बीजिंग। चीन के राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो (NBS) के अनुसार, देश की वार्षिक जीडीपी वृद्धि तीन फीसदी तक गिर गई है जो कि 2022 में 5.5 प्रतिशत के आधिकारिक लक्ष्य से बहुत कम है। 1976 के बाद से पिछले साल चीन की विकास दर सबसे कमजोर रही है। अगर चीन की अर्थव्यवस्था इसी तरह से गिरती रही तो आर्थिक मंदी आनी तय है और इस मंदी का असर केवल चीन पर ही नहीं होगा बल्कि दुनिया के 70 से अधिक देश इसकी चपेट में आएंगे। आइए पढ़ते हैं आखिर ऐसा क्यों होगा?
50 साल में दूसरी सबसे धीमी रफ्तार
पिछले साल कोरोना महामारी से निपटने के लिए लगाई गईं पाबंदियों, रियल एस्टेट क्षेत्र में मंदी के कारण चीन की आर्थिक वृद्धि दर 2022 में घटकर तीन प्रतिशत पर आ गई है। यह दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में 50 साल में दूसरी सबसे धीमी वृद्धि की रफ्तार है। राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार, 2022 में चीन का सकल घरेलू उत्पाद 1,21,020 अरब युआन या 17,940 अरब डॉलर रहा।
दुनिया के अधिकांश देशों पर क्या होगा असर?
दरअसल, चीन का व्यापार 70 से अधिक देशों के साथ है। चीन एशियाई देशों के साथ-साथ कई यूरोपीय देशों के साथ भी आयात-निर्यात करता है। ऐसे में अगर चीन में मंदी आती है तो ये सभी देश भी इसकी चपेट में आएंगे। चीन पर निर्भर रहने वाले देशों को सबसे अधिक नुकसान होगा। सबसे बुरा हाल इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में होगा।
चीन के कई अन्य शहरों में लोगों की नौकरी जा रही
चीन के कई अन्य शहरों में लोगों की नौकरी जाने लगी है। कई कंपनिया कर्मचारियों का वेतन रोक रही हैं। कई लोग वेतन भुगतान की मांग को लेकर हाथों में बैनर लेकर सड़कों पर विरोध करते नजर आ रहे हैं। इन विरोधों और संकट के सामने आने के बाद सवाल उठ रहा है कि क्या चीन कर्ज संकट के आंकड़े उनसे छिपा रहा है।
भारत पर भी हो सकता है बड़ा असर
दरअसल, अमेरिका के बाद चीन, भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है। वर्ष 2021-22 में भारत-चीन द्विपक्षीय व्यापार 115.83 बिलियन अमेरिकी डॉलर था, यह भारत के कुल 1,035 बिलियन अमेरिकी डॉलर के व्यापार का 11.2 फीसदी है।
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