भोपाल: मंगलवार को मोहन कैबिनेट की बैठक (Mohan cabinet meeting) में पचमढ़ी को लेकर बड़ा फैसला हुआ है. मोहन सरकार (Mohan Government) ने पचमढ़ी शहर को अभयारण्य से बाहर करने का फैसला किया, जिसके तहत पचमढ़ी की 395.93 हेक्टेयर जमीन को अब नजूल करने का फैसला कैबिनेट की बैठक में लिया गया है, जिसके बाद अब पचमढ़ी में जमीन खरीदी और बेची जा सकेगी.
वहीं मोहन सरकार ने बताया कि इस बार भी प्रदेश में गेहूं की रिकॉर्ड खरीदी जारी है, जिसका भुगतान भी लगातार किसानों को किया जा रहा है. इसके अलावा नक्सल जिलों को लेकर भी सरकार ने प्लान बनाने का फैसला किया है, जिसमें अहम डिसीजन लिया गया है.
मध्यप्रदेश का एकमात्र हिलस्टेशन पचमढ़ी शहर अब तक अभ्यारण में आता था, लेकिन मोहन कैबिनेट ने बड़ा फैसला लेते हुए पचमढ़ी शहर को अभयारण्य से बाहर करने डिसीजन लिया है, जिसके बाद पचमढ़ी की 395.93 हेक्टेयर जमीन को नजूल घोषित कर दिया जाएगा, जिसके बाद यहां जमीन की खरीदी और बिक्री भी शुरू हो सकेगी. पचमढ़ी अभयारण्य का नोटिफिकेशन फिर से जारी होगा, जिसमें बताया जाएगा कि कौन सा हिस्सा अभ्यारण में हैं और कौन सा नहीं होगा. मोहन कैबिनेट ने पचमढ़ी से जुड़ा यह फैसला सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद लिया है.
दरअसल, मध्यप्रदेश सरकार की तरफ से वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 की धारा 18 (1) के तहत 1977 में पचमढ़ी अभयारण्य अधिसूचित किया गया था. जिससे यहां क्षेत्र का सीमांकन नहीं किया हुआ था, ऐसे में सरकार भी यहां कोई फैसला नहीं ले पाती थी. बाद में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद अब सरकार ने यहां की जमीन को नजूल घोषित करने का फैसला किया है. जिससे अब यहां जमीना का खरीद विक्रय शुरू हो सकेगा. सुप्रीम कोर्ट में नजूल भूमि को लेकर जो केस चल रहा था, वह सरकार ने जीत लिया है.
वहीं कैबिनेट की बैठक में एक और अहम फैसला लिया गया है, जिसके तहत मध्यप्रदेश के नए जिलों में खाद्य कार्यालय खुलेंगे, मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने बताया कि मऊगंज, मैहर और निवाड़ी में नए खाद्य कार्यालय खोलने के निर्देश दिए गए हैं, कैबिनेट की बैठक में फैसला हुआ है कि यहां नाप तौल विभाग का भी दफ्तर खुलेगा ताकि लोगों को आसानी हो सके. बता दें कि यह तीनों मध्यप्रदेश में नए जिले बने हैं.
मोहन सरकार ने मध्यप्रदेश के नक्सल जिलों पर भी खास फोकस करने की बात कही है, बैठक में फैसला किया गया है कि छत्तीसगढ़ में नक्सलवादी लगातार समर्पण कर रहे है, जिसका असर एमपी में भी हुआ है. हमारे यहां बालाघाट,मंडला और डिंडोरी जिलों में नक्सलवाद है, उनका आवागम है वहां पर रहता है.
ऐसे में सरकार गांववासियों में से 850 ऐसे कार्यकर्ता खड़ा कर रहे करेगी जो यहां होने वाले नक्सलियों के मूवमेंट की जानकारी सरकार और प्रशासन को देंगे. सरकार इन्हें सभी सुविधाएं भी देगी और इन 850 कार्यकर्ताओं को हर महीने 25 हजार रुपए का वेतन भी दिया जाएगा. इस फैसले को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है. दरअसल, छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के खिलाफ लगातार एक्शन हो रहा है, ऐसे में अक्सर नक्सली एमपी की तरफ रुख करते हैं, लेकिन यहां भी सरकार सख्ती से पेश आ रही है.
मोहन सरकार ने बताया कि मध्यप्रदेश में हर साल की तरह इस साल भी गेहूं की रिकॉर्ड तोड़ खरीदी जारी है. शासकीय केंद्रों पर ज्यादा गेहूं बेचे जा रहे हैं, जिससे किसानों को फायदा हो रहा है. अब तक 8 लाख से अधिक किसानों से खरीदी कर 81 लाख मैट्रिक टन गेहूं खरीदा गया है, जिसके लिए सरकार की तरफ से 16 हजार 472 करोड़ का भुगतान किसानों को कर दिया गया है. बता दें कि अभी मध्यप्रदेश में गेहूं खरीदी का काम जारी है.
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