इंदौर न्यूज़ (Indore News)

6 माह बाद इंदौर में ही लंग्स ट्रांसप्लांट

  • तैयारियों में जुटा मेडिकल कॉलेज…

इंदौर। प्रदीप मिश्रा। जरूरतमंद मरीजों (Patients) को फेफड़े (Lungs) बदलवाने, यानी लंग्स ट्रांसप्लांटेशन (Lungs Transplantation) के लिए दूसरे शहरों के अस्पतालों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। अगले 6 माह में इंदौर में ही लंग्स ट्रांसप्लांटेशन (Lungs Transplantation) हो सकेंगे। इसके लिए मेडिकल कॉलेज डीन (Medical College Dean) व ऑर्गन सोसायटी इंदौर (Argon Society Indore) ने प्रयास शुरू कर दिए हैं। अभी तक यह सुविधा देश के बड़े महानगरों के अस्पतालों में ही है।
लंग्स ट्रांसप्लांटेशन (Lungs Transplantation), यानी फेफड़ों (Lungs) के प्रत्यारोपण के मामले में अब इंदौर को आत्मनिर्भर बनाने की तैयारियां शुरू हो गई हैं। महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज (Mahatma Gandhi Medical College) के डीन डॉक्टर संजय दीक्षित (Dean Dr Sanjay Dixit) का कहना है कि ब्रेनडेड मरीजों के परिजनों की सहमति से जो लंग्स, यानी फेफड़े (Lungs) अंगदान में मिलते हैं, उनका ट्रांसप्लांटेशन इंदौर में नहीं हो पाता है। इसलिए उनकी प्राथमिकता है कि आने वाले 6 महीनों में जरूरतमंद मरीजों को यह सुविधा इंदौर में ही मिलने लगे।

कोरोना के कारण फेफड़े खराब होने से कई की मौत
कोविड -19 के शिकार कई मरीजों के फेफड़ों में ज्यादा इंफेक्शन हो जाने की वजह से मौत हो चुकी है। यदि वक्त रहते इन्हें कोरोनामुक्त ब्रेनडेड मरीजों के फेफड़े (Lungs) अंगदान के माध्यम से मिल जाते तो ट्रांसप्लांट के जरिए उन्हें बचाया जा सकता था। कोरोना मरीज के लंग्स ट्रांसप्लांटेशन (Lungs Transplantation) की शुरुआत चेन्नई शहर से हो चुकी है। फेफड़े सिर्फ कोविड की वजह से ही नहीं, अन्य कई इंफेक्शन व कारणों से भी खराब हो जाते हैं।


कोविड मरीज का देश में पहली बार हुआ लंग्स ट्रांसप्लांट
चेन्नई के मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल एमजीएम हेल्थकेयर में डॉक्टरों ने देश में पहली बार एक कोविड-19 के मरीज के लंग्स (lungs) का प्रत्यारोपण किया। उसे लंग्स एक ब्रेनडेड मरीज से मिला था। अस्पताल प्रबंधन के अनुसार कोरोना वायरस संबंधी फाइब्रोसिस से 48 वर्षीय व्यक्ति के फेफड़े बुरी तरह प्रभावित हुए थे और जैसे ही उनकी ऑक्सीजन की आपूर्ति में कमी आई अस्पताल ने उन्हें वेंटिलेटर पर रख दिया और बाद में ईसीएमओ पर रखा गया। उन्हें 20 जुलाई को चेन्नई लाया गया था। इसके बाद सफल लंग्स ट्रांसप्लांटेशन किया गया।

20 हजार किडनी, 80 हजार लिवर और 50 हजार दिल चाहिए हर साल
डब्लूएचओ (WHO) की रिपोर्ट के मुताबिक सडक़ दुर्घटनाओं के चलते भारत में 2,00,000 से अधिक मौतें होती हैं, जिनमें 40 से 50 प्रतिशत मामलों में मौत सिर की चोट की वजह से होती है। नेशनल ऑर्गन ऑर्गनाइजेशन का अनुमान है कि हर साल लगभग 20,000 किडनी, 80,000 लिवर, 50,000 दिल और 1,00,000 कॉर्निया आवश्यक हैं। इसके अलावा हजारों फेफड़ों के प्रत्यारोपण, यानी लंग्स ट्रांसप्लांटेशन की जरूरत है। इस पर जोर देने की जरूरत है कि अगर 10 प्रतिशत भी सडक़ यातायात दुर्घटना में मृतक के परिजन अंगदाता बन जाते हैं तो कई मरीजों को नया जीवन मिल सकता है।

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