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भारतीय वैज्ञानिक दंपत्ति का दावा, कोविड-19 सीफूड मार्केट से नहीं बल्कि वुहान में लैब से उत्पन्न हुआ

 

नई दिल्ली। दुनियाभर में कहर बरपा रहे कोरोना वायरस (Corona Virus) की उत्पत्ति को लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। हालांकि सबसे अधिक आशंका चीन (China) के वुहान स्थित लैब (wuhan lab) से इस वायरस (Virus) के लीक होने की जताई जा रही है। इसके समर्थन में वैश्विक स्तर पर कई तथ्य भी पेश किए जा रहे हैं।

इस बीच महाराष्ट्र (Maharastra) के रहने वाले एक वैज्ञानिक दंपती ने कुछ तथ्य जुटाए हैं, जिससे पता चलता है कि सार्स-सीओवी-2 वायरस (Covid-19) वुहान में एक लैब से उत्पन्न हुआ न कि सीफूड मार्केट से। चीन कोरोना वायरस (Corona Virus) की उत्पत्ति सीफूड मार्केट से होने का दावा करता आ रहा है।  

अपने शोध के बारे में वैज्ञानिक डॉ. राहुल बाहुलिकर और डॉ. मोनाली राहलकर कहा कि वह सटीक ढंग से नहीं जानते कि क्या वायरस लीक हुआ था लेकिन यह एक मजबूत अनुमान है क्योंकि हमारा शोध लैब से इस वायरस के लीक होने का संकेत देता है।

उन्होंने कहा कि हमने अपना शोध अप्रैल 2020 में शुरू किया था। हमने पाया कि सार्स-सीओवी-2 के संबंधी आरएटीजी13 को दक्षिण चीन के युन्नान प्रांत के मोजियांग की गुफाओं से एकत्र किया गया।

आरएटीजी13 भी एक कोरोना वायरस है। यह वायरस वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी ले जाया गया। हमने यह भी पाया गया गुफा में चमगादड़ों की भरमार थी और इसे साफ करने के लिए छह खनिक रखे गए थे जोकि निमोनिया जैसे बीमारी से संक्रमित हो गए।


वायरस के जीनोम से बदलाव से पैदा हुआ कोरोना
उन्होंने कहा कि वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी और वुहान में अन्य लैब वायरस पर प्रयोग कर रहे थे। आशंका है कि उन्होंने वायरस के जीनोम में कुछ बदलाव किए और यह संभव है कि यह इस दौरान मौजूदा कोरोना वायरस की उत्पत्ति हो गई।

उन्होंने बताया कि उन्होंने अपना पहला प्री प्रिंट प्रकाशित करने के बाद, एक ट्विटर यूजर सीकर से संपर्क किया। यह ड्रैस्टिक नामक समूह का हिस्सा है। ड्रैस्टिक यानी डीसेंट्रलाइज्ड रेडिकल ऑटोनॉमस सर्च टीम इंवेस्टीगेटिंग कोविड-19 नाम दिया है। यह समूह कोरोना वायरस की उत्पत्ति को लेकर सुबूत जुटा रहा है।

डॉ. बाहुलिकर ने बताया कि सीकर छिपे शोध सामग्री को खोजने में माहिर है। उन्होंने चीनी भाषा में एक थीसिस साझा कि जिसमें खनिकों में हुई गंभीर बीमारी के बारे में विस्तृत जानकारी दी है। उनके लक्षण बहुत हद तक कोविड-19 से मिलते जुलते थे। उनके सीटी स्कैन की तुलना कोविड मरीजों से भी की गई और पता चला कि वे लगभग एक जैसे थे।

सीफूड मार्केट को लेकर कोई सुबूत नहीं
उन्होंने कहा कि युन्नान खदान से फैले कोविड-19 के बारे में थ्योरी टिकती नहीं है क्योंकि युन्नान में कोई मामला नहीं है। अन्य थ्योरी यह है कि वायरस चमगादड़ से हस्तांतरित हुआ और बाद में सीफूड मार्केट के जरिए फैला लेकिन इसका कोई सुबूत नहीं है। साथ ही वायरस की संरचना ऐसी थी कि यह मनुष्यों को संक्रमित कर रहा था और यह ये संकेत है कि यह एक लैब से उत्पन्न हुआ।

वैज्ञानिकों ने यह भी आरोप लगाया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने लैब से वायरस के लीक होने संबंधी आशंका पर सही से जांच नहीं कराई। हम इस थ्योरी की उचित जांच की मांग कर रहे हैं। हमने इस बारे में डब्ल्यूएचओ को तीन पत्र लिखे जोकि अंतरराष्ट्रीय प्रकाशनों में छपे।

डब्ल्यूएचओ ने इस थ्योरी पर बहुत कम काम किया है कि वायरस लैब से लीक हो सकता है। अब अमेरिकी राष्ट्रपति भी कह रहे हैं कि मामले की 90 दिनों के भीतर जांच की जानी चाहिए और भारत ने भी इसका समर्थन किया है।

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