भोपाल न्यूज़ (Bhopal News)

सुनी सुनाई : मंगलवार 8 जून 2021

सौ करोड़ का बंगला!
राजधानी भोपाल में एक ठेकेदार का निर्माणाधीन बंगला चर्चा का विषय बन गया है। शहर की मंहगी लोकेशन पर एक एकड़ में बन रहे इस बंगले की अनुमानित कीमत 100 करोड़ रुपए बताई जा रही है। लगभग 2 साल में यह बंगला बनकर जब तैयार होगा तो यह भोपाल का सबसे मंहगा निजी बंगला होगा। फिलहाल भोपाल में अभी तक सबसे महंगा और बड़ा बंगला शराब व्यापारी का बताया जाता है। इसके बाद एक बड़े बिल्डर ने भी लगभग 50 करोड़ की लागत से आलीशान बंगला बनवाया है। जो ठेेकेदार सौ करोड़ का बंगला बनवा रहा है वह काफी विवादों में भी है। बताया जाता है कि एक मामले में राज्य सरकार इस ठेकेदार को ब्लैक लिस्ट करने की तैयारी में थी, लेकिन इसके ठेकेदार के प्रभाव के चलते इन पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

चमकेगा सिंधिया का सितारा!
मप्र में भाजपा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के सितारे बुलंदी की ओर हैं। खबर है कि भाजपा आलाकमान ने मप्र में ज्योतिरादित्य सिंधिया को सत्ता और संगठन में महत्वपूर्ण भूमिका देने का मन बना लिया है। पार्टी आलाकमान के निर्देश पर ही राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिवप्रकाश ने भोपाल में आकर सिंधिया की संभावनाओं को टटोला और कुछ संकेत भी दिए। इन संकेतों के बाद ही प्रदेश के स्थापित भाजपा नेताओं के मेल मुलाकातों के दौर शुरू हुए। इसी सप्ताह बुधवार को सिंधिया की भोपाल यात्रा को काफी अहम माना जा रहा है। दिल्ली के मुखबिरों की खबर है कि पिछले साल मार्च में भाजपा ने सिंधिया से जिन वायदों के आधार पर मप्र की कमलनाथ सरकार गिराई थी, उन वायदों को अब पूरा किया जाना तय हो गया है। यदि ऐसा हुआ तो कई बड़े भाजपा नेताओं का कद घटेगा और सिंधिया और उनके समर्थकों का बढ़ेगा।

सारे सबूत स्वाहा
पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती के विधायक भतीजे राहुल सिंह लोधी ने टीकमगढ़ में कोरोना काल में दवाईयों की खरीदी में बड़े भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री को पत्र लिखे थे। राहुल सिंह का दावा है कि उनके पास ऐसे सबूत थे कि अधिकारियों के साथ-साथ टीकमगढ़ भाजपा के कुछ प्रभावशाली नेताओं की भी पोल खुलने की संभावना थी। टीकमगढ़ कलेक्टर ने इस मामले की जांच के लिए कमेटी गठित की। जांच शुरू होते ही टीकमगढ़ के मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय में ऐसी आग लगी कि भ्रष्टाचार के सारे सबूत स्वाहा हो गए। अब कई प्रभावशाली लोग विधायक राहुल लोधी पर इस बात का दबाव बना रहे हैं कि वह अपनी शिकायत के संबंध में मौन हो जाएं। टीकमगढ़ की आग की लपटें भोपाल तक पहुंच गईं हैं। देखते हैं कि कोरोना काल में नेताओं के संरक्षण में हुआ यह भ्रष्टाचार कभी उजागर होगा या नहीं?

एक शहर के तीनों नेताओं की मौत
ऐसा कम होता है कि किसी शहर के तीन प्रभावशाली नेताओं की एक के बाद एक मौत हो जाए। विदिशा जिले के सिरोंज विधानसभा क्षेत्र में लोग पिछले 6 महीने में अपने तीन जन नेताओं की मौत से हैरान परेशान हैं और इन मौतों को आसानी से पचा नहीं पा रहे। सबसे पहले सिरोंज के पूर्व विधायक गोवर्धन उपाध्याय की इंदौर के अस्पताल में मौत हुई। उपाध्याय बुजुर्ग और बीमार थे तो उनकी मौत को सहज माना गया। इसके बाद सिरोंज की कांग्रेस नेत्री मसर्रत शाहिद की मौत हो गईं। मशर्रत शाहिद की मौत से शहर उभरा भी नहीं था कि 10 दिन के अंदर सिरोंज के सबसे लोकप्रिय जननेता पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा की मौत की खबर आ गई। इन तीन नेताओं की मौत से सिरोंज के राजनैतिक क्षेत्र मेें शून्य जैसी स्थिति हो गई है। कुछ जानकार इन मौतों का ज्योतिषीय आधार भी पर गुणा भाग लगा रहे हैं।

