इंदौर न्यूज़ (Indore News)

Scheme 140 में भी त्रिशला-मेघना से मद्दा ने कराए बोगस अनुबंध

  • न्याय नगर की जमीन 11 लाख एकड़ में बिकवाने के साथ 49 लाख बयाने के भी हड़पे… एक बड़े कारोबारी को पहनाई करोड़ों की टोपी भी

इंदौर। भगोड़े और ईनामी भूमाफिया दीपक मद्दा (Land Mafia Deepak Madda) के खिलाफ कल रात प्रशासन (Administration) ने एक और एफआईआर (FIR) दर्ज करवाई। 29 एकड़ संस्था की जमीन कलेक्टर (Collector) ने सरकारी भी घोषित कर दी और साथ ही तहसीलदार को कब्जा लेने के आदेश दिए। न्याय नगर गृह निर्माण संस्था (Nyaya Nagar Housing Society) की ये जमीन अपनी जेबी संस्था त्रिशला गृह निर्माण में मद्दे ने शामिल कर ली और शहर के एक बड़े कारोबारी को भी करोड़ों की टोपी पहना दी, जिसने पिछले दिनों त्रिशला गृह निर्माण (Trishala Home Construction) पर अपने एक सहयोगी के माध्यम से कब्जा भी कर लिया। 800 करोड़ रुपए से ज्यादा की एमआर-10 (MR-10) से लगी इस बेशकीमती जमीन के मामले में मद्दा सहित अन्य के खिलाफ थाना खजराना (Police Station Khajrana) में नायब तहसीलदार ने विभिन्न धाराओं में एफआईआर दर्ज करवाई, जबकि मद्दा के खिलाफ आधा दर्जन एफआईआर पहले से ही दो थानों में दर्ज है। इस जमीनी जादूगर ने प्राधिकरण की योजना 140 में भी बड़ी डकैती डालने के प्रयास किए, जो अग्निबाण की सतर्कता से नाकाम हो गई। त्रिशला और मेघना जैसी जेबी संस्थाओं के माध्यम से प्राधिकरण के साथ भी 40 फीसदी तक विकसित भूखंड लेने के बोगस अनुबंध कर लिए।

अभी फरवरी-मार्च में मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) के निर्देश पर माफिया के खिलाफ जो मुहिम शुरू हुई उसमें दिलीप सिसौदिया (Dilip Sisodia) उर्फ दीपक मद्दा सहित 17 भूमाफियाओं (Land Mafia) के खिलाफ एफआईआर (FIR) दर्ज करवाई गई थी, मगर बाद में कोरोना (Corona) की दूसरी लहर (Second Wave) के चलते यह मुहिम ठंडी पड़ गई, जिसे अब फिर से कलेक्टर मनीष सिंह (Collector Manish Singh) ने तेज किया है। कुछ भूमाफिया (Land Mafia) तो पुलिस की गिरफ्त में आए और जेल में है, मगर दीपक मद्दा लगातार फरार ही है और एक मामले में चोरी-छुपे निचली अदालत से जमानत भी ले ली, जिसके खिलाफ हाईकोर्ट (High Court) में अपील भी कर दी गई है। वहीं अभी अन्य मामलों में भी हाईकोर्ट (High Court) में जमानत याचिका दायर की गई है। दूसरी तरफ कलेक्टर मनीष सिंह (Collector Manish Singh)  ने कल एक और बड़ी कार्रवाई करते हुए 29 एकड़ बेशकीमती जमीन माफियाओं से छुड़वाकर सरकारी घोषित कर दी। इस संबंध में अपर कलेक्टर डॉ. अभय बेड़ेकर (Additional Collector Dr. Abhay Bedekar) के न्यायालय ने भी आदेश पारित किए और दीपक मद्दा के साथ दिलावर, सोहराब, इस्लाम पटेल (Dilawar, Sohrab, Islam Patel) और जाकिर के खिलाफ खजराना थाने में नायब तहसीलदार रीतेश जोशी (Tehsildar Ritesh Joshi) ने कल रात धारा 420, 467, 468 और 120-बी के तहत एफआईआर दर्ज करवाई। अपर कलेक्टर डॉ. बेड़ेकर (Additional Collector Dr. Abhay Bedekar) के मुताबिक न्याय नगर संस्था की अनुबंधित जमीन त्रिशला गृह निर्माण को बेच दी गई, जबकि न्याय नगर के पीडि़त सालों से भूखंड प्राप्त करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। खजराना की सर्वे क्र. 172/1, 172/2 और 174/3 की 15 एकड़ जमीन किसान दिलावर व अन्य के साथ न्याय नगर ने अनुबंधित की थी। मगर इस जमीन को त्रिशला को अवैध तरीके से बेच दिया। वहीं 29 एकड़ पूरी जमीन शासन ने अतिशेष भूमि न मानते हुए 5 सालों के लिए कृषि कार्य के लिए विमुक्त की थी। मगर इसमें से 15 एकड़ जमीन शासन आदेश का उल्लंघन करते हुए न्याय नगर गृह निर्माण को 11 लाख रुपए एकड़ के मान से बेच दी। सूत्रों का यह भी कहना है कि प्रशासन ने जिस दिलावर पिता आलम को भी इस मामले में आरोपी बनाया है उसकी मौत हो चुकी है। वहीं यह भी उल्लेखनीय है कि दीपक मद्दे के खिलाफ अयोध्यापुरी, हिना पैलेस और पुष्प विहार (Ayodhyapuri, Hina Palace, Pushp Vihar) जमीन घोटालों के संबंध में पहले से ही आधा दर्जन एफआईआर थाना खजराना और एलआईजी में दर्ज करवा रखी है और पुलिस ने उस पर 20 हजार रुपए का ईनाम भी घोषित कर रखा है। न्याय नगर की जो जमीन 11 लाख रुपए एकड़ में दिलवाई गई उसमें भी 49 लाख 41 हजार रुपए बयाने के मद्दे ने हड़प लिए और यह राशि भी न्याय नगर को नहीं मिली। इतना ही नहीं, संस्थाओं की हड़पी जमीन कई कारोबारियों को भी बेची, जिसमें एक कारोबारी जो रियल इस्टेट (Real Estate) में भी कई कालोनियां (Colonies) काट चुका है उसे करोड़ों रुपए की टोपी पहना दी, जिसके चलते कुछ समय पूर्व उसके एक सहयोगी ने त्रिशला गृह निर्माण को अपने कब्जे में ले ली थी। इतना ही नहीं, दीपक मद्दे ने इसी तरह की जादूगरी प्राधिकरण की योजना 140 में भी दिखाई, जहां पर त्रिशला गृह निर्माण के साथ-साथ मेघना गृह निर्माण से अनुबंध करवा दिए। प्राधिकरण नियम मुताबिक जमीन मालिकों को 20 फीसदी विकसित भूखंड पूर्व में देता था, लेकिन मद्दे ने 20 प्रतिशत विकसित भूखंड के अलावा 20 प्रतिशत अन्य भूखंड गाइडलाइन के आधार पर कबाडऩा भी तय कर लिया। करोड़ों रुपए के भूखंड की डकैती का प्लान अग्निबाण ने चौपट कर दिया और अब सुप्रीम कोर्ट आदेश के बाद प्राधिकरण को 20 फीसदी भूखंड भी नहीं देना पड़ेंगे।


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