इंदौर न्यूज़ (Indore News)

इधर चुनाव खत्म और उधर भीषण गर्मी में संघ का कठोर प्रशिक्षण शुरू

  • यह है आरएसएस…दरी पर सोना, खुद बर्तन मांजना और उपयोग के लिए सिर्फ एक बाल्टी पानी
  • – मालवा क्षेत्र में तीन जगह संघ का शिक्षा वर्ग
  • – सुबह 4 बजे से रात 10 बजे तक कड़ा प्रशिक्षण
  • – संघ मुख्यालय ने तय किया है प्रशिक्षण का पाठ्यक्रम
  • – संघ के राष्ट्रीय पदाधिकारी पूरे समय मौजूद रहेंगे
  • – संघ प्रमुख भी पहुंचेंगे कुछ शिविरों में और मार्गदर्शन करेंगे

इंदौर, अरविंद तिवारी। नेशन फस्र्ट के नारे के साथ लोकसभा चुनाव में ज्यादा से ज्यादा मतदान के लिए कमरतोड़ मेहनत करने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक अब अपने सालाना प्रशिक्षण वर्ग में व्यस्त हो गए हैं। देशभर में ऐसे कई प्रशिक्षण वर्ग शुरू हुए हैं। अकेले मालवा प्रांत में संघ के ऐसे तीन प्रशिक्षण वर्ग आयोजित किए गए हैं। इन प्रशिक्षण वर्ग का उद्देश्य स्वयंसेवकों को शारीरिक, मानसिक और बौद्धिक रूप से मजबूत करने के साथ ही देश के प्रति समर्पण के लिए तैयार करना होता है। यह वर्ग हर साल भीषण गर्मी के दौर में ही आयोजित होते हैं और इसका मकसद स्वयंसेवक को विषम परिस्थिति में भी काम करने के लिए तैयार करना होता है।

संघ ने इस बार मालवा प्रांत में विद्यार्थी, सामान्य और विशेष वर्ग के लिए आगर, धामनोद और इंदौर में तीन प्रशिक्षण वर्ग आयोजित किए हैं। भीषण गर्मी में यह वर्ग 15 दिन चलेंगे। सुबह 4 बजे से लेकर रात 10 बजे तक चलने वाले इन वर्ग में स्वयंसेवकों को संघ की कार्यप्रणाली से अवगत कराने के साथ ही कड़ा शारीरिक प्रशिक्षण दिया जाएगा। शस्त्रकला की कई विधाएं सिखाई जाएंगी। अलग-अलग विषयों पर संघ के दिग्गज और विषय विशेषज्ञ उनके साथ संवाद करेंगे। बौद्धिक और विचारात्मक सत्र भी इसका एक हिस्सा होंगे। रोज चार बौद्धिक राष्ट्रीय पदाधिकारियों के होंगे। तीनों वर्ग में करीब 300 स्वयंसेवक प्रशिक्षित किए जाएंगे। संघ के राष्ट्रीय और क्षेत्रीय पदाधिकारी इन वर्ग में पूरे समय मौजूद रहेंगे और अलग-अलग सत्र में प्रशिक्षणार्थियों का मार्गदर्शन करें। पिछले दिनों संपन्न संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में इस बार के प्रशिक्षण वर्ग को लेकर गहन विचार-विमर्श भी हुआ था।


एक समूह में 22 स्वयंसेवक
एक समूह में 22 स्वयंसेवक रखें जाते हैं। शिविर के लिए जो स्वयंसेवक चयनित किए जाते हैं उन्हें अपना सारा सामान खुद लेकर आना पड़ता है। एक बड़े हॉल में दरी पर सोना पड़ता है और पूरे दिन में उपयोग के लिए सिर्फ एक बाल्टी पानी उपलब्ध करवाया जाता है। इन्हें अपने बर्तन खुद मांजना पडते हैं।

पहले ओटीसी कहा जाता था अब संघ शिक्षा वर्ग
संघ के इन प्रशिक्षण शिविर को पहले ओटीसी, यानी आफिसर्स ट्रेनिंग कैंप कहा जाता था। अब इनका नाम बदलकर संग शिक्षा वर्ग कर दिया गया है। इसमें संघ के अधिकारी प्रशिक्षण देने जाते हैं। उन्हें उनके बौद्धिक के विषय 3 महीने पहले ही बता दिए जाते हैं और पूरी तैयारी के साथ आने के लिए कहा जाता है। चर्चा सत्र में खुलकर संवाद होता है और स्वयंसेवकों की जिज्ञासा का समाधान भी किया जाता है।

प्रशिक्षण वर्ग में मोबाइल प्रतिबंधित
15 दिन के इन प्रशिक्षण वर्ग में स्वयंसेवकों के लिए मोबाइल फोन पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगा। जिस दिन स्वयंसेवक वर्ग में भाग लेने पहुंचेंगे, उन्हें मोबाइल वहां बनाए गए संघ कार्यालय में जमा करवाना होंगे। बहुत आवश्यकता होने पर वर्ग प्रभारी की अनुमति से ही मोबाइल का उपयोग हो सकेगा। वर्ग की समाप्ति के बाद ही मोबाइल वापस दिया जाएगा।

वर्ग खत्म होने के बाद ही दायित्व संभालेंगे नए प्रांत प्रचारक
मालवा प्रांत के नवनियुक्त प्रांत प्रचारक राजमोहन इन प्रशिक्षण वर्ग की समाप्ति के बाद प्रांत प्रचारक के रूप में विधिवत कार्य प्रारंभ कर देंगे। उन्हें बलिराम पटेल के स्थान पर प्रांत प्रचारक बनाया गया है। अभी वे उज्जैन में सह-प्रांत प्रचारक के रूप में सेवाएं दे रहे हैं। वर्तमान प्रांत प्रचारक पटेल अब संघ में केंद्रीय पदाधिकारी की भूमिका में रहेंगे। नए क्षेत्र प्रचारक स्वप्निल कुलकर्णी भी वर्ग समाप्त होने के बाद नई भूमिका में आएंगे।

प्रात: स्मरण में याद किया जाता है गांधी और अंबेडकर को भी

इन शिविरों में शुरुआत प्रात: स्मरण में एक आत्म सूत्र से होती है और इसमें जिन लोगों का स्मरण किया जाता है उनमें महात्मा गांधी और बाबा साहब आंबेडकर भी शामिल हैं और इसके अलावा कई बड़ी हस्तियां भी इन शिविरों में शामिल हुई है।

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