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हंगामेदार रही रही कर्नाटक कांग्रेस विधायक दल की बैठक, कई विधायकों ने की फंड की कमी की शिकायत

बेंगलुरु (Bangalore) । कर्नाटक (Karnataka) की सत्ता में आने के दो महीने के अंदर ही कांग्रेस पार्टी (congress party) में असंतोष की खबरें सामने आने लगी हैं। यही वजह है कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया (Chief Minister Siddaramaiah) ने बृहस्पतिवार को यहां पार्टी विधायक दल की बैठक (legislature party meeting) की अध्यक्षता की। गुरुवार शाम को हुई कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) की बैठक हंगामेदार रही। कई विधायकों ने फंड की कमी की शिकायत की, जबकि कुछ राज्य कैबिनेट मंत्रियों ने शिकायत करते हुए कहा कि विधायकों तक उनकी पहुंच नहीं है।

पत्र को “आंतरिक मजाक” बताकर खारिज किया
पिछले दिनों एक विधायक द्वारा कथित तौर पर लिखा गया एक पत्र मीडिया प्लेटफार्मों पर लीक होने के बाद कांग्रेस को और शर्मिंदगी उठानी पड़ी थी। पत्र में विधायक ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया से आग्रह किया कि उन्हें विशेष कर्तव्य अधिकारी (ओएसडी) के रूप में नियुक्त किया जाए, क्योंकि वह विधायक के रूप में कोई काम करने में असमर्थ हैं। हालांकि, ताजा रिपोर्टों से पता चलता है कि सीएम और डिप्टी सीएम के हस्तक्षेप के बाद मतभेदों को सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझा लिया गया है, जबकि लीक हुए पत्र को “आंतरिक मजाक” बताकर खारिज कर दिया गया।


एक वरिष्ठ विधायक ने कहा कि बैठक में कई लोगों ने राज्य के कैबिनेट मंत्रियों के पहुंच से बाहर होने की शिकायत की। उन्होंने कहा, “हालांकि, किसी भी विधायक ने अपनी शिकायतों में किसी मंत्री का नाम नहीं लिया।” बैठक में जिन विषयों पर चर्चा हुई उनमें कुछ मंत्रियों के असहयोग के बारे में कांग्रेस विधायक बी आर पाटिल द्वारा लिखा गया और 11 विधायकों द्वारा हस्ताक्षरित एक पत्र भी शामिल था। उन्होंने कहा, “वह चर्चा गर्म हो सकती थी। हालांकि, हस्ताक्षरकर्ताओं में से एक, विधायक शिवलिंगेगौड़ा ने चुटकी लेते हुए कहा कि उन्होंने यह सोचकर पत्र पर हस्ताक्षर किए थे कि यही तो ‘कांग्रेसी कल्चर’ है। उनके इस बयान ने चर्चा को टाल दिया।” शिवलिंगेगौड़ा इस साल की शुरुआत में जद (एस) से कांग्रेस में शामिल हुए थे।

“निर्वाचन क्षेत्रों में विकास काम नहीं हो पा रहा”
बताया जाता है कि बैठक में विधायकों एवं मंत्रियों ने अपने विचार प्रकट किए तथा अपना -अपना रूख सामने रखा। उसके बाद मुख्यमंत्री ने उनसे अपनी शिकायतें सीधे उन्हें बताने तथा पार्टी के मंच पर चर्चा करने की सलाह दी। यह बैठक इस मायने से अहम है कि यह ऐसे समय हुई है जब खबर है कि 30 विधायकों ने सिद्धारमैया एवं पार्टी नेतृत्व को पत्र लिखकर अपने निर्वाचन क्षेत्रों में विकास काम नहीं होने को लेकर चिंता प्रकट की है। बताया जाता है कि विधायक नाराज हैं और उनकी शिकायत है कि वे अपने निर्वाचन क्षेत्रों में काम नहीं करवा पाते हैं, उनके अनुरोध के हिसाब से (सरकारी कर्मियों के) तबादले नहीं होते हैं। उन्होंने मंत्रियों को लेकर खासकर उनके असहयोगात्मक रवैये को लेकर अपनी नाखुशी प्रकट की है।

हाल में वरिष्ठ पार्टी नेता और विधानपरिषद सदस्य बी के हरिप्रसाद ने बयान दिया था कि उन्हें पता है कि ‘कैसे मुख्यमंत्री बनाया और हटाया जाता है।’ उपमुख्यमंत्री डी के शिवकुमार ने दावा किया कि सरकार को गिराने के लिए सिंगापुर में साजिश रची जा रही है। इन बातों ने अटकलों को जन्म दिया एवं ये इस बात का संकेत हैं कि सत्तारूढ़ दल में सबकुछ ठीकठाक नहीं है। वैसे सिद्धारमैया एवं शिवकुमार ने कहा कि पार्टी में कोई असंतोष नहीं है तथा विधायकों से उन्हें जो पत्र मिला है वे विधायक दल की बैठक बुलाने के लिए थे न कि शिकायत करने के लिए।

सिद्धारमैया ने विधायक को फटकारा
सूत्रों के मुताबिक, सिद्धारमैया ने एक अन्य हस्ताक्षरकर्ता विधायक बसवराज राय रेड्डी को फटकार लगाई, जब उन्होंने कहा कि पत्र सीएम का ध्यान खींचने के लिए लिखा गया था। इसके बाद उन्होंने रेड्डी से कहा कि वे इस तरह की रणनीति अपनाने के बजाय अपनी शिकायतें सीधे उनके पास उठाएं। इस बीच, बसवराजू वीएस के नाम से एक और पत्र मीडिया में प्रसारित किया गया था। इस पत्र में चन्नागिरी विधायक ने सीएम से उन्हें किसी भी मंत्री के ओएसडी या निजी सचिव के रूप में नियुक्त करने का अनुरोध किया था, ताकि वह अपने मतदाताओं के लिए कुछ काम करवा सकें।

सूत्रों ने बताया कि बैठक में विकास कार्यों के लिए फंड का मुद्दा चर्चा का प्रमुख विषय था। हाल ही में अनुदान की मांगों का जवाब देते हुए, शिवकुमार ने कहा था कि कांग्रेस के चुनाव घोषणापत्र के तहत वादा की गई विभिन्न गारंटी योजनाओं के लिए पहले ही किए गए आवंटन के कारण इस वित्तीय वर्ष में विकासात्मक गतिविधियां शुरू नहीं की जा सकीं।

इस वर्ष विकास के लिए निधि उपलब्ध नहीं करा सकते : शिवकुमार
कांग्रेस विधायक दल की बैठक से पहले ही कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डी के शिवकुमार ने बुधवार को कहा था कि पांच चुनावी गारंटी के कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न आर्थिक बाधाओं की वजह से प्रदेश की कांग्रेस सरकार इस साल विकास के लिए निधि उपलब्ध नहीं करा सकती है। शिवकुमार ने कहा कि यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया जाएगा कि बड़ी उम्मीदें रखने वाले पार्टी विधायक स्थिति को समझें और धैर्य रखें। शिवकुमार प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष भी हैं।

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