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इस दिन मनाई जाएगी महावीर जयंती, पढ़े कौन थे भगवान महावीर


भगवान महावीर जैन धर्म के 24 वें तीर्थंकर थे। हर साल चैत्र माह के शुक्ल पक्ष को बड़ी धूमधाम से महावीर जयंती मनाई जाती है। महावीर जयंती (Mahavir Jayanti) इस बार 25 अप्रैल रविवार के दिन पड़ रही है। भगवान महावीर (Lord Mahavira) जैन धर्म के 24 वें तीर्थंकर थे। जैन धर्म की प्राचीन मान्यताओं (Ancient beliefs) के अनुसार, भगवान महावीर ने 12 सालों तक कठोर तप किया था जिससे उन्हें इन्द्रियों पर विजय प्राप्त हुई थी। दीक्षा लेने के बाद भगवान महावीर ने दिगंबर स्वीकार कर लिया। दिगंबर लोग आकाश को ही अपना वस्त्र मानते हैं इसलिए वस्त्र धारण नहीं करते हैं। महावीर का जन्म ईसा से 599 साल पहले बिहार के कुंडग्राम में हुआ था। उन्होंने समाज कल्याण के लिए काफी काम किया। जनमानस के सुधार के लिए उन्होंने कई प्रवचन दिए और प्रेरणा देने वाली बातें कहीं। महावीर जयंती (Mahavir Jayanti) के दिन जैन लोग शोभा यात्राएं निकालते हैं, मंदिरों में झांकियां सजाते हैं।



कौन थे भगवान महावीर:
जैन ग्रन्थों के अनुसार भगवान महावीर ने दुनिया को सत्य, अहिंसा (non violence) का पाठ पढ़ाया। तीर्थंकर महावीर स्वामी ने अहिंसा (non violence) को सबसे उच्चतम नैतिक गुण बताया। उन्होंने दुनिया को जैन धर्म (Jainism) के पंचशील सिद्धांत बताए, जो है– अहिंसा, सत्य, अपरिग्रह, अचौर्य (अस्तेय) और ब्रह्मचर्य। उन्होंने अनेकांतवाद, स्यादवाद और अपरिग्रह जैसे अद्भुत सिद्धान्त दिए। महावीर के सर्वोदयी तीर्थों में क्षेत्र, काल, समय या जाति की सीमाएं नहीं थीं। भगवान महावीर का आत्म धर्म जगत की प्रत्येक आत्मा के लिए समान था। दुनिया की सभी आत्मा एक-सी हैं इसलिए हम दूसरों के प्रति वही विचार एवं व्यवहार रखें जो हमें स्वयं को पसन्द हो। यही महावीर का ‘जियो और जीने दो’ का सिद्धान्त है। भगवान महावीर के कुछ विचार इस तरह हैं।

-भगवान महावीर ने कहा कि हर व्यक्ति अपने स्वयं के दोष की वजह से दुखी होते हैं और वे खुद अपनी गलती सुधार कर प्रसन्न हो सकते हैं।

-भगवान महावीर (Lord Mahavira) ने कहा कि स्वयं से लड़ो , बाहरी दुश्मन से क्या लड़ना ? वह जो स्वयम पर विजय कर लेगा उसे आनंद की प्राप्ति होगी।

-भगवान महावीर ने कहा कि पृथ्वी पर हर जीव स्वतंत्र है। कोई किसी पर भी आश्रित नहीं है।

-भगवान महावीर ने कहा कि प्रत्येक आत्मा स्वयं में सर्वज्ञ और आनंदमय है। आनंद बाहर से नहीं आता।

-भगवान महावीर ने कहा कि आपकी आत्मा से परे कोई भी शत्रु नहीं है। असली शत्रु आपके भीतर रहते हैं , वो शत्रु हैं क्रोध , घमंड , लालच ,आसक्ति और नफरत।

नोट– उपरोक्त दी गई जानकारी व सूचना सामान्य उद्देश्य के लिए दी गई है। हम इसकी सत्यता की जांच का दावा नही करतें हैं यह जानकारी विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, धर्मग्रंथों, पंचाग आदि से ली गई है । इस उपयोग करने वाले की स्वयं की जिम्मेंदारी होगी ।

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