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चीनी एजुकेशन कंपनियों के शेयर में भारी गिरावट, जानें क्‍या है वजह

बीजिंग। न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज(New York Stock Exchange) में लिस्टेड तीन बड़ी चीनी एजुकेशन कंपनियों (chinese education companies) के साझा शेयर भाव में शुक्रवार को 16 अरब डॉलर की रिकॉर्ड गिरावट(share price drop) आई। ऐसा एक दस्तावेज लीक होने की वजह से हुआ, जिसमें अंदेशा जताया गया है कि चीन सरकार (Chinese government) चीन(China) की शैक्षिक कंपनियों (educational companies) के मुनाफा कमाने पर रोक लगा सकती है। वह दस्तावेज 19 जुलाई का है। खबरों के मुताबिक उस दस्तावेज में कहा गया है कि जो कंपनियां घरों में बच्चों को शिक्षा देने या ऑफ कैंपस शिक्षा के क्षेत्र में काम कर रही हैं, उन्हें खुद को नॉन-प्रोफिट श्रेणी में रजिस्टर्ड कराना होगा। साथ ही स्थानीय अधिकारी ऐसी किसी नई कंपनी को मंजूरी नहीं दे सकेंगे।
विश्लेषकों का कहना है कि अगर इस प्रस्ताव को कानून का रूप दे दिया गया, तो उससे चीन(China) के सबसे तेजी से बढ़ रहे एक कारोबार को भारी नुकसान होगा। चीन में हाल के वर्षों में स्कूल के बाहर बच्चों को पढ़ाने और यूनिवर्सिटी में दाखिला दिलाने के मकसद से कोचिंग करने वाली कंपनियों का कारोबार तेजी से बढ़ा है। न्यूयॉर्क में जिन कंपनियों के शेयरों के भाव तेजी से गिरे, उनमें टीएएल एजुकेशन(TAL Education), गाओतू टेकएडु (Gaotu TechEdu) और न्यू ओरिएंटल एजुकेशन (New Oriental Education) शामिल हैं। न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज में उनका साझा बाजार मूल्य पहले 26 अरब डॉलर था। शुक्रवार को उनके भाव में बाजार खुलने से पहले के कारोबार में 60 फीसदी की गिरावट आ गई।


टीएएल एजुकेशन चीन की सबसे बड़ी शिक्षा कंपनी है। उसके चीन के 102 शहरों में 990 कोचिंग सेंटर हैं, जिनमें 45 हजार से ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं। जानकारों के मुताबिक चीन सरकार ने अगर ये कार्रवाई की तो अमेरिका या हांगकांग के स्टॉक एक्सचेंज में खुद को रजिस्टर कराने की शिक्षा क्षेत्र की दो चीनी कंपनियों युवांगफुदाओ और जुओयेबांग की उम्मीदों पर पानी फिर जाएगा।
पर्यवेक्षकों के मुताबिक चीन में आमदनी बढ़ने के साथ-साथ परिवारों में अपने बच्चों को महंगे स्कूलों में पढ़ाने का शौक बढ़ा है। साथ ही वे अपने बच्चों को प्रोफेशनल कॉलेजों में भेजना चाहते हैं। इसके लिए बच्चों को कोचिंग कराने का चलन बढ़ा है। यह चलन भी बढ़ा है कि लोग एक ही बच्चा रखते हैं, ताकि उसको ठीक से शिक्षा दे सकें। चीन के हाइदान शहर के निवासी डेविड यंग ने द फाइनेंशियल टाइम्स से कहा- ‘अच्छी शिक्षा ही सामाजिक सीढ़ी चढ़ने में सबसे ज्यादा मददगार बनती है। इसलिए जब अपनी बच्ची की पढ़ाई पर खर्च करने की बात आती है, तो मैं उस बारे में ज्यादा नहीं सोचता।’ यांग ने हाल ही में अपनी 12 साल की बच्ची का दाखिला एक प्राइवेट स्कूल मे कराया है।
लेकिन चीन सरकार की राय बनी है कि ट्यूशन और कोचिंग के कारण के बच्चों से जरूरत से ज्यादा मेहनत कराई जा रही है। साथ ही माता-पिता पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ रहा है। उसके अलावा महंगे स्कूलों, ट्यूशन और कोचिंग से शिक्षा के मामले में देश में गैर-बराबरी भी बढ़ी है। बीजिंग स्थित थिंक टैंक डॉल्फिन के संस्थापक ली चेंगदोंग ने कहा- ‘इस उद्योग के कारण कई समस्याएं खड़ी हुई हैं। उनमें गैर-बराबरी के साथ-साथ निम्न जन्म दर की समस्या भी है। इसीलिए सरकार ने अब इस सेक्टर को समाप्त करने का फैसला किया है।’

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