भोपाल न्यूज़ (Bhopal News)

Muralidhar की चली तो Facebook, Twitter के ‘Followers’ देखकर ही बांट देंगे Ticket

  • दावेदारों को हर बैठक में देते हंै फॉलोअर्स बढ़ाने के निर्देश

भोपाल। प्रदेश में इसी साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर टिकट के दावेदार भी सक्रिय हो गए हैं। इस बार टिकट पाने की योग्यता में सोशल मीडिया को भी एक आधार बनाया जा सकता है। भाजपा के प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव की चली तो वे फेसबुक और टिवटर पर फॉलोअर्स देखकर ही टिकट तय कर दें। क्योंकि वे हर बैठक में नेताओं को सोशल मीडिया खासकर ट्विटर, फेसबुक और इस्ट्राग्राम पर फॉलोअर्स बढ़ाने के निर्देश देते रहते है। हालांकि टिकट तय का पूरा आधार सोशल मीडिया नहीं रहेगा, फिर भी दावेदारों के बीच फॉलोअर्स बढ़ाने की होड़ सी मच गई है। भाजपा प्रदेश प्रभारी ने मप्र की जिम्मेदारी संभालते के बाद से ही सोशल मीडिया पर फॉलोअर्स बढ़ाने पर जोर देना शुरू कर दिया था। जिलों के प्रवास के दौरान भी वे नेताओं को टिकट के लिए सोशल मीडिया पर सक्रिय रहने की सलाह देते रहते हैं। अब देखना यह है कि टिकट चयन में मुरलीधर राव का फार्मूला कितना कारगार होता है या नहीं। हालांकि मुरलीधर राव की वजह से नेताओं ने फॉलोअर्स बढ़ाने पर ध्यान देना शुरू कर दिया था। भाजपा में जो मौजूदा विधायक हैं या जो विधायक मंत्री रह चुके हैं। उनसे ज्यादा फॉलाअर्स बढ़ाने की उत्सुकता पहली बार टिकट की दावेदारी कर रहे नेताओं में दिखाई दे रही है। कुछ जिलों में जिलाध्यक्ष से लेकर अन्य रसूखदार नेताओं ने कुछ प्रदेश पदाधिकारियों की तर्ज पर बाकायदा सोशल मीडिया हैडलर नियुक्त कर रखे हैं। साथ ही सोशल मीडिया पर फॉलोअर्स बढ़ाने के लिए आईटी विशेषज्ञों की सेवाएं भी ली जा रही हैं।



7.5 करोड़ से ज्यादा मोबाइल उपभोक्ता हैं प्रदेश में
चार मंत्री पांच प्रतिशत फालोअर भी नहीं बना पाए मंत्री और विधायकों ने इंटरनेट मीडिया पर कितने फालोअर बनाए, इसकी लगातार मानीटरिंग की जा रही है। ताजा रिपोर्ट के मुताबिक शिवराज सरकार के 31 में से चार मंत्री ऐसे हैं, जो इंटरनेट मीडिया पर पांच प्रतिशत फालोअर भी तैयार नहीं कर पाए हैं। यही कारण है कि मंत्रियों के फालोअर बढ़ाने के लिए जिला और विकासखंड स्तर पर 25 हजार कार्यकर्ताओं को इंटरनेट मीडिया ओरिएंटेशन दिया गया है। इंटरनेट मीडिया एनालिस्ट नियुक्त किए गए हैं। सभी विभागों, मंत्री-विधायकों द्वारा इंटरनेट मीडिया के उपयोग का निगरानी तंत्र तैयार कर प्रशिक्षण शुरू कराया गया है।

पार्टी भी चाहती है सोशल मीडिया के जरिए लोगों से जुड़ें नेता
इधर विधानसभा चुनाव के मद्देनजर प्रदेश भाजपा और राज्य सरकार मतदाताओं से जीवंत संपर्क बनाना चाहती है। इसलिए स्थानीय नेताओं के बाद मंत्रियों और विधायकों को भी इंटरनेट मीडिया पर सक्रियता बढ़ाने और अपने-अपने विधानसभा क्षेत्रों में कम से कम पांच प्रतिशत मतदाताओं को फालोअर बनाने के निर्देश दिए हैं। मंत्रियों को इंटरनेट मीडिया पर सक्रिय रखने के लिए राज्य सरकार संसाधन भी उपलब्ध करा रही है। विभिन्न इंटरनेट माध्यमों पर उनके खाते भी खोले गए हैं। सरकार का मानना है कि मंत्री और विधायक इंटरनेट मीडिया के माध्यम से आमजन से जुड़ेंगे तो केंद्र और राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ जनता तक पहुंचाना आसान हो जाएगा। वे अपनी बात सीधे मंत्री या विधायक तक पहुंचा सकेंगे। जबकि राजनीति के जानकार कहते हैं कि यह विधानसभा चुनाव के मद्देनजर जनता से सीधे जुड़ाव से जुड़ा मामला है।

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