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इंदौरः काली बिल्लौद में शुरू हुआ देश का पहला ग्रामीण फीकल स्लज ट्रीटमेंट प्लांट

मंत्री सिसौदिया ने किया लोकार्पण, दस ग्राम पंचायतों को मिली प्लास्टिक प्रबंधन इकाइयों की सौगात

इंदौर। स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) फेज-2 का एक प्रमुख उद्देश्य वर्ष 2025 तक ग्रामों में अपशिष्ट प्रबंधन की गतिविधियों को बढ़ावा देकर पर्यावरणीय स्वच्छता को टिकाऊ बनाने में योगदान देना है, जिससे ग्रामीण आबादी का जीवन स्तर बेहतर हो सके। इसी उद्देश्य को सार्थक रूप देते हुए मंगलवार को पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री महेंद्र सिंह सिसौदिया ने इंदौर के देपालपुर तहसील स्थित ग्राम काली बिल्लौद में नवनिर्मित फीकल स्लज ट्रीटमेंट प्लांट तथा दस प्लास्टिक प्रबंधन इकाइयों का लोकार्पण किया।

उल्लेखनीय है कि काली बिल्लौद में भारत का पहला कार्यकारी फीकल स्लज ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण किया गया है, जो ना केवल ग्राम पंचायत काली बिल्लौद बल्कि आसपास की 6 अन्य ग्राम पंचायतों से मानव-अपशिष्ट के उचित निपटान की अचूक और कारगर व्यवस्था स्थापित करेगा। प्लांट के लोकार्पण अवसर पर जिला पंचायत के उपाध्यक्ष गोपाल सिंह चौधरी, राज्य कार्यक्रम अधिकारी स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण निधि निवेदिता, जिला पंचायत सीईओ हिमांशु चंद्र तथा स्थानीय जनप्रतिनिधि एवं अधिकारी उपस्थित रहे।

यह फीकल स्लज ट्रीटमेंट प्लांट प्रदेश के लिये बड़ी उपलब्धि
मंत्री महेंद्र सिंह सिसौदिया ने कहा कि आज इंदौर के काली बिल्लौद में भारत का प्रथम कार्यकारी ग्रामीण फीकल स्लज ट्रीटमेंट प्लांट शुरू होने जा रहा है। यह ग्रामीण स्वच्छता के क्षेत्र में इंदौर एवं प्रदेश के लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी ने स्वतंत्रता के दौरान स्वच्छता का नारा देशभर को दिया था उसके बाद हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गांव में स्वच्छता को प्राथमिकता देते हुए स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण शुरू किया और इसे आंदोलन का रूप दिया।

उन्होंने कहा कि इंदौर ग्रामीण क्षेत्रों की स्वच्छता में भी नंबर वन है और उन्हें पूरा विश्वास है कि इंदौर के ग्रामीण क्षेत्र जल्द ही ओडीएफ प्लस स्टेटस भी प्राप्त कर लेंगे। उन्होंने कहा कि जिलेवासियों, जनप्रतिनिधियों, स्व सहायता समूह की महिलाओं तथा स्वच्छता कर्मियों ने स्वच्छता अभियान को युद्ध स्तर पर क्रियान्वित कर जिले को स्वच्छता के क्षेत्र में नंबर वन होने की उपाधि दिलाई है और उन्हें आशा है कि आगे भी सभी लोग इसी तरह जनसहयोग के माध्यम से इंदौर को स्वच्छता मिशन के दूसरे चरण में भी नीत नवीन उपलब्धियां दिलाएंगे।

सिसौदिया ने कहा कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का यह संकल्प है कि स्व सहायता समूह से जुड़ी महिलाएं आत्मनिर्भर एवं रोजगारोन्मुखी बने। आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के निर्माण के लिए सबसे पहले ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को आत्मनिर्भर होना जरूरी है। उन्होंने बताया कि प्रदेश भर में 26 लाख स्व सहायता समूह गठित किए गए हैं और आगे आने वाले समय में इन समूहों का और विस्तार किया जाएगा। मुख्यमंत्री का संकल्प है कि स्व सहायता समूह की महिलाएं स्वयं आत्मनिर्भर बन परिवार और समाज को उन्नति के पथ पर लेकर आ सकें। उन्होंने कार्यक्रम में उपस्थित सदस्यों से अनुरोध किया कि वे सभी संकल्प ले कि उनके घर, मोहल्लों और सड़कों को स्वच्छ रखने में पूर्ण इमानदारी के साथ वे अपने दायित्वों का निर्वहन करेंगे और स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण को सफल बनाएंगे।

राज्य कार्यक्रम अधिकारी ग्रामीण स्वच्छ भारत मिशन निधि निवेदिता ने कहा कि इंदौर प्रदेश का पहला जिला था जिसे 2016 में ओडीएफ घोषित किया गया था। अब स्वच्छ भारत ग्रामीण मिशन के दूसरे चरण में ओडीएफ प्लस के लक्ष्य को पूर्ण करना हम सभी का संकल्प है। उन्होंने बताया कि इस वर्ष प्रदेश भर में लगभग 500 ग्राम पंचायतों को ओडीएफ प्लस घोषित किया जा चुका है और इसमे इंदौर की 6 ग्राम पंचायतें भी शामिल है।

कार्यक्रम में मंत्री सिसौदिया ने जिले की जनपद पंचायत महू की ग्राम पंचायत हरनिया खेड़ी, सातेर, कोदरिया एवं उमरिया, जनपद पंचायत देपालपुर की ग्राम पंचायत माचल, धन्नड़ एवं काली बिल्लौद, जनपद पंचायत इंदौर की ग्राम पंचायत बांक एवं बेगमखेड़ी तथा जनपद पंचायत सांवेर की ग्राम पंचायत मांगल्या सडक में लगभग एक करोड़ रूपये की लागत से बने प्लास्टिक प्रबंधन इकाइयों का लोकार्पण किया गया। इस अवसर पर सांईनाथ एवं दुर्गा स्व सहायता समूह की महिलाओं को 20 लाख 78 हजार रुपये की सामुदायिक निधि प्रदान की गई।

उल्लेखनीय है कि ग्राम पंचायत काली बिल्लोद में वर्तमान में जैविक एवं अजैविक कूड़े का निस्तारण किया जा रहा है। जिसके तहत प्रतिदिन लगभग 2 टन जैविक कूड़े का निस्तारण कर खाद का निर्माण किया जा रहा है। इसी तरह लगभग 500 किलो अजैविक कूड़े को रोज स्व सहायता समूह की महिलाओं द्वारा छांट कर रीसायकल किया जाता है। ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन हेतु ग्राम काली बिल्लौद में लगभग 25 लाख रुपये की लागत से सेग्रीगेशन प्लांट बनाया गया है। इसके माध्यम से ना केवल ग्रामीण क्षेत्र में स्वच्छता एवं पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाए रखने का विशेष ध्यान दिया जा रहा है बल्कि स्व सहायता समूह एवं स्थानीय ग्रामीण जनों को रोजगार के नए अवसर भी उपलब्ध कराए जा रहे हैं। (एजेंसी, हि.स.)

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