इंदौर न्यूज़ (Indore News)

इन्दौर : हिट एन रन, राहगीर को रौंदते हुए भाग गया कार वाला

किराना का सामान लेने जा रहे युवक को कार ने मारी टक्कर, मौत

इन्दौर। हिट एन रन के एक मामले में सांवेर रोड पर किराना का सामान लेने जा रहे एक युवक को कार ने टक्कर मार दी। युवक की इस हादसे में मौत हो गई। कार वाला मौके से तो भाग गया, लेकिन अपने पीछे सबूत छोड़ गया, जिससे पुलिस उस तक आसानी से पहुंच जाएगी।


मिली जानकारी के अनुसार संजय नगर में 27 वर्षीय पवन पिता लालाराम नामदेव घर से निकला और किराना का सामान लेने के लिए सडक़ पार करने लगा। इस दौरान उज्जैन की ओर जा रही एक कार ने उसे जोरदार टक्कर मारी और कार चालक कार लेकर फरार हो गया। वहां जमा भीड़ ने कार का नंबर नोट कर लिया। पवन को इलाज के लिए एमवाय अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उसकी मौत हो गई। पवन पेशे से किसान था। उसकी आठ साल पहले शादी हुई थी। परिवार में एक बेटा, पत्नी और माता-पिता हैं।

कार नंबर के आधार पर होगी कार चालक की पहचान
हिट एन रन के इस मामले में जैसे ही कार वाले ने पवन को टक्कर मारी तो वहां जमा भीड़ ने कार को रोकने की कोशिश की, लेकिन कार वाला रफ्तार से कार भगा ले गया। उसकी कार का नंबर एमपी09- झेडवी-6468 लोगों ने नोट कर लिया और पुलिस को सौंपा। पुलिस आरटीओ से कार के मालिक और ड्राइवर की जानकारी निकालकर आगे की कार्रवाई करेगी।

नए कानून में दोनों वाहनों के चालक 10 साल की सजा में नपेंगे, जुर्माना अलग भरंेगे

बीते दिनों संसद में हिट एन रन के मामलों को लेकर बने नए कानून के मुताबिक दोनों युवकों की मौत के जिम्मेदार वाहन चालक मौके से वाहन लेकर फरार हो गए। दोनों ही वाहन चालकों ने न तो पुलिस को सूचना दी और न ही मजिस्ट्रेट को। दोनों की पहचान होने के बाद पुलिस कार्रवाई होगी और दोनों को 10 साल की सजा के साथ 7 लाख का जुर्माना भी होगा। हालांकि इस कानून के व्यावहारिक पहलू को देखा जाए तो जहां दुर्घटना घटी वहां के थाने का नंबर ड्राइवर को कैसे पता होगा? यूं भी ड्राइवर इतनी जानकारी नहीं रख सकता है कि वह जिस ओर जा रहा है वहां के थानों की नंबर की सूची अपने पास रखें। हाइवे या अन्य मार्गों पर एक्सीडेंट के मामले में तो थानों की सीमाएं भी उसे याद रखना होगी।

कार्रवाई से बचने के लिए सीधे थाने पहुंच जाना था
दोनों ही हादसों के जिम्मेदार वाहन चालको को अगर इस कार्रवाई से बचना था तो उन्हें सीधे स्थानीय पुलिस स्टेशन पहुंचकर सरेंडर कर देना था। प्रावधान के अनुसार ऐसी स्थिति में पुलिस नरमी बरत सकती थी। नए कानून में भी यह स्पष्ट उल्ल्लेख है कि ड्राइवर घायल को अस्पताल लेकर जाएं, जिससे उसकी जान बचाई जाए, लेकिन यहां ऐसा नहीं हुआ।

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