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भारत चीन सैन्य वार्ता: सीमा विवाद पर 14 वें दौर की वार्ता सकारात्मक, पर नहीं निकला स्वीकार्य समाधान

नई दिल्ली। भारत व चीन के बीच सीमा विवाद को लेकर बुधवार को हुई 14 वें दौर की सैन्य वार्ता में दोनों देशों के बीच बात तो सकारात्मक रही, लेकिन कोई हल नहीं निकला। अच्छी बात यही है कि दोनों पड़ोसी देश लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर जारी गतिरोध को लेकर आगे भी चर्चा जारी रखेंगे।

बुधवार को हुई वार्ता को लेकर गुरुवार को दोनों देश अधिकृत बयान जारी कर सकते हैं। दोनों देशों के बीच वार्ता का अगला दौर जल्दी होगा। बातचीत के दौरान भारतीय पक्ष चीनी सेना को कोंगका ला के पास गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स और दौलत बेग ओल्डी क्षेत्र में देपसांग और डेमचोक सेक्टर के चारडिंग नाला जंक्शन में गश्त केक अधिकारों के मुद्दों को हल करने के लिए मनाने में विफल रहा।

कुल मिलाकर बातचीत बिना किसी सकारात्मक नतीजे के खत्म हो गई। हालांकि कहा गया है कि दोनों देशों के बीच स्वीकार्य समाधान के प्रयास प्रगति पर हैं। इसका मतलब है कि भारतीय सेना और पीएलए कमांडर दोनों भविष्य में भी बातचीत जारी रखेंगे।


हालांकि यह गारंटी नहीं है कि क्या चीनी सेना गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स में अप्रैल 2020 की यथास्थिति को बहाल करेगी या देपसांग बुलगे या सीएनजे मुद्दे को हल किया जाएगा। भारतीय सेना ने पीएलए के पैंगोंग त्सो पर एक पुल के निर्माण का मुद्दा भी उठाया, ताकि तेजी से सेना की तैनाती और चीनी सेना द्वारा कब्जे किए गए अक्साई चिन क्षेत्र में तेजी से सैन्यीकरण किया जा सके।

मई 2020 से जारी है गतिरोध, चीन ने किया एलएसी में बदलाव
भारत और चीन की सेनाओं के बीच लद्दाख में एलएसी के साथ गतिरोध कायम है। चीनी सेना ने राष्ट्रपति शी जिनपिंग के नेतृत्व वाले केंद्रीय सैन्य आयोग के निर्देशों के तहत मई 2020 में एलएसी को एकतरफा रूप से बदलने का प्रयास किया था।

उसके बाद से दोनों देशों के बीच गतिरोध जारी है। दोनों सेनाओं ने क्षेत्र में अपने बलों को तैनात किया है। इनमें वायु सेना के अलावा मिसाइल, रॉकेट, तोपखाने और टैंक रेजिमेंट शामिल है। चीन ने मई 2020 में पैंगोंग त्सो, गलवान, गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्र में अतिक्रमण करके 1993 और 1996 के द्विपक्षीय शांति समझौतों को तोड़ दिया।

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