युवा आईएएस से घबराए कलेक्टर
मप्र के 2014 बैच के युवा और तेजतर्रार आईएएस अधिकारी लोकेश जांगिड़ का बड़वानी से मात्र 40 दिन में तबादला हो गया। खबर है कि लोकेश जांगिड़ की कार्यशैली से बड़वानी कलेक्टर शिवराज सिंह वर्मा हैरान परेशान हो गए थे। जांगिड़ को इसी साल अप्रेल में बड़वानी का एडीएम (एडिशनल कलेक्टर) बनाया गया था। अपनी अलग कार्यशैली के चलते जांगिड़ ने अपने क्षेत्र में मोटर सायकल में घूमना और लोगों की समस्या सुनने के लिए गांव में चौपाल लगाना शुरू कर दिया था। उनकी फाइलों में भी समस्याओं को सुलझाने और आम लोगों की मदद करना दिखाई देने लगा था। जांगिड़ ने अपने बंगले के दरवाजे भी जिले भर के लोगों के लिए खोल दिए थे। मात्र 40 दिन में जांगिड़ की लोकप्रियता ने बड़वानी कलेक्टर को खासा परेशान कर दिया। कलेक्टर ने भोपाल में अपने आकाओं को ऐसी रिपोर्ट भेजी कि जांगिड़ को बड़वानी से हटाकर पुन: राज्य शिक्षा केंद्र भोपाल भेज दिया गया है।

अकेले रह गए अजय सिंह
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के खिलाफ बयान देकर पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह फंस गए है? बयान देने के चार दिन बाद भी प्रदेश के किसी बड़े नेता का साथ अजय सिंह को नहीं मिला है। बताया जाता है कि कुछ माह पहले प्रदेश कांग्रेस के कुछ कद्दावर नेताओं ने कमलनाथ की कार्यशैली के खिलाफ गोपनीय बैठक की थी। इस बैठक में ही तय हुआ था कि कमलनाथ पर पार्टी के अंदर से हमले किए जाएं। कमलनाथ ने जब गोड़से की विचारधारा के ग्वालियर के पूर्व पार्षद को कांग्रेस में शामिल किया तो इन नेताओं ने रणनीति के तहत कमलनाथ पर हमले किए थे। इस मामले में मानक अग्रवाल पार्टी से बाहर हो गए बाकि सभी नेता बच गए। कमलनाथ ने प्रदेश में कांग्रेस की बहुमत की सरकार न बनने के पीछे जब विंध्य क्षेत्र को जिम्मेदार बताया तो रणनीति के तहत अजय सिंह ने कमलनाथ पर जवाबी हमला बोला। इस बार भी अजय सिंह अकेले फंस गए हैं। दूसरे नेताओं ने चुप्पी साध ली है। बताया जाता है कि कुछ नेताओं ने तो कमलनाथ के सामने सरेंडर भी कर दिया है।

और अंत में…
सोशल मीडिया पर इस समय सबसे प्रभावी प्लेटफार्म ट्वीटर को माना जाता है। मप्र में सोशल मीडिया पर धमक के मामले में विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने सत्तारूढ भाजपा को काफी पीछे छोड़ दिया है। ट्वीटर पर इस समय मप्र में सत्तारूढ भाजपा के 7 लाख 73 हजार फॉलोअर हैं, जबकि विपक्षी मप्र कांग्रेस के 9 लाख 4 हजार फॉलोअर हैं। कांग्रेस की ट्वीटर पर प्रभावी उपस्थिति का श्रेय कांग्रेस के आईटी सेल के अध्यक्ष अभय तिवारी को दिया जा रहा है। मजेदार बात यह है कि अभय तिवारी ने अपने ट्वीटर पर स्वयं को कैबिनेट मंत्री का दर्जा बता रखा है। दरअसल, कमलनाथ ने सरकार गिरने से पहले अभय तिवारी को मप्र युवा आयोग का अध्यक्ष बनाकर कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया था। लेकिन शिवराज सरकार आने के बाद यह मामला कोर्ट पहुंच गया है।

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