आचंलिक

क्षेत्र की नदियों का सीना छलनी कर पनडुब्बी के माध्यम से निकाली जा रही है अवैध रेत

सिरोंज। अधिकारियों की अनदेखी के कारण क्षेत्र की प्रसिद्ध केथन नदी के झागर घाट पर पनडुब्बी के जरिए अवैध रूप से रेत निकाल कर जेसीबी के द्वारा निकाली जा रही है। रेत माफियाओं ने नदियों में कुओं के आकार से बड़े-बड़े गड्ढे कर दिए हैं। वहीं राजस्व का नुकसान कर रेत कारोबारी मोटी कमाई कर रहे हैं। इस काले कारोबार में क्षेत्र के ही कुछ जवाबदार भी शामिल है जो की दिनदहाड़े खुलेआम रेत का अवैध भंडारन भी कर रहे हैं। वहीं इधर राजस्व विभाग के जिम्मेदार अनजान बने बैठे हुए है। जबकि खुलेआम पनडुब्बी के माध्यम से जेसीबी से रेत निकाल कर ट्रालियों के जरिए पांच हजार रूपए प्रति ट्राली में बेची जा रही है। आप इसी से अंदाजा लगा सकते हैं कि यह गोरखधंधा खुलेआम चल रहा है इसके बावजूद भी प्रशासन कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है जिससे प्रतीत हो रहा है कि प्रशासन की मिलीभगत से ही रेत माफियाओं के हौसले बुलंद हैं जिस वजह से खुलेआम रेट निकालकर गांव व शहर में बिकवा रहे हैं। किसान हरनाम सिंह ने बताया कि लगातार हो रहे इस अवैध परिवहन की वजह से किसानों को एवं आवागमन करने वालों को काफी परेशानी हो रही है क्योंकि दिनभर रेत से भरी ट्राली ढोने से ट्रैक्टर संचालक बहुत तेज स्पीड में ट्रैक्टर दौड़ते हुए ले जाते हैं जिसकी वजह से कई बार हादसे होने से भी बचे हैं। इसके अलावा लगातार बड़े वाहनो के यहां से निकलने की वजह से प्रधानमंत्री सड़क भी जगह-जगह क्षतिग्रस्त होने लगी है, जिस वजह से ग्रामीणों को भी समस्या होने वाली है लेकिन प्रशासन में बैठे जिम्मेदार अधिकारी इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं। यही वजह है कि अवैध माफिया रेत का अवैध उत्खनन कर खूब चांदी कर रहे हैं।

50 से अधिक ट्राली लगी हैं अवैध परिवहन के लिए
बताया जाता है कि उत्खनन माफियाओं का झागर तो मुख्य गढ़ है ही साथ ही इससे लगे आसपास के गांवों में से भी खुलेआम रेत का उत्खनन किया जा रहा है। प्रतिदिन लगभग 50 से अधिक वाहन काली रेत निकालकर बेधडक़ खुलेआम बेची जा रही है। इसके बाद भी कार्रवाई के नाम पर खनिज अधिकारी सिर्फ औपचारिकता निभाते हैं। इस विषय में विभाग जब भी वाहनों पर कार्रवाई करती है तो कुछ नेताओं का संरक्षण इन कारोबारियों को मिल जाता है। इससे पुलिस को भी पकड़े गए वाहन मजबूरी में छोडऩा पड़ते है। बताया जाता है कि झागर के आलावा ढिमरोली, उदारामपुर से घोंसुआ तक अवैध खनन इतना बेहिसाब और अंधाधुंध गति से हो रहा है अब शायद प्रशासनिक अधिकारियों पर भी अवैध खनन करने वाले भारी पड़ रहे हैं।


आरोप लगाने वाले भी गायब
पूर्व में कांग्रेश की सरकार पर आरोप लगाया जाता था कि पूर्व की कमलनाथ सरकार अवैध खनन को शह देते हैं लेकिन भाजपा के कार्यकाल में तो अवैध खनन दोगुना हो गया है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस अवैध उत्खनन में सत्ताधारी पार्टी के कई कद्दावर नेता शामिल हैं जिसकी वजह से प्रशासनिक अधिकारी इन पर कार्रवाई करने से बचते हैं, इसी का फायदा उठाकर उत्खनन माफिया खुलेआम क्षेत्र की नदियों का सीना छलनी कर रहे हैं।

दिनभर दौड़ते इन वाहनों से सड़क भी हो रही छतिग्रस्त
प्रतिदिन 50 से अधिक ट्राली झागर घाट से रेत को सिरोंज लाने के लिए प्रधानमंत्री सड़क से होकर स्टेट हाईवे पर से निकलती हैं। जबकि रेत का अवैध परिवहन दीपनाखेड़ा थाने एवं पथरिया थाने के मुख्य गेट के सामने से प्रतिदिन होता है। फिर भी जिम्मेदारों द्वारा कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जाती है जिसकी वजह से इन रेत माफियाओं के हौंसले दिन प्रतिदिन बुलंद होते जा रहे हैं और यदि कोई इनकी शिकायत करें तो यह खनन माफिया शिकायतकर्ता को जान से मारने की धमकी देने से भी नहीं कतराते हैं। इसी वजह से आसपास के ग्रामीण इनकी शिकायत भी नहीं करते हैं। क्षेत्र के किसान ने अपना नाम ना बताने की तर्ज पर बताया कि ए माफिया प्रशासन के साथ मिलकर इस अवैध कारोबार को अंजाम दे रहा है यदि कोई इनकी शिकायत करता भी है तो प्रशासन इन्हें पूर्व से ही अवगत करा देता है जिसकी वजह से यह माफिया घर आकर धमकी देते हैं।

 

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