खरी-खरी

निंदक नियरे राखिये…विपक्ष में भी विश्वास जगाइये…

विकास की खीर में संदेह का नमक क्यों…मोदी जी आपकी सरकार जब जनता का भरोसा पा रही है… विश्वास की लहर आपके पक्ष में जा रही है… अधिकांश राज्यों में आपकी सरकार नजर आ रही है… संसद के दोनों सदनों में आपके ही नेता नजर आते हैं… देश के चुनाव में आप भरपल्ले वोट पाते हैं… आपका नाम ही पार्टी की पहचान बन चुका है… जिसे आप चुनाव लड़ाते हो, वह घर बैठे जीत जाता है… क्योंकि हर कोई देश को सुरक्षित और मजबूत हाथों में देखना चाहता है… फिर आप विरोधियों के विनाश पर अपना ध्यान क्यों लगाते हो… बचे-खुचे विपक्ष को खत्म करने की जिद आपकी लोकप्रियता पर दाग लगा रही है… लोकतंत्र में विपक्ष की अस्मिता बेहद जरूरी है… वो रहेंगे तो ही आपके साथी संभलकर चलेंगे… गलती बताने वाला… निगाहें रखने वाला… दुश्मनी जताने वाला शत्रु नहीं होता है… वो आपके अहंकार का प्रतिरोध करता है… आपको सही मार्ग पर चलने के लिए मजबूर करता है… जिस व्यक्ति का दुश्मन होता है, वो डरता है, इसलिए वह कभी गलत राह पर नहीं चलता है… आलोचकों को दबाने, उन्हें शत्रु समझकर संहार पर उतर आने की गलती जो करता है, वो सभ्य समाज को खलता है… उसके अपने दुश्मन हो जाते हैं… उसके अपने शत्रुओं से मिल जाते हैं… यही गलती राजीव गांधी ने की थी… अटल जी को सिंधिया से भिड़ाया… बहुगुणा का मुकाबला अमिताभ बच्चन से कराया… भाजपा के बड़े-बड़े नेताओं को संसद से बाहर का रास्ता दिखाया… और बाद में खुद अपने ही दल के विश्वनाथ प्रतापसिंह को दुश्मन बनाया… यह और बात है कि पार्टी में आज आपका खौफ भी है और रौब भी है… चाहे जिस दल में बगावत आप करा सकते हैं… सरकार बना सकते हैं… सरकारें गिरा सकते हो… लेकिन आपकी यह ताकत कार्यकर्ताओं और नेताओं का अहंकार बनती जा रही है… उन्हें जनता के जुड़ाव से दूर ले जा रही है… कसरत केवल टिकट पाने के लिए की जा रही है… क्योंकि टिकट को ही नेता जीत का इक्का मान रहा है… राज्यों का जनाधार इसलिए फिसलता जा रहा है… आप मनीष सिसोदिया को जेल भिजवा सकते हैं… केजरीवाल को भी मिटा सकते हैं… महाराष्ट्र की सरकार बदलवा सकते हैं… उद्धव से शिवसेना छिनवा सकते हैं… राहुल गांधी हो या नीतीश कुमार, अखिलेश हो या तेजस्वी यादव, यदि वे कमजोर हो जाएंगे तो आपके दल का भी नेता किससे लड़ेगा… वो निरंकुश हो जाएगा… बदसलूकी पर उतर जाएगा… जो आरोप आप दूसरों पर लगा रहे हो… वो उसके गिरेबां में नजर आएगा… जब लोकतंत्र ढहने लग जाएगा तो उसे सहारा देने के लिए जनता वोट की ताकत दिखाएगी… फिर किसी को जिताने के लिए नहीं हराने के लिए वोट डालेगी… जैसा इंदिराजी को जनता ने सबक सिखाया… अभिव्यक्ति की आजादी से लेकर आपातकाल की बर्बादी तक का हिसाब चुकाया… जैसे राजीव गांधी को घर बिठाया… विपक्ष को मिटाने की हिमाकत को आयना दिखाया… जैसे मनमोहन सिंह को घर का रास्ता दिखाया… बढ़ते भ्रष्टाचार और खामोशी का जिम्मेदार ठहराया… इसी कारण आपका स्वर्णिम काल आया… यह जनता का फैसला है… आप केवल विकास की राह पर कदम बढ़ाइये… विनाश का फैसला जनता पर छोडऩे का विश्वास जताइये… सबका साथ-सबका विकास के नारे में विपक्ष को भी शामिल करने का साहस दिखाइये… लोगों के मन में डर नहीं… प्यार बढ़ाइये…

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