहुत कम लोग पहुंचते हैं।

पहले कीमत घटाई, उसके बाद वैक्सीन का उत्पादन भी किया बंद
जब देश में वैक्सीन लगना शुरू हुई तब निजी अस्पतालों में मात्र 250 रुपए में वैक्सीन लगाई जाती थी और सरकारी अस्पतालों में मुफ्त। इसके बाद केन्द्र ने राज्यों से कहा कि वह सीधे कम्पनियों से वैक्सीन खरीदे, जिसके चलते इनकी कीमतें हजार रुपए से अधिक तक हो गई। इसके बाद फिर मुफ्त वैक्सीन लगवाने का अभियान शुरू करना पड़ा, क्योंकि कम्पनियों ने अपना उत्पादन बढ़ा दिया था। इसके बाद फिर सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद केन्द्र ने राज्यों को भी उसी कीमत पर वैक्सीन देना तय किया जिस कीमत पर वह कम्पनियों से ले रही थी। कम्पनियों ने भी बाद में कीमत घटाई, फिर उत्पादन रोका, क्योंकि स्टॉक करोड़ों वैक्सीन का इकट्ठा हो गया।

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