आचंलिक

अचानक मौसम बदलने से जनजीवन हुआ प्रभावित, पूरे शहर में रात को रहा ब्लैक आउट

  • तेज हवा आंधी से फसलें हो गर्ईं आड़ी

सीहोर। सोमवार की शाम नगर में एक बार फिर मौसम ने अचानक करवट ली और तेज हवाओं के साथ बारिश हुई। ज्ञात रहे कि शनिवार को भी मौसम अचानक बदला था। जानकारी के अनुसार सोमवार को सीहोर में दिनभर तेज धूप रही और शाम को लगभग 6.30 बजे अचानक मौसम बदला और बारिश हुई जिससे लोगों को दिन भर की गर्मी से राहत मिल गई। तेज हवाओं के साथ बारिश हुई और आसमान में बिजली भी चमकती रही। तीन दिन में दूसरा मौका है जब शाम को अचानक मौसम बदला है। नगर में शाम को लगभग 6.30 बजे तेज हवाओं के साथ बारिश तो हुई लेकिन बारिश के साथ में ओले भी गिरे चने के आकार के ओले गिरने से सड़क के सफेद नजर आने लगी। तेज हवा और आंधी के कारण शहर में शाम के समय ओले बारिश आंधी के बीच पूरे शहर की बिजली भी गुल हो गई जिससे जन जीवन पूरी बुरी तरह प्रभावित हो गया।


सोमवार शाम साढ़े 6 बजे चली तेज हवा के साथ बारिश का दौर शुरू हुआ और फिर कुछ देर के लिए ओले भी गिरे। पानी लगने से गेहूं के दाने की चमक फीकी पड़ जाएगी, जिसका सीधा असर उसके रेट पर पड़ेगा। यह माना जा रहा है कि प्रति क्विंटल 300 से 500 रुपए कम मिलेंगे। जिले में 30 फीसदी तक कटाई का काम हो चुका है। मंडी में जिन किसानों की उपज की नीलामी सोमवार को नहीं हो पाई थी वे शेड के नीचे उपज सुरक्षित करते देखे गए। तेज आंधी चलने से गेहूं की बालियां नीचे गिर जाती हैं। पूरे शहर में शाम 6.40 बजे बिजली भी गुल हो गई। इसलिए कई दुकानें समय से पहले ही बंद हो गई, बाजार में अंधेरा छा गया। कई क्षेत्रो में बिजली रात 10 बजे तक नही आई। अनेक जगह खंभे, तारो में फाल्ट के कारण बिजली बंद रही। उत्तर पूर्वी हवा चलने से सोमवार को दिनभर ठंडक बनी रही। सोमवार को अधिकतम तापमान 6 डिग्री लुढ़ककर 29.5 डिग्री और न्यूनतम तापमान 4 डिग्री लुढ़ककर 15.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।
सोमवार को एकाएक शाम के समय मौसम में आए बदलाव ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। तेज आंधी ने जहां नगर में अफरा-तफरी मचा दी। टीन शेड हवा में उड़ते नजर आएं तो वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में खेतों में खड़ी फसलें आड़ी हो गईं। इसके बाद बारिश का दौर शुरू हुआ जो आधे घंटे तक जारी रहा। इस बीच कुछ सेकंड के लिए चने के आकार के ओले भी गिरे। इस समय क्षेत्र में तेजी से कटाई का कार्य किया जा रहा है तथा कटी हुई फसलें खेत, खलिहानों में पड़ी हुई हैं। किसानों का कहना है कि फसल गीली होने पर उनके वाजिब दाम मंडी में नहीं मिल सकेंगे, जिससे नुकसान उठाना पड़ेगा।

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