ज़रा हटके देश

इस मंदिर में माता की मूर्ति दिन में तीन बार बदलती है रूप, तोड़ने पर आई थी आपदा

डेस्क: भारत में कई ऐसे मंदिर हैं, जिनके रहस्य का आज तक पता नहीं चल सका है. ऐसा ही एक रहस्यमयी मंदिर उत्तराखंड में हैं. उत्तराखंड में स्थित धारी देवी माता (Dhari Devi Temple) के मंदिर का रहस्य सबको आज भी चौंकाता है. भारत में तमाम प्राचीन काल के मंदिरों के बीच धारी देवी मंदिर का रहस्य (Mystery of Dhari Devi Temple) आज भी वैज्ञानिकों के लिए चुनौती बना हुआ है.

मान्यता है कि धारी देवी माता के मंदिर में लगी मूर्ति दिन में तीन बार अपना रूप बदलती है. मान्यता है कि मंदिर की मूर्ति सुबह एक कन्या की तरह दिखती है, दोपहर में एक युवती की तरह और शाम होते-होते मंदिर की मूर्ति किसी बूढ़ी महिला के रूप में नजर आने लगती है. धारी देवी मंदिर उत्तराखंड के श्रीनगर से 14 किलोमीटर दूर स्थित है. इस मंदिर को बहुत ही चमत्कारिक मंदिर माना जाता है. इस मंदिर के चमत्कार को देखकर लोगों को बहुत हैरानी होती है.


पौराणिक कथाओं के अनुसार, धारी देवी मंदिर एक बार भीषण बाढ़ में बह गया था. इस दौरान मंदिर में मौजूद माता की मूर्ति भी बह गई थी. यह मूर्ति धारो गांव के पास स्थित चट्टान से टकराकर रुक गई थी. मान्यता है कि इस दौरान मूर्ति से एक आवाज निकली थी. इस आवाज ने गांव वालों को मूर्ति स्थापित करने का निर्देश दिया था. इसके बाद गांव वालों ने वहां माता का मंदिर बनावाया था.

साल 2013 में उत्तराखंड में भीषण बाढ़ आई थी. इस आपदा में हजारों लोग मारे गए थे. मान्यता है कि माता के मंदिर को तोड़ा गया था तथा मूर्ति को उसके मूल स्थान से हटा दिया गया था. इसी वजह से उत्तराखंड में भयानक आपदा आई थी. लोग बताते हैं कि धारा देवी मंदिर की प्रतिमा को 16 जून 2013 की शाम को अपने मूल स्थान से हटा दिया गया था. इसके कुछ ही घंटों बाद राज्य में भीषण आपदा आई थी. हालांकि ‘जी न्यूज’ इस दावे की पुष्टि नहीं करता.

Share:

Next Post

जस्टिस रमण बोले- कानून के प्रभाव का असर नहीं करतीं विधायिका, बन जाते हैं 'बड़े मुद्दे', न्यायपालिका पर बढ़ रहा बोझ

Sat Nov 27 , 2021
नई दिल्ली। प्रधान न्यायाधीश एनवी रमण ने कहा है कि विधायिका (संसद व विधानसभाएं) उसके द्वारा बनाए जाने वाले कानूनों के प्रभाव का अध्ययन या आकलन नहीं करतीं इस कारण ये कई बार ‘बड़े मुद्दे’ बन जाते हैं। इस कारण न्यायपालिका पर भी मुकदमों का अत्यधिक बोझ बढ़ जाता है। जजों व वकीलों को संबोधित […]