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महंगाई ने तोड़ी आम आदमी की कमर, पिछले 3 सालों में इन चीजों के दाम में हुई जोरदार बढ़ोतरी

 

नई दिल्ली। हाल के दिनों में चारों तरफ पेट्रोल-डीजल (petrol-diesel) की महंगाई को लेकर शोर मचा हुआ है. आम आदमी से लेकर विपक्षी पार्टियां भी पेट्रोल-डीजल (petrol-diesel) की आसमानी कीमतों को लेकर केंद्र की नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) को घेर रही हैं. आपको बता दें कि भारत (India) के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब पेट्रोल और डीजल (petrol-diesel)  का दाम 100 रुपये के पार पहुंच गया है. एक ओर जहां आम आदमी सड़क पर महंगाई से जूझ रहा है तो वहीं दूसरी ओर उसके किचन का महंगा बजट भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहा है. पिछले तीन साल में खाने पीने की घरेलू चीजों के दाम में जोरदार बढ़ोतरी देखने को मिली है.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मई 2021 के दौरान दाल 12 फीसदी, प्याज 23 फीसदी, फल 20 फीसदी, तिलहन 36 फीसदी और खाने-पीने के दूसरे सामान 5 फीसदी तक तक महंगे हो गए थे. बता दें कि 1 साल में किराना के सामान करीब 40 फीसदी तक महंगे हो चुके हैं. वहीं खाद्य तेल के दाम में 50 फीसदी तक की बढ़ोतरी देखने को मिली है. जानकारों का कहना है कि इंटरनेशनल मार्केट में तेजी की वजह से खाद्य तेल की कीमतों में इजाफा दर्ज किया जा रहा है. गौरतलब है कि देश में हर साल 200 लाख टन खाद्य तेल की खपत होती है.

उपभोक्ता मामले विभाग (मूल्य निगरानी डिवीजन) के आंकड़ों के मुताबिक पिछले तीन साल में अरहर दाल, चना दाल, उड़द दाल, सरसों तेल और सोया तेल की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी देखने को मिली है. पिछले तीन साल में अरहर दाल में करीब 17 रुपये प्रति किलो यानी 1,700 रुपये प्रति क्विंटल का इजाफा हुआ है. वहीं उड़द दाल पिछले तीन साल में 30 रुपये किलो और सोया तेल 59 रुपये महंगा हुआ है. 


खुदरा महंगाई बढ़कर 6.3 फीसदी के स्तर पर पहुंची
बता दें कि मौजूदा समय में खुदरा महंगाई बढ़कर 6.3 फीसदी के स्तर पर पहुंच गई है और बीते 6 महीने में सबसे ज्यादा महंगाई देखने को मिली है. आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल में खुदरा महंगाई 4.23 फीसदी थी. बता दें कि महंगाई को लेकर भारतीय रिजर्व बैंक ने जो आंकड़े बताए थे वह उन आंकड़ों के पार निकल चुकी है. RBI ने महंगाई के लिए 2-6 फीसदी का दायरा तय किया था. आंकड़ों के मुताबिक मई के दौरान खाने-पीने के सामान में 5.01 फीसदी महंगाई देखने को मिली थी. परिवहन ईंधन की उच्च लागत के साथ बेस इफेक्ट से मई में थोक कीमतों पर आधारित भारत की वार्षिक मुद्रास्फीति दर बढ़कर 12.94 प्रतिशत हो गया. अप्रैल में यह 10.49 प्रतिशत था. गौरतलब है कि मौजूदा सीरीज में यह डब्ल्यूपीआई मुद्रास्फीति की उच्चतम दर है. पिछला उच्च अंक अप्रैल में देखा गया था. मई 2020 में मुद्रास्फीति की मासिक दर (-) 3.37 प्रतिशत रही थी.

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