आणंद: केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने शनिवार (5 जुलाई) को गुजरात (Gujrat) के आणंद जिले (Anand District) में भारत (India) के पहले राष्ट्रीय सहकारिता विश्वविद्यालय (National Cooperative University) ‘त्रिभुवन’ (Tribhuvan) की आधारशिला रखी. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कांग्रेस (Congress) पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी के नेता को ये भी मालूम नहीं था कि त्रिभुवन दास जी हमारी पार्टी के नहीं कांग्रेस पार्टी के नेता थे.
उन्होंने आगे कहा कि जब प्रधानमंत्री ने तय किया कि करोड़ों गरीबों की आर्थिक समृद्धि के लिए सहकारिता मंत्रालय स्थापित किया जाए उसके बाद सहकारिता मंत्रालय बना. मैंने कई सहकारिता से जुड़े लोगों से मुलाकात की. देश के हर कोने तक कैसे सहकारिता आंदोलन पहुंचे, उसके लिए क्या-क्या करना चाहिए उसकी योजना बनी. पिछले 4 साल में सरकार ने 60 इनिशिएटिव लिए.
अमित शाह ने कहा कि सहकारिता आंदोलन को पारदर्शी, विकसित, लोकप्रिय और किसान की इनकम बढ़ाने, महिलाओं और युवाओं की इनकम बढ़ाने के लिए ये इनिशिएटिव लिए गए हैं. उन्होंने बताया कि 40 लाख कर्मी सहकारिता आंदोलन के साथ जुड़े और 30 करोड़ लोग सहकारिता आंदोलन से जुड़े.
शाह ने कहा कि इसकी रीढ़ की हड्डी सहकारिता के कर्मचारी और समितियों के सदस्यों की ट्रेनिंग की कोई व्यवस्था नहीं थी. अब यूनिवर्सिटी बनने के बाद जिन्होंने ट्रेनिंग की है उन्हीं को नौकरी मिलेगी. इसके कारण जो सहकारिता में भाई भतीजावाद का आरोप था वो खत्म हो जाएगा. अब जो पढ़ाई करके बाहर निकलेगा उसी को नौकरी मिलेगी. त्रिभुवन सहकारिता यूनिवर्सिटी सहकारी क्षेत्र की सभी कमियां दूर करेगी.
विश्वविद्यालय का नाम भारत में सहकारी आंदोलन के अग्रणी और अमूल की स्थापना में प्रमुख भूमिका निभाने वाले व्यक्तियों में से एक त्रिभुवनदास किशीभाई पटेल के नाम पर रखा गया है. उनका जन्म 22 अक्टूबर 1903 को आणंद के खेड़ा में हुआ था और उनका निधन 3 जून 1994 को हुआ.
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