मास्टर प्लान की प्रस्तावित बाहरी रिंग से भी रहेगा दूर, 25 प्रतिशत राशि भारत माला चैलेंज मोड़ योजना से देने को शिवराज सरकार तैयार… दो बड़े राजमार्गों से भी जुड़ेगा, दिल्ली पहुंचा प्रोजेक्ट
इंदौर। मौजूदा बायपास (By pass) तो लगातार बढ़ रहे शहरी यातायात के साथ आवासीय, व्यवसायिक और अन्य गतिविधियों के चलते व्यस्त हो गया है। वहीं संकरे बोगदे के कारण रोजाना जाम अलग लगता है। इंदौर के मास्टर प्लान (Master Plan) में हालांकि नए बायपास यानी बाहरी रिंग को प्रस्तावित किया गया, लेकिन उस पर कोई अमल नहीं हो सका। अब लोक निर्माण विभाग ने पिछले दिनों 139 किलोमीटर के नए बायपास का प्रस्ताव तैयार कर केन्द्र सरकार के सडक़ परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय (Union Ministry of Road Transport and Highways) को भेजा है। यह नया रिंग रोड दो बड़े राजमार्गों को भी जोड़ेगा, जो इंदौर से ही गुजरते हैं। इससे आधा दर्जन आसपास के जिलों का भी तेजी से विकास होगा। वहीं आने वाले 50 सालों तक इंदौर को भी लाभ मिलेगा। इसमें खर्च होने वाली 25 प्रतिशत राशि भारत माला चैलेंज मोड़ योजना में शिवराज सरकार देने को तैयार है। मुख्यमंत्री की सहमति के बाद ही यह प्रोजेक्ट दिल्ली मंजूरी के लिए भेजा।
इंदौर के मौजूदा बायपास की सर्विस रोड को फोर लेन में परिवर्तित करने का भी प्रोजेक्ट स्थानीय प्रशासन और निगम ने तैयार कर पिछले दिनों भिजवाया था, जिस पर 400 करोड़ रुपए से अधिक खर्च होंगे। अभी नगर निगम शहरी क्षेत्र के हिस्से में योजना 140 से डीपीएस स्कूल तक की सर्विस रोड को अवश्य फोर लेन करने में जुटा है, लेकिन जिस तरह तेजी से बायपास के दोनों तरफ आवासीय-व्यवसायिक अन्य गतिविधियां बढ़ रही है, उसके चलते यह शहरी रोड ही हो गया है। लिहाजा पिछले दिनों सडक़, परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी को प्रदेश सरकार ने एक नया प्रस्ताव बनाकर सौंपा है, जिसमें इंदौर के नए बायपास यानी रिंग रोड को बनाया जाना है, जो कि 139 किलोमीटर लम्बाई का रहेगा और यह नया बायपास प्रस्तावित मौजूदा रिंग रोड से भी दूर रहेगा, ताकि हर तरह का बाहरी यातायात इससे गुजर सके। दरअसल इस तरह के प्रोजेक्ट में सबसे बड़ी परेशानी भूमि अधिग्रहण की आती है, जो कि अब अत्यधिक महंगा और जटिल कार्य हो गया ैहै। दरअसल केन्द्र सरकार जो प्रोजेक्ट मंजूर करती है उसमें भूमि अधिग्रहण का जिम्मा राज्य सरकार के पास रहता है, जिसका मुआवजा भी उसे ही चुकाना पड़ता है। यही कारण है कि नए बायपास के प्रोजेक्ट को अभी तक अमल में नहीं लाया जा सका। अभी पिछले दिनों लोक निर्माण विभाग के सचिव सुखवीर सिंह ने ये प्रस्ताव तैयार कर भिजवाया है और इससे आगरा-मुंबई कॉरिडोर और कांडला-सागर कॉरिडोर जो कि इंदौर से ही गुरते हैं, वे भी जुड़ जाएंगे। अहमदाबाद, नागपुर और राष्ट्रीय राजमार्ग 43, जो कि पश्चिम-दक्षिण में, उसी तरह पूर्वी और उत्तर में आगरा-मुंबई राष्ट्रीय मार्ग 52 बायपास है, उसे यह नया रिंग रोड कवर करेगा। अब देखना यह है कि केन्द्र का सडक़ परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय इस नए इंदौरी बायपास के प्रोजेक्ट को कब तक मंजूरी देता है।
65 किलोमीटर का ग्रीन रिंग कॉरिडोर प्राधिकरण ने किया प्रस्तावित
अभी पिछली प्राधिकरण की बोर्ड बैठक में लगभग 100 किलोमीटर की नई ग्रीन रिंग रोड क्लस्टर बनाने का निर्णय लिया गया, जो कि 65 किलोमीटर लम्बा होगा, जिसमें 30 गांवों की लगभग 3300 हेक्टेयर जमीन शामिल रहेगी। बोर्ड संकल्प पारित कर शासन को मंजूरी के लिए भिजवाया गया है। प्राधिकरण अध्यक्ष जयपालसिंह चावड़ा के मुताबिक शहर के चारों तरफ यह ग्रीन रिंग कॉरिडोर क्लस्टर प्रस्तावित किया गया है, जिसमें भरपूर हरियाली भी विकसित की जाएगी।
मौजूदा बायपास पर साढ़े 22 मीटर कंट्रोल एरिया के फैसले का भी इंतजार
मौजूदा बायपास के दोनों तरफ 45-45 मीटर का कंट्रोल एरिया छोड़ा गया है, जिसमें कुछ समय पूर्व शासन ने संशोधन किया था और जब अग्निबाण ने इस कंट्रोल एरिया को खत्म करने का खुलासा किया तो फिर उसमें शासन ने संशोधन आदेश भिजवाए। वहीं बीते एक साल से कंट्रोल एरिया को साढ़े 22 मीटर तय करने का आदेश भोपाल में ही अटका पड़ा है। अगर इसे मंजूरी मिल जाती है, तो दोनोंं तरफ की सर्विस रोड को फोर लेन में परिवर्तित करने के साथ 10 से 12 मीटर का कंट्रोल एरिया भविष्य के लिए भी बचेगा, जिस पर दोनों तरफ हरियाली भी की जा सकती है और पीछे के साढ़े 22 मीटर जमीन पर उनके मालिकों को मनचाही अनुमति दे सकेंगे
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