भोपाल। कांग्रेस (Congress) छोड़ भाजपा (BJP) में शामिल हुए वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया और वीरेंद्र खटीक (Jyotiraditya Scindia and Virendra Khatik) को मोदी कैबिनेट (Narendra Modi Government) में आखिरकार बड़ी जिम्मेदारी मिल ही गई। ग्वालियर अंचल में लंबे समय से कार्यकर्ता मांग कर रहे थे कि सिंधिया जी को जल्द कोई जिम्मेदारी दी जाए। गुरूवार को हुए कैबिनेट विस्तार में 28 मंत्रियों को नई नया काम सौंपा गया है। इनमें से मध्यप्रदेश से ज्योतिरादित्य सिंधिया जगह मिलने से मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) का दबदबा और बढ़ गया है।
बता दें कि इससे पहले मध्य प्रदेश से मोदी टीम में नरेंद्र सिंह तोमर, प्रह्लाद पटेल, फग्गन सिंह कुलस्ते मंत्री थे. ज्योतिरादित्य सिंधिया और वीरेंद्र खटीक के मंत्री बनाए जाने के बाद यह संख्या बढ़कर पांच हो गई है, हालांकि केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान भी मध्य प्रदेश से ही राज्यसभा के सांसद हैं, किन्तु वो यहां के रहने वाले नहीं हैं। अगर धर्मेंद्र प्रधान को भी जोड़ दिया जाए तो मध्य प्रदेश से केंद्रीय कैबिनेट में मंत्रियों की संख्या छह हो जाती है।
अगर उस लिहाज से देखा जाए तो ग्वालियर-चंबल और बुंदेलखंड से दो-दो केंद्रीय मंत्री हो गए हैं। नरेंद्र सिंह तोमर और ज्योतिरादित्य सिंधिया जहां ग्वालियर-चंबल का प्रतिनिधित्व करते हैं। वहीं, प्रह्लाद पटेल और वीरेंद्र खटीक बुंदेलखंड इलाके से आते हैं। ग्वालियर-चंबल और बुंदेलखंड का राजनीतिक रसूख दिल्ली में बढ़ गया है।
बुंदेलखंड की टीकमगढ़ लोकसभा सीट से सांसद वीरेंद्र कुमार खटीक को केंद्रीय कैबिनेट में शामिल किए जाने के सियासी मायने निकाले जा रहे हैं। माना जा रहा है कि वीरेंद्र खटीक को मंत्री बनाकर मोदी सरकार ने एक तीर से दो निशाने किए हैं। टीकमगढ़ का इलाका उत्तर प्रदेश की सीमा से सटा हुआ है और वीरेंद्र खटीक दलित वर्ग से आते हैं। इस लिहाज से उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव के नजरिए से वीरेंद्र खटीक का मंत्री बनाया जाना जातिगत समीकरण को साधने के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है।