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यौन उत्पीड़न मामले में बंगाल के राज्यपाल ने लगाई अपनी ताकत, पीड़िता- आखिर डर क्यों रहे हैं?

कलकत्‍ता (Calcutta)। पश्चिम बंगाल (West Bengal)के राज्यपाल पर राजभवन (Governor’s Palace)में ही काम करने वाली कर्मचारी(Employee) ने यौन उत्पीड़न (sexual harassment)के आरोप लगाए हैं। वहीं पश्चिम बंगाल पुलिस (West Bengal Police)ने मामले की जांच के लिए टीम भी गठित कर दी है। रविवार को संवैधानिक सुरक्षा का हवाला देते हुए राज्यपाल ने राजभवन के कर्मचारियों को निर्देश जारी किए हैं कि वे डायरेक्ट या फिर फोन पर किसी तरह का जवाब ना दें। इसके अलावा पुलिस से भी बात करने से बचें। राज्यपाल के इस आदेश के बाद पीड़िता ने सवाल किया है कि आखिर राज्यपाल इतना डरे क्यों हैं कि उन्हें संवैधानिक ताकत की ढाल की जरूरत पड़ रही है। पीड़िता ने कहा कि राज्यपाल को जांच में बाधा नहीं डालनी चाहिए।


बता दें कि रविवार क सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए राज्यपाल ने कहा था, इस मामले में किसी तरह का ऑनलाइन या ऑफ लाइन बयान देने से बचें। उन्होंने यह भी कहा था कि पुलिस को भी नजरअंदाज करें। तीन दिन पहले ही गुरुवार को एक महिला कर्मचारी ने पुलिस के पास राज्यपाल के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई थी।

राज्यपाल के साथ लाइ डिटेक्टर टेस्ट करवाने का तैयार

रिपोर्ट के मुताबिक पीड़िता ने कहा कि वह राज्यपाल साथ लाइ डिटेक्टर टेस्ट में भी बैठने को तैयार है। उन्होंने कहा, अगर राज्यपाल निर्दोष हैं तो वह भाग क्यों रहे हैं। उन्होंने दो बार मेरा उत्पीड़न किया। सच, सच ही रहेगा। मुझे फर्क नहीं पड़ता कि लोग मेरे बारे में क्या सोचते हैं। बड़ी बात है कि सर के अंदर दूसरी महिलाओं से छेड़छाड़ करने की हिम्मत है और वह साधारण महिलाओं के साथ ऐसा करते हैं।

पीड़िता ने कहा कि उसका परिवार इतना सक्षम नहीं है कि लंबी कानूनी लड़ाई लड़ सके। इसके अलावा उसकी नौकरी भी चली गई है। परिवार की सामाजिक छवि को भी धक्का लगा है। लोग उससे ही सवाल पूछ रहे हैं। उन्होंने कहा, मुझे पता है कि मैं एक हारी हुई जंग लड़ रही हूं।

पुलिस ने राजभवन के सीसीटीवी फुटेज मांगे

राज्यपाल के खिलाफ जांच के लिए जो पुलिस टीम बनाई गई है उसमें डीसीपी सेंट्रल इंदिरा मुखर्जी भी शामिल हैं। शनिवार को उन्होंने राजभवने के 6 कर्मचारियों को बयान दर्ज करवाने को कहा था। इसके अलावा पुलिस ने राजभवन के सीसीटीवी फुटेज भी मांगे थे। इसके बाद राजभवन की तरफ से नोट जारी किया गया जिसमें कहा गया कि आर्टिकल 361 के तहत राज्य आपराधिक कार्यवाही नहीं शुरू कर सकता है। इस नोट में रामेश्वर प्रसाद केस का हवाला दिया गया था। एक सीनियर पुलिस अधिकारी ने बताया कि राजभवन के किसी कर्मचारी ने भी अपना बयान दर्ज नहीं करवाया है।

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