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अगर तीसरा विश्व युद्ध हुआ तो बट जाएगी पूरी दुनिया, जानिए भारत का रूख

नई दिल्‍ली (New Delhi)। रूस-यूक्रेन के युद्ध (Russo-Ukraine War) को आज पूरा एक साल हो गया है और इस युद्ध में ना अभी रूस (Russo-Ukraine) जीता और ना यूक्रेन ने हार मानी, लेकिन रूस के हमले में युक्रेन पूरी तरह से तवाह जरूर हो गया है। हाल ही में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) देश को संबोधित यह चेतावनी जरूर दे दी कि अभी दुनिया ने रूस की ताकत को देखा नहीं है। जिससे पुरी दुनिया एक बार फिर सहम सी गई है जिससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि क्‍या तीसरा विश्‍व युद्ध करीब आ गया है?



पूरी दुनिया में उथल-पुथल मची है। कहीं गृह युद्ध जैसे हालात बन चुके हैं तो कई देशों में जंग की स्थिति है। रूस-यूक्रेन के बीच फरवरी में शुरू हुआ युद्ध अब तक जारी है। उधर, चीन और ताइवान में भी जंग की आहट आने लगी है। इस्राइल और ईरान पहले से ही भिड़े हुए हैं।
जानकारी के लिए बता दें कि 23 फरवरी को रूस ने अपने पड़ोसी मुल्क यूक्रेन पर हमला बोल दिया था। आज पूरा एक साल हो गया है, लेकिन दोनों देशों के बीच ये जंग अब तक जारी है। कई बार परमाणु हमले की बात भी आई। यूक्रेन पूरी तरह से तबाह हो चुका है। यूक्रेन के कई शहर अब रूस के कब्जे में आ चुके हैं।

यूक्रेन की नाटो से जुड़ने की बात क्यों है रूस पर खतरा
नाटो यानी नॉर्थ अटलाटिंक ट्रीटी ऑर्गनाइजेशन वो संगठन है, जिसमें रूस का कट्टर दुश्मन अमेरिका भी शामिल है। ये संगठन युद्ध जैसे हालातों में एक-दूसरे की मदद करते हैं। ऐसे में यूक्रेन अगर नाटो से जुड़ जाए तो बड़े-बड़े देश रूस के खिलाफ उसका साथ देंगे। इसी बात ने रूस की सरकार को गुस्सा दिला दिया. उसने साल 2021 के आखिर में ही यूक्रेन की सीमाओं पर सैनिक तैनात करने शुरू कर दिए और 24 फरवरी 2022 को यूक्रेन पर हमला ही कर दिया. तब से युद्ध चल रहा है।


कौन से देश किस तरफ?

पश्चिमी उदारवादी और पूंजीवादी देश एक तरफ होंगे। इसमें अमेरिका, कनाडा, यूके, यूरोप, जापान और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं। दक्षिण कोरिया भी इसी तरफ होगा क्योंकि एक समय पर अमेरिका ने उसकी भारी मदद की थी।

दूसरा खेमा कौन सा
इस हिस्से में रूस होगा, जिसकी तरफ बेलारूस, इरान, सीरिया, वेनेजुएला और उत्तर कोरिया होंगे। चीन ऑन एंड ऑफ तरीके से रहेगा, लेकिन उसकी ज्यादा संभावना इसी पक्ष में रहने की है। इसकी एक वजह अमेरिका की बजाए खुद को सुपरपावर की तरह देखना है तो दुश्मन का दुश्मन दोस्त की तर्ज पर चीन कूटनीति खेल सकता है।

तीसरा हिस्सा बिल्कुल नया हो सकता है
इसमें विकासशील देश होंगे। भारत इनका अगुआ हो सकता है, जो कि विकसित देशों के लिए खतरा बनकर उभरा है। इसके साथ बाकी दक्षिण एशियाई देश होंगे. दक्षिण अमेरिका और अरब देश भी इस समूह में होंगे, जिनका आमतौर पर दोनों खेमों से पाला पड़ता है, और जो युद्ध रोकना चाहते हैं।

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