नई दिल्ली: कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सेबी प्रमुख माधवी बुच के खिलाफ हितों के टकराव के नए आरोप लगाते हुए सोमवार (2 अगस्त) को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से उनकी नियुक्ति के मामले में मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति के प्रमुख के रूप में स्पष्टीकरण देने की मांग की. उन्होंने आरोप लगाया कि 2017 में सेबी की मौजूदा अध्यक्ष के पदभार संभालने के बाद से वह न केवल सेबी से वेतन ले रही हैं, बल्कि आईसीआईसीआई बैंक में लाभ के पद पर भी हैं.
कांग्रेस के प्रभारी महासचिव जयराम रमेश ने आगे कहा कि ऐसे में वहां से भी आज की तारीख में सैलरी ले रही हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि अदाणी समूह द्वारा प्रतिभूति कानूनों के उल्लंघन की नियामक संस्था की सुप्रीम कोर्ट की जांच में सेबी अध्यक्ष के हितों के टकराव को लेकर गंभीर सवाल उठाए गए हैं. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफार्म ‘एक्स’ पर एक पोस्ट लिखी. जिसमें उन्होंने कहा, ‘‘ऐसा लगता है कि इन सवालों को भारत सरकार ने यूं ही नजरअंदाज कर दिया है. हालांकि, अब चौंकाने वाले कदाचार का यह ताज़ा खुलासा हुआ है.
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने आगे कहा कि नॉन बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री, जो अपनी चुप्पी के माध्यम से सेबी चेयरपर्सन को बचाने में लगे हैं. उन्हें साफतौर पर सामने आकर निम्न सवालों का जवाब देना चाहिए कि नियामक निकायों के प्रमुखों की नियुक्ति के लिए योग्यता के उपयुक्त मानदंड क्या हैं?’’
इस दौरान जयराम रमेश ने सवाल किया कि क्या प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली एसीसी ने सेबी अध्यक्ष को लेकर सामने आए इन चौंकाने वाले तथ्यों की जांच की है या एसीसी पूरी तरह से प्रधानमंत्री कार्यालय को आउटसोर्स कर दी गई है? रमेश ने यह भी सवाल उठाया कि क्या प्रधानमंत्री को इस बात की जानकारी थी कि सेबी अध्यक्ष लाभ के पद पर थीं. या फिर सेबी में रहने के दौरान आईसीआईसीआई से वेतन ले रही थीं?
राज्यसभा सांसद जयराम रमेश ने आगे सवाल करते हुए कहा कि ‘क्या प्रधानमंत्री को पता था कि सेबी के पूर्णकालिक सदस्य के रूप में मौजूदा सेबी अध्यक्ष आईसीआईसीआई और उसके संबद्ध संस्थाओं के खिलाफ शिकायतों का निपटारा कर रही थी. इसके साथ ही साथ आईसीआईसीआई से वेतन ले रही थीं? मौजूदा सेबी अध्यक्ष को आईसीआईसीआई से ईएसओपी लाभ क्यों मिलते रहे, जबकि वे बहुत पहले ही खत्म हो चुके थे?’’
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने आगे पूछा कि सेबी अध्यक्ष को कौन बचा रहा है और क्यों बचा रहा है? उन्होंने कहा, ‘‘नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री यूं ही सवालों का जवाब दिया बिना नहीं बचे रह सकते हैंय आखिर वे कबतक इन सवालों पर चुप्पी साधे रहेंगे. पूंजी बाजार में करोड़ों भारतीय अपना निवेश करते हैं. ऐसे में वे सभी इसके नियामक से पूरी पारदर्शिता और इमानदारी की मांग करते हैं.
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