संयुक्त राष्ट्र। यमन में जो हालात हैं उसको लेकर भारत समेत संयुक्त राष्ट्र भी चिंतित है। वहीं युद्ध के बाद हुए हालातों पर यूएन ने इसे दुनिया का सबसे बुरा मानवीय संकट बताया है। वहीं संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने मंगलवार (स्थानीय समय) को कहा कि भारत ने गेहूं के निर्यात को प्राथमिकता देकर यमन में खाद्य सुरक्षा को बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए हैं।
यमन पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में बोलते हुए, उन्होंने कहा कि गेहूं निर्यात पर हमारे राष्ट्रीय नियमों के बावजूद, हमने यमन को गेहूं निर्यात करना जारी रखा है। भारत द्वारा मानवीय सहायता को लेकर कहा कि हम भविष्य में भी ऐसा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि पिछले 30 दिनों के भीतर ब्लैक सी ग्रेन इनिशिएटिव के तहत लगभग 85,000 मीट्रिक टन के दो गेहूं शिपमेंट यमन के लिए रवाना हुए हैं। हम इस विकास का स्वागत करते हैं और आशा करते हैं कि यह महत्वपूर्ण पहल यमन को लाभान्वित करती रहेगी।
यूएनएससी में संयुक्त राष्ट्र के स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने कहा कि यमन एक चौराहे पर है, एक रास्ता संघर्ष से शांतिपूर्ण समाधान की ओर ले जाता है और दूसरा सक्रिय शत्रुता की ओर जाता है, जो केवल यमनी लोगों की पीड़ा को बढ़ाएगा। अब यमन को तय करना है कि उसका आगे भविष्य क्या होगा। कंबोज ने यमन से सैन्य दृष्टिकोण को त्याग कर और एक व्यापक राष्ट्रव्यापी युद्धविराम में सैनिकों को मनाकर शांति की राह अपनाने का आग्रह किया।
उन्होंने आगे जोर दिया कि संघर्ष को समाप्त करने के लिए एक समावेशी राजनीतिक संवाद शुरू करना चाहिए। ताकि यमनी लोगों को उससे कुछ फायदा हो। साथ ही कहा कि हम अंसार अल्लाह या कहें हूती विद्रोहियों की कार्रवाइयों से चिंतित हैं और यमन में बंदरगाहों और शिपिंग जहाजों पर उनके हमलों और यमन के भीतर और बाहर यात्रा करने वाले शिपिंग जहाजों के लिए उनके खतरों की निंदा करते हैं।
अफ्रीकी देशों में समुद्री सुरक्षा पर भारत ने कही यह बात
भारत ने गिनी की खाड़ी सहित समुद्री सुरक्षा को मजबूत करने के लिए सभी राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रयासों को और तेज करने का संकल्प लिया। भारत ऐसे सभी प्रयासों का समर्थन करने का भी संकल्प लिया। अफ्रीका में शांति और सुरक्षा पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में बोलते हुए भारत के उप स्थायी प्रतिनिधि आर रवींद्र ने कहा कि भारत नौसेना की तैनाती के माध्यम से समुद्री मामलों पर अफ्रीकी देशों के साथ जुड़ा हुआ है। हमारा ध्यान विशेष रूप से गिनी की खाड़ी पर है।