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इजरायल बड़े स्तर पर कोरोना टीकाकरण की शुरुआत करने जा रहा, फिलिस्तीनी लोगों को छोड़ा

यरूशलम। इजरायल अगले सप्ताह से बड़े स्तर पर कोरोना टीकाकरण अभियान की शुरुआत करने जा रहा है। इसके लिए प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू खुद अमेरिका की दिग्गज दवा निर्माता कंपनी फाइजर (Pfizer) के प्रमुख से मिले थे। इसके बाद कोरोना वैक्सीन देश में पहुंचनी शुरू हो जाएगी। वहीं एक तरफ जहां इजरायल अपने लिए वैक्सीन मंगा रहा है वहीं इजरायली नियंत्रण में रहने वाले लाखों फिलिस्तीनी लोगों को उनके हाल पर छोड़ दिया गया है।

वैक्सीन के आने के बाद इजरायल जल्द ही जीवन सामान्य की ओर लौट सकता है। साथ ही एक बार फिर से अर्थव्यवस्था भी अपनी रफ्तार पकड़ लेगी जबकि कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर बसे फिलिस्तीनी शहरों और गांवों में वायरस का खौफ जारी रहेगा। इजरायल ने फाइजर से कोरोना वैक्सीन 80 लाख डोज मंगवाई है। फाइजर की इस वैक्सीन की दो डोज की जरूरत होती है। इस तरह इजरायल की 90 लाख में से लगभग आधी आबादी को इस डोज से टीका लगाया जा सकेगा।

इजरायल ने टीकाकरण के लिए वैक्सीन को पहुंचाने और उसके रखरखाव के लिए फ्रीजर लगे हुए वाहन तैयार कर रखे हैं जिसमें इस वैक्सीन को रखकर विभिन्न क्षेत्रों में ले जाकर लोगों को लगाया जाएगा। अमेरिका की फाइजर (Pfizer) और बायोएनटेक (BioNTech) ने मिलकर इस वैक्सीन को तैयार किया है और इसे सुरक्षित रखने के लिए माइनस 70 डिग्री सेल्सियस तापमान की आवश्यकता होती है। इजरायल के टीकाकरण कार्यक्रम में उन कब्जे वाले वेस्ट बैंक में बसाए गए यहूदी सेटलर्स को भी शामिल किया गया है। अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों के द्वारा इन बस्तियों को अवैध बताया जाता रहा है। खास बात ये है कि जहां इसी क्षेत्र में इजरायली नागरिकों को वैक्सीन लगाई जाएगी वहीं यहां रहने वाले 25 लाख फिलिस्तीनियों को इसमें शामिल नहीं किया गया है।

इन फिलिस्तीनियों को आर्थिक तंगी से जूझ रहे फिलिस्तीनी प्रशासन के ऊपर निर्भर रहना होगा। फिलिस्तीनी प्रशासन का गठन 1990 में एक अंतरिम शांति समझौते के तहत हुआ था। समझौते के तहत यह कब्जे वाले वेस्ट बैंक के हिस्से का प्रशासन सम्भालता है। इजरायल ने 1967 में 6 दिन के युद्ध (Six days war) के दौरान वेस्ट बैंक, गाजा पट्टी और पूर्वी यरूशलम पर कब्जा कर लिया था।

फिलिस्तीनी प्रशासन की उम्मीद है कि डब्ल्यूएचओ की अगुवाई में COVAX नामक मानव सहायता संगठन उन तक टीके पहुंचाएगा। कोवैक्स की योजना उन गरीब देशों में आबादी के 20 प्रतिशत तक लोगों को मुफ्त टीके प्रदान करना है जहां इस महामारी का सबसे ज्यादा असर हुआ है। लेकिन अभी तक यह कार्यक्रम जरूरी दो बिलियन डोज का बहुत छोटा सा हिस्सा ही हासिल कर सका है जिसके अगले वर्ष मिलने की उम्मीद है। साथ ही बाकी डोज के लिए पैसे की कमी के चलते अभी तक कोई सौदा नहीं हो पाया है। इसका अर्थ यह हुआ कि फिलिस्तीनियों को लंबे समय तक वैक्सीन की डोज का इंतजार करना होगा।

वैक्सीन मिल भी जाती है तो सबसे बड़ी समस्या रखरखाव की है। फिलिस्तीन के पास केवल जेरिको के एक शहर में ही इकलौती रेफ्रीजरेशन यूनिट हैं जहां इस वैक्सीन को रखा जा सकता है। फिलिस्तीनी स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी अली अबेद रब्बो ने कहा कि फिलिस्तीनी प्रशासन फाइजर, मॉडर्ना, एस्ट्राजेनेका और बड़े पैमाने पर अप्रयुक्त रूसी वैक्सीन के निर्माताओं के साथ बातचीत कर रहा है, लेकिन अभी तक COVAX से परे किसी भी समझौते पर हस्ताक्षर नहीं किया है।

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