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ज्ञानवापी मामले में पैरोकार को पाकिस्तान से आई धमकी, पुलिस जांच में जुटी

वाराणसी। ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले (Gyanvapi Shringar Gauri Cases) में बुधवार को उस समय दहशत फैल गई जब मंदिर पक्ष के पैरोकार को पाकिस्तान (Pakistan) से धमकी भरी कॉल आई, हालांकि इस मामले में वादी के पति ने वाराणसी पुलिस में FIR दर्ज कराकर दावा किया है कि उसे पाकिस्तान के नंबर वाले एक अज्ञात कॉलर से सर तन से जुदा करने की धमकी मिली है।

आपको बता दें कि श्रृंगार गौरी-ज्ञानवापी मामले Gyanvapi Shringar Gauri Cases) की सुनवाई गुरुवार से जिला जज की अदालत में शुरू हो गई है। शिकायत मिलने के बाद अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ धमकाने की FIR दर्ज हुई है। इस पूरे मामले में लक्सा पुलिस स्टेशन अधिकारी (SO), अनिल साहू ने कहा कि हमने सोहन लाल आर्य से शिकायत मिलने के बाद अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ धमकाने की FIR दर्ज की है। पुलिस मामले में अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जांच कर रही है।

आर्य ने मीडिया से कहा कि उन्हें पाकिस्तान के एक मोबाइल नंबर से कोई कॉल कर धमका रहा है। उन्होंने कहा कि कॉलर राजस्थान में उदयपुर के कन्हैया लाल की तरह ‘सर तन से जुदा’ करने (सिर काटने) की धमकी दे रहा है। साथ ही फोन करने वाला हम पर केस वापस लेने के लिए दबाव बनाने के लिए गंभीर परिणाम की धमकी दे रहा है।



आर्य ने दावा किया कि उन्हें उसी पाकिस्तानी नंबर से 19 मार्च और फिर 20 जुलाई को कॉल आए। आर्य ने कहा, “इसके अलावा, 3 अगस्त की एक मिस्ड कॉल भी कॉल लिस्ट में है, जिस पर लक्ष्मी देवी ने ध्यान दिया था।” सोहन लाल आर्य लक्ष्मी देवी के पति हैं, जो 693/2021 राखी सिंह बनाम यूपी राज्य और अन्य के मामले में पांच वादी में से एक हैं। उन्होंने ज्ञानवापी परिसर के अंदर श्रृंगार गौरी और अन्य देवताओं की पूजा करने के अधिकार की मांग करते हुए अदालत का रुख किया है। जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में मामले की सुनवाई चल रही है।
गौरतलब है कि मूल वाद वाराणसी की जिला अदालत में 1991 में दायर किया गया था जिसमें उस स्थान पर जहां वर्तमान में ज्ञानवापी मस्जिद मौजूद है, प्राचीन मंदिर को बहाल करने का अनुरोध किया गया है। इस वाद में दलील दी गई है कि कथित मस्जिद उस मंदिर का हिस्सा है। इससे पूर्व, आठ अप्रैल, 2021 को वाराणसी की फास्ट ट्रैक कोर्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को काशी विश्वनाथ मंदिर- ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वेक्षण कराने का निर्देश दिया था, जिससे यह पता लगाया जा सके कि क्या मस्जिद का निर्माण करने के लिए मंदिर को ध्वस्त किया गया था।

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