भोपाल न्यूज़ (Bhopal News)

एयरफोर्स में पायलट बनने की हसरत पूरी नहीं हो सकी कमलेश जैमिनी की

कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता
कहीं ज़मी तो कही आसमां नहीं मिलता।

निदा फ़ाज़ली के इस शेर से भोपाल के वेटरन फोटो जर्नलिस्ट कमलेश जैमिनी भी इत्तफ़ाक़ रखते हैं। जैमिनी साब आज 74 बरस के हैं। कैमरे से अब भी इश्क़ है… लेकिन उम्र के इस पड़ाव पे फोटोग्राफी की वो पुरानी तड़प अब नहीं रही। साठ की दहाई से लेके नभ्भे की दहाई तक इनके कैमरे ने यादगार लम्हों को कैद किया। गैस कांड में ली गईं इनकी कई तस्वीरें हज़ार लफ्ज़़ों पे भारी साबित हुईं। आपातकाल के बाद इंदिरा गांधी की लपक वापसी के बाद लाल परेड पे हुई उनकी सभा के दौरान कमलेश जैमिनी हिम्मत करके दड़ेदम स्टेज पे चढ़ गए थे। बिंदास अंदाज़ में इंदिराजी से इंन्ने कहा मेडम मुझे आपकी एक स्माईल चाहिए। फोटोग्राफर का कांफिडेंस देख के इंदिराजी खिलखिला पड़ीं। वहीं फोटो इंन्ने फौरन क्लिक कर लिया था। ऐसे कई दिलचस्प इस ओरिजनल भोपाली वेटरन फोटो जर्नलिस्ट के पास हैं।


बाकी आज यहां इनके किरदार का वो पहलू आपके सामने रखा जा रहा है जिसे कम लोग ही जानते हैं। मक़सद ये हेगा भाई मियां के कमलेश जैमिनी एयरफोर्स में या एयर इंडिया में पायलट बनते बनते रह गए। माडिल स्कूल में पढऩे के दौरान ही इन्होंने तय कर लिया था के इंडियन एयरफोर्स में पायलट बनेंगे। लिहाज़ा एनसीसी में बेस्ट केंडिडेट के तौर पे सन 1966 में इन्हें दिल्ली में रिपब्लिक डे परेड में शरीक होने का मौका मिला। 1968 में बीस बरस की उमर में जैमिनी साब ने भोपाल फ़्लाइंग क्लब की मेम्बरशिप ली। तब स्क्वाड्रन लीडर देशपांडे ट्रेनी पायलटों को एयरक्राफ्ट उड़ाना सिखाते थे। तब भोपाल फ़्लाइंग क्लब के पास सेकंड वल्र्ड वार में घायल सैनिकों को ले जाने वाला एल-5 सेंटिनल एयरक्राफ्ट था। इसमे इंस्ट्रक्टर के साथ एक ट्रेनी पायलट बैठ सकता था। इसमे एक स्ट्रेचर भी हुआ करता था। इसी छोटे एयरक्राफ्ट पे कैप्टन मिस्त्री ने भी जैमिनी साब को उड़ान भरने के गुर सिखाए। फ़्लाइंग क्लब में वो कैप्टन शमीम भी थे जिन्होंने संजय गांधी को एयरक्राफ्ट उड़ाना सिखाया था। कमलेश जैमिनी ने 35 घंटे की उड़ान की ट्रेनिंग ली। इसमे 16 घंटे इन्होंने अकेले विमान उड़ाया। इस वक्त बैरागढ़ एयरपोर्ट पे भोपाल के नवाब हमीदुल्ला खां के दामाद आगा साहब एरोड्राम ऑफिसर थे। कमलेश भाई हवाई अड्डे से वन ट्री हिल होते हुए मनुआ भान की टेकरी के उपर से गुजऱते और सेफ सर्किट लेंडिंग करते। इंन्ने एटीसी का सिस्टम भी पूरा समझा। एयरक्राफ्ट की स्पीड बिटोट, कॉकपिट ड्रिल सहित विमान के एलिवेटर रडर, फ़्लेप सहित तमाम बारीकियों को सीखा। इन्हें तब स्टूडेंट पायलट लायसेंस भी मिल गया था। भाई की पूरी तैयारी थी कि इंडियन एयरफोर्स में पायलेट बन जाएं या एयर इंडिया में कमर्शियल पायलट बन जाएं। लेकिन बालक कमलेश के दादा दादी ने अपने पोते को पायलेट बनने का विरोध किया। उन्हें ये काम जान के लिए खतरनाक लगता था। कमलेश जैमिनी को आज भी अफसोस होता है कि वे पायलेट नहीं बन सके। चलो कोई नी साब… आपने प्रेस फोटोग्राफी में उस ऊंचे मुक़ाम को छू लिया है जो आमतौर पे कोई नहीं छू सकता। इन दिनों जैमिनी साब अपने नाती पोतों और परिजनों के साथ वक्त गुज़ारते हैं।

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