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इंदौर: पहली बार निगम ने दिया तोडफ़ोड़ का मुआवजा

  • May 10, 2025

    22 लाख कोर्ट में जमा कराए, गणेशगंज के मकान को तोडऩे पर कोर्ट ने जारी किया था कुर्की का आदेश

    इंदौर। नगर निगम (Municipal council) द्वारा कोर्ट में 22 लाख रुपए मुआवजे (Compensation) के आदेश के परिपे्रक्ष्य में जमा कराए गए हैं। कोर्ट द्वारा गणेशगंज (Ganeshganj) में नगर निगम द्वारा एक मकान में की गई तोडफ़ोड़ पर 2.24 करोड रुपए का मुआवजा मंजूर किया गया था। यह राशि निगम (Corporation) द्वारा जमा नहीं किए जाने पर कोर्ट द्वारा कुर्की का आदेश जारी किया गया था। अब निगम ने कोर्ट में 22 लाख रुपए जमा करवाकर कुर्की के आदेश को चुनौती दी है।



    नगर निगम परिषद की बैठक में 4 अप्रैल को जब बजट पर चर्चा हो रही थी, उस समय कोर्ट की एक टीम नगर निगम में कुर्की करने के लिए पहुंच गई थी। इस टीम को लेकर पहुंचे थे रविशंकर मिश्रा। नगर निगम द्वारा सडक़ को चौड़ा करने के लिए वर्ष 2017 में मिश्रा के गणेशगंज में स्थित घर के हिस्से को तोड़ा गया था। उनकी जमीन को नगर निगम द्वारा सडक़ के लिए ले लिया गया था। उन्होंने नगर निगम की कार्रवाई पर न्यायालय में निजी वाद दायर किया और मुआवजे की मांग की। कोर्ट से उनके पक्ष में 2.24 करोड रुपए के भुगतान का आदेश जारी हो गया। इस आदेश के बाद निगम को यह राशि चुकाना थी। निगम द्वारा यह राशि नहीं चुकाई गई तो ऐसे में कोर्ट से निगम के नाम पर डिक्री जारी हो गई। इस डिक्री के आधार पर कोर्ट की टीम निगम में कुर्की करने के लिए पहुंच गई थी।

    उस समय तो निगम के अधिकारियों के द्वारा जैसे-तैसे करके कुर्की की कार्रवाई को रुकवा लिया गया था। इन अधिकारियों द्वारा कोर्ट की टीम को यह भरोसा दिलाया गया था कि वह इस मामले में जल्द ही आगे की कार्रवाई कर देंगे। अब नगर निगम के द्वारा इस मामले में कुर्की की राशि की 10 प्रतिशत राशि यानी की 22 लाख रुपए कोर्ट में जमा कराए गए हैं। यह राशि जमा करवाने के साथ ही नगर निगम द्वारा मुआवजा देने के कोर्ट के आदेश को अपील कर चुनौती दी गई है। अपील करने के लिए यह आवश्यक है कि जितनी राशि का मुआवजा स्वीकृत किया गया है, उसका 10 प्रतिशत कोर्ट में जमा करवाया जाए। इस नियम का निगम द्वारा पालन करते हुए आगे की कार्रवाई शुरू कर दी गई है।

    कागज पर ही रुक गई जांच
    इस मामले में शिकायतकर्ता रविशंकर मिश्रा के मकान को नगर निगम द्वारा बदले की कार्रवाई करते हुए सील भी कर दिया गया था। इस कार्रवाई पर महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने आपत्ति ली थी। उन्होंने महापौर परिषद के तीन सदस्यों की जांच कमेटी बनाई थी। इस कमेटी को इस पूरे मामले की जांच करने और अपनी रिपोर्ट देने के लिए कहा गया था। इस जांच कमेटी द्वारा जांच का कार्य तो जोर-शोर से शुरू किया गया था, लेकिन यह काम मझधार में ही रुक गया है। कागज पर शुरू हुई जांच कागज पर ही अटक कर रह गई है। इस मामले की जांच के लिए गठित की गई कमेटी में महापौर परिषद के सदस्य निरंजन सिंह चौहान गुड्डू, राजेश उदावत और नंदकिशोर पहाडिय़ा को लिया गया था।

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