नई दिल्ली। होलिका दहन (Holika Dahan) हर साल फाल्गुन पूर्णिमा (Falgun Purnima) की रात को किया जाता है, लेकिन इस साल 2025 में होलिका दहन (Holika Dahan) पर भद्रा का प्रभाव (Effect of Bhadra) रहा। भद्रा के दौरान कोई भी शुभ कार्य करना वर्जित माना जाता है। इस वर्ष होलिका पर भद्रा का प्रभाव 12 घंटे 51 मिनट तक रहेगा। पंचांग के अनुसार, फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा तिथि 13 मार्च को सुबह 10:35 बजे शुरू होकर 14 मार्च को दोपहर 12:23 बजे तक रहेगी। इस दौरान भद्रा का प्रभाव निम्नलिखित समय तक रहेगा:
भद्रा प्रारंभ: 13 मार्च, सुबह 10:35 बजे
भद्रा समाप्त: 13 मार्च, रात 11:26 बजे
भद्रा पूंछ और मुख का समय
भद्रा की पूंछ: शाम 6:57 बजे से रात 8:14 बजे तक
भद्रा का मुख: रात 8:14 बजे से रात 10:22 बजे तक(भद्रा का मुख सबसे अशुभ माना जाता है, इस समय कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता)
भद्रा कौन हैं?
भद्रा सूर्य देव और उनकी पत्नी छाया की पुत्री हैं। वे शनि देव की बहन मानी जाती हैं। भद्रा का रूप अत्यंत भयंकर है। उनका रंग काला, लंबे बाल और बड़े दांत हैं। उनके स्वभाव में चंचलता और उपद्रवी प्रवृत्ति थी, जिसके कारण वे मांगलिक कार्यों में बाधा डालने लगीं।
भद्रा में शुभ कार्य क्यों वर्जित हैं?
भद्रा के स्वभाव से परेशान होकर सूर्य देव ब्रह्मा जी के पास गए। तब ब्रह्मा जी ने भद्रा से कहा कि वे बव, बालव, कौलव आदि करणों के अंत में निवास करें और मांगलिक कार्यों में विघ्न डालें। यदि कोई व्यक्ति भद्रा के समय शुभ कार्य करता है, तो उसमें बाधाएं आती हैं। इसलिए भद्रा के समय विवाह, गृह प्रवेश, शुभ अनुष्ठान और अन्य मांगलिक कार्य नहीं किए जाते।
भद्रा में क्या नहीं करना चाहिए?
भद्रा के दौरान यात्रा करने से बचना चाहिए। अगर किसी जरुरी काम से यात्रा करनी है, तो ध्यान रखें कि जिस दिशा में भद्रा का वास हो, उस दिशा में यात्रा न करें। इसके अलावा, भद्रा में यज्ञ करना, स्नान करना और पूजा-पाठ नहीं करना चाहिए।
निष्कर्ष
2025 में होलिका दहन भद्रा के समापन के बाद करना ही शुभ रहेगा। भद्रा के दौरान कोई भी शुभ कार्य करने से बचना चाहिए, क्योंकि यह बाधाएं उत्पन्न कर सकती है। शुभ मुहूर्त में होलिका दहन करने से सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है और बुरी शक्तियों का नाश होता है।
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