इंदौर। नेहरू स्टेडियम (Nehru Stadium) में गुरुवार शाम महिलाएं बेचैन थीं। घर जाने की जल्दी थी। वे एक नंबर गेट पर पहुंचीं तो गेट बंद (gate closed) था। पुलिसकर्मियों (policemen) ने महिलाओं को दो नंबर गेट पर भेजा, वहां से गेट नंबर तीन की ओर भेजा गया। यह सिलसिला चलता रहा जब तक स्टेडियम के गेट खत्म नहीं हो गए। स्टेडियम में सभी गेट बंद होने से महिलाओं ने अपने आप को बंधक महसूस किया और आपा खो दिया। मर्जी से आने के बाद यहां महिला शक्ति लाचार (women power helpless) महसूस कर रही थी। पुलिस और प्रशासन (Administration) से खूब बहस हुई।
नेहरू स्टेडियम में इंदौर (Indore) प्रशासन ने ‘वन भारत साड़ी वाकाथान’ (One Bharat Saree Marathon) कार्यक्रम आयोजित किया। इसमें मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव (CM Mohan Yadav) मुख्य अतिथि के रूप में आने वाले थे। योजना के अनुसार महिलाएं स्टेडियम के चारों तरफ साड़ी में वाक करने वाली थीं। इसके लिए प्रशासन ने 25 हजार महिलाओं को लाने का लक्ष्य रखा था। योजना के अनुसार दोपहर दो बजे से महिलाएं स्टेडियम में आने लगीं। धूप में महिलाएं बैठतीं गईं। मंच पर जुम्बा, नृत्य, रैंप वाक जैसे सांस्कृतिक कार्यक्रम हो रहे थे।
सीएम का पौने छह बजे कार्यक्रम में पहुंचना तय था, परंतु ऐसा नहीं हुआ। सीएम का काफी इंतजार करने के बाद महिलाएं घर जाने लगीं। जब इसकी भनक प्रशासन को लगी तो उन्होंने स्टेडियम के सभी गेट बंद करवा दिए। साढ़े पांच बजे से ही गेट बंद हो गए थे। महिलाएं स्टेडियम के अंदर और उनके बच्चे गेट के बाहर फंस गए। इससे महिलाएं बेचैन होने लगीं, पुलिस कर्मियों और प्रशासन से बहस करने लगीं। इनके तमाम प्रयासों के बाद भी गेट नहीं खोले गए।
महिलाओं में गुस्सा देखकर पुलिस गेट पर ताला लगाकर हट गई। गुस्से में आकर महिलाएं गेट पीटने लगीं और पत्थर से ताला तोड़ने का प्रयास करने लगीं। कई महिलाएं तो भावुक हो गईं। हंगामा होते देखकर प्रशासन ने करीब साढ़े सात बजे स्टेडियम के गेट खोले। स्टेडियम खाली होने के बाद रिकार्ड देरी से साढ़े आठ बजे सीएम स्टेडियम पहुंचे।
स्टेडियम में छोटे बच्चे मां के बाहर नहीं जा पाने से परेशान हो रहे थे। इससे महिलाओं के साथ मासूमों ने मजबूरी में पत्थर उठा लिए। कार्यक्रम में काफी देर होने से भीड़ घर जाने लगी तो प्रशासन के हाथ पांव फूल गए। तहसीलदार और डिप्टी कलेक्टर गेट पर दौड़कर पसीना बहा रहे थे। स्टेडियम के गेट पर तहसीलदार और डिप्टी कलेक्टर जैसे अधिकारियों की ड्यूटी लगी थी।
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