हाईकोर्ट आदेश के बावजूद निगम अभी तक तोडऩे का नहीं ले पाया निर्णय, जनता ने किया इस्तेमाल
इंदौर। बीआरटीएस (BRTS) कॉरिडोर को नगर निगम (Municipal council) ने मजाक बनाकर रख दिया और तीसरी बार जो टेंडर (Tender) बुलाया वह अब खुलेगा, जिससे पता चलेगा कि कोई ठेकेदार फर्म तैयार है अथवा नहीं। हाईकोर्ट (High Court) आदेश को तीन माह हो गए, मगर अभी तक बीआरटीएस की रैलिंग निकालने सहित अन्य कार्य शुरू ही नहीं हो पाए। दूसरी तरफ जनता ने जब बस लेन का इस्तेमाल शुरू किया तो धड़ाधड़ पुलिस और यातायात जवान चालान बनाने लग गए। जबकि नेताओं-अफसरों की गाडिय़ां दौड़ती नजर आती है उनके लिए रोक-टोक नजर नहीं आती, सिर्फ जनता के ही फजीते हैं, क्योंकि दोनों तरफ की लेन में भी यातायात का दबाव बढ़ गया और कई जगह तो आईबस भी अब इसी मिक्स लेन में चल रही है। निगम का कहना है कि पांच बार में ठेके की राशि लेंगे, इसलिए उम्मीद है कि कोई ना कोई ठेकेदार तो मिल ह ी जाएगा।
300 करोड़ का बीआरटीएस अब हटाए जाने को लेकर भी मुसीबत बना हुआ है। तीसरी बार निगम ने शर्तों में संशोधन के साथ टेंडर जारी किए, जिसमें लगभग पौने 4 करोड़ रुपए की राशि पांच किश्तों में लेना तय किया। पहले निगम यह राशि एकमुश्त मांग रहा था और बदले में बीआरटीएस कॉरिडोर पर लगी दोनों तरफ लोहे की रैलिंग के साथ बस स्टाफ और अन्य सामान उसे मिल जाता। निगमायुक्त शिवम वर्मा का कहना है कि अब शर्तों में संशोधन के बाद टेंडर मंजूर हो जाएगा। दूसरी तरफ जो आई बसों का संचालन नीरंजनपुर से राजीव गांधी चौराहा तक पहले हो रहा था उसमें अब हालांकि यात्रियों की संख्या घट गई और नीरंजनपुर से सत्यसांई चौराहा तक एमपीआरडीसी द्वारा दो फ्लायओवरों का निर्माण कराया जा रहा है, जिसके चलते इतने हिस्से में बीआरटीएस कॉरिडोर बसों के लिए पहले से ही बंद कर दिया था और इस हिस्से में भी आई बसें मिक्स लेन में चल रही थी। दूसरी तरफ निगम ने ताबड़तोड़ जीपीओ चौराहा पर रैलिंग निकाली और उसके बाद इस हिस्से में भी आई बसें नहीं चल पा रही है। इधर, बायपास के साथ-साथ रोजाना बीआरटीएस पर भी जाम की समस्या है, जिसके चलते आम जनता ने भी बस लेन का इस्तेमाल शुरू कर दिया था। मगर पुलिस और यातायात धड़ाधड़ चालान बनाने लगे। कई वाहन चालकों ने इसका तीखा विरोध भी किया और दो टूक पूछा कि जब हाईकोर्ट ने ही आदेश दे दिए तो अब चालानी कार्रवाई किस लिए? दूसरी तरफ नेताओं, पुलिस-प्रशासन सहित अन्य रसूखदारों की गाडिय़ां सुबह से रात तक बस लेन के भीतर ही चलती नजर आती है। उन पर रोका-टोकी या किसी तरह की कोई चालानी कार्रवाई नहीं होती। दूसरी तरफ निगम ने सेंट्रल डिवाइडर के साथ एबी रोड को चौड़ा करने के भी टेंडर मंजूर कर रखे हैं। अब देखना है कि कब तक बीआरटीएस से निजात मिलेगी।
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