वाशिंगटन ! निवर्तमान अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन (US President Joe Biden) ने हिंद-प्रशांत (Indo-Pacific) में भारत के साथ संबंध बढ़ाने को गर्व का विषय बताया। बाइडन (Joe Biden) ने कहा, अब एक नया दौर शुरू हो गया है। भारत (India) के साथ हमारे संबंधों को नई ऊर्जा मिली है। अमेरिका वैश्विक प्रतिस्पर्धा में ‘परचम’ लहरा रहा है, जबकि उसके प्रतिद्वंद्वी मुश्किलों का सामना कर रहे हैं।
फॉगी बॉटम स्थित अमेरिकी विदेश मंत्रालय के मुख्यालय में विदेश नीति पर बाइडन ने राष्ट्रपति रहते हुए अपना अंतिम भाषण दिया, जिसमें उन्होंने अपने प्रशासन की उपलब्धियों और पिछले चार वर्षों में दुनिया में आए बदलावों पर प्रकाश डाला। इसमें उन्होंने कहा-हमने भारत के साथ कई मोर्चों पर मिलकर काम किया और हमारे संबंध लगातार बेहतर हुए।
भारतवंशी कमला हैरिस ने दी मजबूती
बतौर राष्ट्रपति अंतिम भाषण में बाइडन ने कहा कि उनके और उपराष्ट्रपति कमला हैरिस के पदभार संभालने के बाद से अमेरिका ने अपनी वैश्विक स्थिति को और मजबूत किया है। अब, अमेरिका अधिक सक्षम है हम इसी की ओर बढ़ रहे हैं। और हम अगले प्रशासन को एक मजबूत राष्ट्र सौंप रहे हैं। हमारी राष्ट्रीय शक्ति के स्रोत पहले की तुलना में अधिक मजबूत हैं। हमने अपनी कूटनीतिक ताकत बढ़ाई और देश के इतिहास में अमेरिका में अब तक के सबसे अधिक साझेदार बनाए हैं। हमारी प्रौद्योगिकियां एआई बायोटेक क्वांटम तक उन्नत हैं।
नाटो, क्वाड, ऑकुस पहले से मजबूत
बाइडन ने अमेरिकी गठबंधन को पहले से ज्यादा मजबूत बताया। नाटो पहले से कहीं अधिक सक्षम है और इसके कई सहयोगी अपना उचित हिस्सा चुका रहे हैं। मेरे पद संभालने से पहले, नौ नाटो सहयोगी रक्षा पर अपने सकल घरेलू उत्पाद का 2 प्रतिशत खर्च कर रहे थे। अब 23 सहयोगी 2 प्रतिशत खर्च कर रहे हैं। हमने चीन के आक्रामक व्यवहार को चुनौती देने और क्षेत्र में शक्ति को संतुलित करने के लिए साझेदारियों को मजबूत बनाया है और नई साझेदारियां बनाई है। बाइडन ने क्वाड, ऑकुस जैसे गठबंधनों का भी जिक्र किया।
चीन अमेरिका से कभी आगे नहीं निकल पाएगा
बाइडेन ने अपने अंतिम भाषण कहा, चीन अमेरिका से कभी आगे नहीं निकल पाएगा। विशेषज्ञों के अनुमान पर बाइडेन बोले कभी कहा जाता कि चीन की अर्थव्यवस्था अमेरिका से आगे निकल जाएगी, लेकिन चीन जिस की जो नीतियां हैं उससे वह अमेरिका से कभी आगे नहीं निकल पाएगा। उन्होंने सलाह दी कि चीन सरकार को अकेले नहीं बल्कि अपने सहयोगियों के साथ आगे बढ़ना चाहिए।
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