विदेश

इराक संसदीय चुनाव : जीत के करीब मुक्तदा अल-सद्र, नूरी अल-मलिकी की पार्टी दूसरे स्थान पर

बगदाद । इराक (Iraq) में रविवार को रिकॉर्ड कम मतदान (vote) वाले संसदीय चुनाव (parliamentary elections) के नतीजे आने शुरू हो गए हैं। इसमें देश के प्रभावशाली शिया धर्मगुरु मुक्तदा अल-सद्र संसद में सीटों का सबसे बड़ा हिस्सा बनकर उभरे हैं।

73 सीटों के साथ सदरिस्ट को सर्वाधिक सीटें, पूर्व पीएम नूरी अल-मलिकी की पार्टी दूसरे स्थान पर
संसद की 329 सीटों में से सदरिस्टों के पास पूर्व में जहां 54 सीटें थीं वहीं इस बार उनके खाते में 73 सीटें आई हैं। शिया मौलवी की पार्टी ने देश की सर्वाधिक सीटों पर कब्जा कर लिया है। इराक में विदेशी प्रभाव का विरोध करने वाले नेता अल-सद्र ने नतीजों के दौरान एक संबोधन में कहा कि लोगों को बिना किसी असुविधा के सबसे बड़े ब्लॉक की इस जीत का जश्न मनाना चाहिए। प्रारंभिक नतीजों के मुताबिक शिया समूह के पूर्व प्रधानमंत्री नूरी अल-मलिकी की पार्टी दूसरे स्थान पर रही। जबकि इस बार के चुनाव में कुल 3,449 उम्मीदवारों ने चुनाव मैदान में जोर-आजमाइश की।

2003 में अमेरिकी बलों के खिलाफ अभियान का नेतृत्व करने वाले अल-सद्र संसद की ज्यादातर सीटों पर बढ़त बनाए रहे हैं। शिया मौलवी के ब्लॉक को संसद की अधिकतर सीटों पर बढ़त मिलती दिख रही है। राजधानी बगदाद समेत देश के सभी 18 प्रांतों में उसके उम्मीदवार आगे हैं। माना जा रहा है कि इस बार उन्हीं पुराने चेहरों व दलों की वापसी होगी जिन पर देश में दशकों से भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन के आरोप लगते रहे हैं।


सद्दाम हुसैन के बाद छठा संसदीय चुनाव
2003 में इराक पर अमेरिका के नेतृत्व वाले हमले और उसके बाद सद्दाम हुसैन के निष्कासन के बाद से देश में यह छठा संसदीय चुनाव है। इराक की राजनीति में शिया समूह की सत्ता पर अच्छी पकड़ बनाए रहा है। रविवार 10 अक्तूबर को हुए संसदीय चुनाव में आश्चर्यजनक रूप से कम मतदान हुआ। युवा इराकियों ने इस बार के चुनाव के दौरान मतदान में रुचि तक नहीं दिखाई। चुनाव में 41 प्रतिशत मतदान हुआ था।

ईरान समर्थक प्रत्याशी पिछड़े
इराक में आम चुनाव के नतीजों के रुझान को देखते हुए ईरान समर्थक गठबंधन के उम्मीदवार पीछे दिखाई दे रहे हैं। ईरान समर्थक, हादी अल अमेरी के नेतृत्व वाले फतह अलायंस ने 2018 के चुनाव में 48 सीटों पर जीत हासिल की थी लेकिन अभी यह पता नहीं चल पाया है कि उन्हें कितनी सीटों पर हार का सामना करना पड़ रहा है।

नेताओं पर विश्वास की कमी
चुनाव कराने में सफलता का दावा करते हुए प्रधानमंत्री मुस्तफा अल-कदीमी ने कहा कि उन्होंने वादे के अनुसार निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के अपने कर्तव्य को पूरा किया और ऐसा करने में सफल रहे। लेकिन कई लोगों ने कहा कि कम मतदान एक संकेत था कि लोगों ने नेताओं में विश्वास खो दिया है। वर्तमान सरकार निष्पक्ष चुनाव का दावा जरूर कर रही थी लेकिन मतदाताओं ने चुनाव में उत्साह नहीं जताया।

Share:

Next Post

telecom कंपनियों को राहत, spectrum खरीदने के लिए नहीं देनी होगी बैंक गारंटी

Wed Oct 13 , 2021
नई दिल्ली। सरकार (government) ने दूरसंचार कंपनियों (telecom companies) को एक और राहत देते हुए स्पेक्ट्रम खरीदने (purchase of spectrum) के लिए वित्तीय बैंक गारंटी (एफबीजी) (Financial Bank Guarantee (FBG)) की अनिवार्यता खत्म कर दी। दूरसंचार विभाग ने कहा कि इस क्षेत्र में अपने साहसिक सुधार एजेंडे के अनुरूप सरकार ने मंगलवार को जारी अधिसूचना […]