भोपाल न्यूज़ (Bhopal News)

जलस्तर बढ़ाने 385 हेक्टेयर में लगे Lipts के पेड़ों की होगी कटाई

  • उद्गम स्थल पर नर्मदा की जलधारा हो रही सकरी
  • वनविभाग ने नर्मदाकुंड के आसपास 40 हजार पेड़ों को किया चिह्नित
  • 10 सालों में पूरी हो सकेगी कार्ययोजना

भोपाल। अनूपपुर जिले (Anuppur District) के अमरकंटक (Amarkantak) से उद्गमित नर्मदा की सकरी होती जलधारा को बचाने के साथ नर्मदा रीजन (Narmada Region) में जलस्तर बढ़ाने अब नर्मदा जलसंरक्षण योजना (Narmada Water Conservation Scheme) पर कार्य आरम्भ कर दिया गया है। जिसमें नर्मदा कुंड (Narmada Kund) सहित आसपास के क्षेत्रों में जलस्तर बढ़ाने वनविभाग द्वारा अमरकंटक वनपरिक्षेत्र (Amarkantak Forest Range) के 385 हेक्टेयर में लगी यूके लिप्टस (UK Liptus) के पेड़ों की कटाई आरम्भ कर दी गई है। इस योजना में वर्तमान वर्ष में निर्धारित किए गए कटाई क्षेत्र में किए जाने वाले कार्य के आधार पर आगामी वर्ष में कार्यक्षेत्र का निर्धारण करते हुए अगले 10-11 वर्षो में सभी पेड़ों की कटाई कर पौधारोपण किया जाएगा। यहां यूके लिप्टस (UK Liptus) के पेड़ों की कटाई पोंडकी घाट के उपरी हिस्से से लेकर नर्मदा कुंड (Narmada Kund) के आसपास के क्षेत्र और राजेन्द्रग्राम (Rajendragram) तक फैले नर्मदा रीजन (Narmada Region) को शामिल किया गया है। फिलहाल वनविभाग इस वर्ष वनपरिक्षेत्र के 95 हेक्टेयर रकबे का सर्वेक्षण कर लगभग 40 हजार पेड़ों की कटाई के लिए चिह्नित किया है।
अधिकारियों के अनुसार वर्किंग प्लान योजना के तहत इसे 2027-28 तक पूरा किया जाना है। लेकिन वर्ष 2018-19, 20 और 21 में बजट और कोरोना (Corona) काल के कारण कार्य का शुभारम्भ नहीं होने के कारण यह समय अब आगे बढ़ जाएगा। इसमें एक तरफ पेड़ों की कटाई के साथ दूसरी ओर साल और स्थानीय पौधों को लगाया जाएगा। वनीय रिकार्ड के अनुसार वर्ष 1975 के बाद इस मप्र-छग अमरकंटक वनपरिक्षेत्र रीजन में यूके लिप्टस के पौधों की रोपाई नहीं हुई है।

एएसआई और सर्वे ऑफ इंडिया ने भी माना बाधा
यूके लिप्टस के पेड़ पर्यावरण की दृष्टि से जल सोखने और खुद को हरा-भरा रखने वाले पेड़ माने जाते हैं। इनके जड़ आसपास के जल का अधिक मात्रा में शोषण करते है। नर्मदा सहित आसपास के क्षेत्रों में यूके लिप्ट्स और लेंटाना के पौधे के निकलने वाले तरल अम्ल से आसपास कोई पौधा नहीं पनप पाता है। इससे वनीय क्षेत्र भी प्रभावित होते हैं। जबकि साल के पेड़ बारिश के दौरान जल को अवशोषित कर बाद में बूंद-बूंद स्त्रावित करते हैं। इससे लगातार जल का स्त्राव होने से जलस्तर में वृद्धि होगी। वर्ष 2014-15 के दौरान नर्मदा परिक्रमा के उपरांत एएसआई व ईएसआई देहरादूर और दिल्ली की संस्थाओं द्वारा किए गए सर्वेक्षण में सर्वे ऑफ इंडिया द्वारा जंगलों के विकास में लिप्ट्स और लेंटाना के पौधों को बाधा माना और जड़ से हटाने पर अपनी राय रखी थी। साथ ही पूर्व के स्थानीय पौधों के रोपण का प्रस्ताव रखकर नर्मदा के जलसंरक्षण की बात कही थी। विदित हो कि मैकल के इस क्षेत्र में साल के सर्वाधिक पेड़ थे, जिनकी अत्याधिक कटाई के कारण अब नर्मदा प्रभावित मानी जा रही है।

पर्यावरणविदों ने सीएम के सामने रखा था प्रस्ताव
फरवरी 2021 के दौरान अमरकंटक प्रवास पर पहुंचे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के समक्ष अमरकंटक के साधु-संतों व पर्यावरणविदों ने नर्मदा जलसंरक्षण के लिए प्रस्ताव रखा था। इसमें लिप्ट्स के पेड़ हटाने जाने पर भी अपनी बात रखी थी। जिसपर सीएम द्वारा घोषणा करते हुए यूको लिप्ट्स की कटाई और स्थानीय साल, बांस, आम सहित फलदार व औषधियुक्त पौधों के रोपण के निर्देश दिए थे। वनविभाग फेज-टू-फेज के रूप पेड़ों की कटाई करेगा। वहीं पौधारोपण कर सुरक्षा के लिए फेंसिंग करने की योजना बनाई है। इस कार्य के लिए लगभग 60 लाख का प्रस्ताव भेजा गया है।

मवेशी बनेगी समस्या
बताया जाता है कि विभाग द्वारा किए जाने वाले पौधारोपण में स्थानीय, छत्तीसगढ़ और डिंडौरी जिले से आने वाले मवेशी समस्या बनेंगे। क्योंकि एैरा प्रथा के तहत यहां चरने के लिए आने वाले मवेशी सबसे अधिक वनीय पौधों को ही अपना आहार बनाते हैं। अमरकंटक नगरीय प्रशासक के सहयोग से अधिकांश पौधों को सुरक्षित बचाया जा सकता है।

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