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जानिए आखिर किन्नरों का अंतिम संस्कार कैसे किया जाता है?

नई दिल्ली। हम सभी को पता है कि किन्नरों की दुआ में बहुत ताकत होती है। जब भी घर में कोई शुभ काम हुआ हो या बच्चे का जन्म हुआ हो, किन्नर हमेशा ही दुआ देने का काम करते हैं। परन्तु किन्नरों की जिंदगी जन्म से लेकर मृत्यु तक बहुत ही अलग और बेहद दर्दनाक होती है।

किन्नरों की छठी इंद्रीय काफी तेज होती है, इन्हें आगे होने वाली घटनाओं का आभास हो जाता है। किन्नर समाज (Third Gender Society) अपने समुदाय के किसी सदस्य की मौत के बाद उसका मातम नहीं मनाता कारण यह है कि मृत्यु के बाद किन्नर को नरकीय जीवन से मुक्ति मिल गई। और किन्नरों का अंतिम संस्कार रात में किया जाता है और उस दौरान उनके शव को जूते-चप्पलों से पीटा भी जाता है।


जानिए कुछ रोचक तथ्य-
1. कई सारे प्रमाणों के अनुसार पता चला है कि किन्नरों को पहले ही पता चल जाता है कि उनकी मौत होने वाली है।

2. मौत के नजदीक आने वाले समय से वे अजीब सा व्यवहार करना शुरू कर देते हैं। बाहर आना-जाना और खाना बंद कर देते हैं। इस वक़्त में वे केवल पानी पीते हैं। इसके साथ ही ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि वे अगले जन्म में किन्नर न बनें।

3. इनके शव को दफनाया जाता है मगर उससे पहले आत्‍मा को आजाद करने की प्रक्रिया (Soul Liberation Process) की जाती है जिसके अनुसार हर तरह के बंधन से मुक्त करने के लिए उनके शव पर कुछ नहीं बांधा जाता और शव को सिर्फ सफेद कपड़े में लपेटा जाता है।

4. मृत किन्नर के शरीर को समुदाय के बाहर का व्यक्ति न देखे ऐसी उनकी कोशिश रहती है वे मानते हैं कि अगर किन्‍नर के शरीर को किसी आम जन ने देखा तो वो पुनः किन्‍नर योनि में ही जन्म लेगा। इसलिए ही रात में दफनाया जाता है।

5. शव यात्रा निकालने से पहले किन्नर समुदाय के लोग शव को जूते-चप्‍पलों से पीटते हैं ताकि अगले जन्म में वह फिर से किन्नर न बने। शव को मुक्ति मिले उसके लिए वो भगवान से प्रार्थना भी करते है किन्नर बहुचरा माता की पूजा करते हैं।

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