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डीयू में सैकड़ों कर्मचारी कोरोना पॉजिटिव, एडहॉक टीचर्स के लिए नहीं है मेडिकल इंश्योरेंस


नई दिल्ली। कोरोना महामारी की तीसरी लहर में दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) में 200 से अधिक (Over 200) स्थायी व एडहॉक टीचर्स (Permanent and Adhoc teachers) और कर्मचारियों (Employees) के कोरोना पॉजिटिव (Corona Positive) होने के बावजूद विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से एडहॉक शिक्षकों व कर्मचारियों को मेडिकल इंश्योरेंस (Medical Insurance) जैसी किसी तरह की सुविधाएं नहीं दी गई हैं (Facilities not provided) ।


दिल्ली विश्वविद्यालय के एडहॉक शिक्षकों और कॉन्ट्रेक्चुअल कर्मचारियों को भी हेल्थ इंश्योरेंस की सुविधाएं उपलब्ध कराने की मांग की जा रही है। दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षक संगठन दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन ( डीटीए ) ने विश्वविद्यालय प्रशासन से कहा है कि ऐसी स्थिति में कोविड-19 महामारी की तीसरी लहर आने वाले समय में और खतरनाक साबित हो सकती है। शिक्षकों ने दिल्ली विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर प्रोफेसर योगेश कुमार सिंह से कहा है कि कोविड-19 महामारी के दौर में भी एडहॉक शिक्षकों और कॉन्ट्रेक्चुअल कर्मचारियों को कॉलेज या विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी आदि की किसी तरह की सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं।

दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. हंसराज ‘सुमन’ का कहना है कि विश्वविद्यालय प्रशासन एक सर्कुलर जारी कर प्रिंसिपलों को निर्देश दे कि कॉन्ट्रेक्चुअल कर्मचारियों का हेल्थ इंश्योरेंस 50 लाख रुपये और एडहॉक शिक्षकों का एक करोड़ रुपये का हेल्थ इंश्योरेंस किया जाए।उन्होंने कहा कि कोविड के चलते इस वर्ष शैक्षिक सत्र –2021–2022 में कॉलेजों में एडमिशन लिए सभी छात्रों को कॉलेज की ओर से उनका हेल्थ इंश्योरेंस की सुविधा संबंधी फॉर्म भरवाया जाना चाहिए। यह फॉर्म उनसे ऑनलाइन भरवाना चाहिए। कोरोना काल में संक्रमित महामारी के फैलने से इसकी चपेट में न आए ,यदि कोई छात्र इसकी चपेट में आता है तो कॉलेज को इस छात्र का सम्पूर्ण इलाज की जिम्मेदारी लेनी चाहिए। इसलिए कॉलेज को छात्रों का भी 50 लाख रुपये का हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी करना चाहिए। यह प्रत्येक कॉलेज की जिम्मेदारी हो।

दिल्ली विश्वविद्यालय से संबद्ध कॉलेजों में एडहॉक टीचर्स व कॉन्ट्रेक्चुअल कर्मचारी 15 -20 वर्षो से व उससे अधिक से अपनी सेवाएं दे रहे हैं, लेकिन यदि किसी एडहॉक टीचर्स को कोरोना होने पर कॉलेज या विश्वविद्यालय प्रशासन से उन्हें किसी तरह की कोई आर्थिक सहायता नहीं मिलती है। ये एडहॉक टीचर्स कोविड या किसी तरह की कोई अन्य बीमारी होने पर अपने पैसों से (अपने स्तर पर ) अस्पताल में इलाज कराते हैं।हालांकि डीयू में हेल्थ सेंटर सभी के लिए है, लेकिन वहां सभी सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं। डॉ. सुमन ने बताया है कि कोविड जैसी महामारी के समय आज सबसे बड़ी आवश्यकता है स्वास्थ्य सुरक्षा । ये सभी एडहॉक शिक्षकों और कॉन्ट्रेक्चुअल कर्मचारियों का कानूनन अधिकार है कि उनको स्वास्थ्य सुरक्षा प्रदान की जाए। एडहॉक टीचर्स व कॉन्ट्रेक्चुअल कर्मचारियों के लिए हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी को विश्वविद्यालय प्रशासन जल्द से जल्द लागू करने संबंधी सकरुलर जारी करने की मांग दोहराई गई है।

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