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    देश-समाज के लिए कार्य करने की प्रेरणा देने वाले साहित्य का हो प्रसार: राज्यपाल पटेल

  • November 18, 2022

    – राज्यपाल ने किया टैगोर अंतरराष्ट्रीय साहित्य एवं कला महोत्सव 2022 का उद्घाटन

    भोपाल। राज्यपाल मंगुभाई पटेल (Governor Mangubhai Patel) ने कहा कि भावी पीढ़ी को देश और समाज के लिए कार्य करने की प्रेरणा (motivation to work for the society) देने वाले साहित्य का प्रसार (dissemination of literature) किया जाना चाहिए। राष्ट्रीय गौरव, आजादी के संघर्ष, अमर वीर-वीरांगनाओं और पर्यावरण चेतना के प्रति सजग बनाने वाले साहित्य का पुस्तकालयों में संकलन किया जाना चाहिए। पाठ्यक्रम की पुस्तकों के साथ ही साहित्य, कला और पर्यावरण आदि विभिन्न विषय पर पुस्तकों की उपलब्धता पुस्तकालयों में होनी चाहिए।


    राज्यपाल पटेल गुरुवार शाम को राजधानी भोपाल के कुशाभाऊ ठाकरे इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर में रविन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय (Rabindranath Tagore University) द्वारा आयोजित टैगोर अंतरराष्ट्रीय साहित्य एवं कला महोत्सव 2022 (International Literature and Art Festival 2022) के उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि कलात्मकता की शक्ति अद्भुत होती है। दिल, दिमाग और आत्म-शक्ति के समन्वय से ही रचना का सृजन होता है। इसके लिए किसी साधन-संसाधन की आवश्यकता नहीं होती है।

    उन्होंने डिण्डोरी जिले की यात्रा के प्रसंग का उल्लेख करते हुए कहा कि वहाँ दोनों हाथों से वंचित बालिका पैरों से अद्भुत चित्र का निर्माण करती है। कलात्मक प्रतिभा और शक्ति व्यक्तित्व को विशिष्ट स्वरूप देती है। सांस्कृतिक आयोजनों से पारंपरिक कलाओं को निरंतरता, मजबूती मिलती और नई पीढ़ी अपनी गौरवशाली सांस्कृतिक धरोहरों से परिचित होती है।

    राज्यपाल पटेल ने कहा कि भारत की भाषाई, भौगोलिक विविधताओं ने सृजन के उदार मिश्रण के रूप में बेहतरीन साहित्य का निर्माण किया है, जिसकी बानगी, अनूठी और अप्रतिम विविधता है। जनजातीय समुदाय में मौखिक परम्पराओं में लोक कला, संस्कृति, जड़ी-बूटी, पारम्परिक उपचार और पर्यावरण अनुकूल जीवन शैली के ज्ञान का अपार भण्डार सुरक्षित है। शिक्षण संस्थाओं, समाज के रचनाकारों और साहित्यकारों का भी दायित्व है कि वे आने वाली पीढ़ी को अपनी कला और संस्कृति की धरोहर से परिचित कराये। उन्होंने आशा व्यक्त की कि विश्वरंग की पहल डिजिटल क्रांति के दौर में भी सांस्कृतिक मूल्यों के संरक्षण के लिए साहित्य, शिक्षा, संस्कृति और भाषा के सृजनकारों के बीच वैश्विक विमर्श का शुभारम्भ करेगी।

    समारोह में राज्यपाल ने हिन्दी के डॉ. नंद किशोर आचार्य, गुजराती के जयंत परमार, मराठी के शरण कुमार लिम्बाले, मलयालम के ए.अनविंदाक्षन, उड़िया की प्रतिभा राय, अंग्रेजी की सुकृता पॉल, संस्कृत के डॉ. राधावल्लभ त्रिपाठी को विश्वरंग अलंकरण सम्मान से सम्मानित किया।

    राज्यपाल पटेल को राजभवन की अधिकारी शिल्पी दिवाकर द्वारा उनकी रचना “प्रेम सेतु की गिलहरी” की प्रथम प्रति भेंट की गयी। विश्वरंग के अवसर पर प्रकाशित विश्व रंग फोल्डर, विश्व में हिन्दी रिपोर्ट, विश्वरंग स्पीकर प्रोफाइल बुकलेट, विश्वरंग पुस्तक यात्रा रिपोर्ट और बाल कविता कोश भेंट किये गए।

    रविन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के कुलाधिपति संतोष चौबे ने स्वागत उद्बोधन में विश्व रंग के आयोजन के संबंध में प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि हिन्दी और भारतीय भाषाओं में परस्पर रिश्ता कायम करने की पहल विश्वरंग का आयोजन है। उन्होंने विश्वरंग के दौरान की जाने वाली गतिविधियों की जानकारी दी।

    विज्ञान प्रौद्योगिकी मंत्री ओमप्रकाश सखलेचा ने कहा कि दुनिया में समस्त विज्ञान का स्रोत भारत का प्राचीन विज्ञान है। जिसका अलग-अलग रूपों में आज विकास हो रहा है। विश्वरंग के सह-निदेशक डॉ. सिद्धार्थ चतुर्वेदी ने आयोजन की रूपरेखा की जानकारी दी। सह-निदेशक डॉ. पल्लवी राव चतुर्वेदी ने चिल्ड्रन लिटरेचर फेस्टिवल कार्यक्रम के बारे में बताया। (एजेंसी, हि.स.)

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