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कर्नल समेत अधिकारियों की पदोन्नति नीति में बड़े बदलाव, 2024 में एक जनवरी प्रभावी होंगे नियम

नई दिल्ली। भारतीय सेना (Indian Army) एक व्यापक पदोन्नति नीति (comprehensive promotion policy) ला रही है। अगले साल के पहले दिना यानी, एक जनवरी, 2024 से बदलाव लागू हो जाएंगे। नई पदोन्नति नीति में कर्नल और उससे ऊपर के रैंक के सैन्य अधिकारियों के चयन के लिए पदोन्नति नीति की व्यापक समीक्षा (comprehensive review) को अंतिम रूप दिया गया है। सेना की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि सुरक्षाबलों की लगातार बदल रही परिचालन जरूरतों को ध्यान में रखते हुए प्रमोशन की नई नीति तैयार की गई है।

अधिकारियों को पदोन्नति के बढ़े हुए अवसर मिलेंगे
सेना की नई नीति में सेना के आंतरिक और बाह्य दोनों पहलुओं का ध्यान रखा गया है। पदोन्नति नीति के बारे में भारतीय सेना के अधिकारी ने बताया कि वर्तमान हालात के साथ-साथ उभरती परिचालन चुनौतियों का सामना करने के लिए जैसा नेतृत्व जरूरी है, उन आवश्यकताओं को बेहतर तरीके से समझने और उसके अनुसार पदोन्नति के फैसले लेने में मदद मिलेगी। भारतीय सेना के बयान के मुताबिक पदोन्नति के संबंध में बनाई गई नई व्यापक नीति अधिकारियों को पदोन्नति के बढ़े हुए अवसर प्रदान करती है।

सीनियर सैन्य अधिकारियों को भी मिलेगा लाभ
एक जनवरी, 2024 से नई नीति के लागू होने के बाद भारतीय सेना में मेजर जनरल रैंक के अधिकारियों को आगे और भी पदोन्नति के अवसर मिलेंगे। इस रैंक से ऊपर सेवा दे रहे अधिकारियों को भी नई पदोन्नति नीति का लाभ मिलेगा। सेना ने कहा, नई नीति से वरिष्ठ नेतृत्व की आकांक्षाओं को भी पूरा करने में मदद मिलेगी।

सैनिकों की कैडर से जुड़ी उम्मीदें भी पूरी होंगी
ऐसे अधिकारी जिनका स्टाफ के रूप में अनुमोदन हुआ है, उन्हें केवल स्टाफ के अगले रैंक पर ही पदोन्नति मिलेगी। भारतीय सेना के अधिकारी ने बताया कि नई नीति से योग्यता तंत्र को मजबूत बनाने में मदद मिलेगी। इसके तहत अधिकारियों की कैडर से जुड़ी उम्मीदों को पूरा करने में भी मदद मिलेगी। नई पदोन्नति नीति के प्रभावी होने के बाद सेना की सभी यूनिट्स में सेवा दे रहे जवानों और अधिकारियों को समान अवसर और संतुष्टि मिलेगी।


सभी सेलेक्शन बोर्ड में एक समान नीति होगी
गौरतलब है कि वर्तमान में भारतीय सेना के मानव संसाधन का प्रबंधन विभिन्न नीतियों और प्रावधानों के तहत किया जाता है। इसके तहत अलग-अलग चयन बोर्ड काम कर रहे हैं। सेलेक्शन बोर्ड बदलने पर नीतियों में भी बदलाव होता था। सैन्य अधिकारियों के अनुसार, नीति में एकरूपता नहीं होने के कारण फैसले लेने में अड़चन आती थी। नई नीति लागू होने के बाद भारतीय सेना में सेवारत अधिकारियों और सभी चयन बोर्ड में एक समान नीतियों को लागू किया जा सकेगा।

अब 5जी-6जी का जमाना, सेना दूरसंचार की अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करेगी
बुधवार को एक अन्य बड़े फैसले में सेना ने बताया कि चुनौतियों का बेहतर मुकाबला करने के दृष्टिकोण से सेना सैन्य-ग्रेड वाले 5G और 6G एप विकसित कर रही है। उभरती प्रौद्योगिकियों के बेहतर इस्तेमाल पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। सेना के सूत्रों ने कहा, भविष्य में युद्ध की आशंका और उसके लिहाज से सैनिकों की जरूरतों को पूरा करने के लिए उन्नत दूरसंचार तकनीक पर काम किया जा रहा है। समग्र दक्षता बढ़ाने के लिए महत्वाकांक्षी परियोजना के तहत सैन्य-ग्रेड 5जी और 6जी दूरसंचार एप विकसित करने के साथ-साथ सैन्य-ग्रेड सॉफ्टवेयर भी विकसित किए जा रहे हैं।

मध्य प्रदेश के कॉलेज में परीक्षण का फैसला
सेना जिन तकनीकों पर काम कर रही है इसका मकसद खुफिया और परिचालन प्रभाव बढ़ाना है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से लैस उपकरण और पूर्वानुमान के आधार पर विश्लेषण के टूल विकसित करने के प्रयास भी जारी हैं। सेना के सूत्रों ने बताया कि अत्याधुनिक सॉफ्टवेयर और दूरसंचार प्रौद्योगिकी को इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) के सहयोग से विकसित किए जा रहे हैं। बता दें कि इस मंत्रालय का प्रभार केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव के पास है। एक सूत्र ने कहा, भारतीय सेना ने 5जी प्रयोगशालाएं स्थापित की हैं। मध्य प्रदेश में मिलिट्री कॉलेज ऑफ टेलीकम्युनिकेशन इंजीनियरिंग में 6जी परीक्षण किया जाएगा।

उपग्रह की तस्वीरों का विश्लेषण; डिजिटल और साइबर सुरक्षा पर भी नजरें
सूत्रों ने कहा कि मध्य प्रदेश के मिलिट्री कॉलेज ऑफ टेलीकम्युनिकेशन इंजीनियरिंग को एआई अनुसंधान और विकास के हब के रूप में विकसित किया गया है। उन्होंने कहा कि सेना के लिए हालात के प्रति जागरूकता पैदा करने वाला मॉड्यूल (Situational Awareness Module for Army or SAMA) जैसे नवाचार इसी केंद्र की देन हैं। उपग्रह से ली गई तस्वीरों का अध्ययन करने के लिए भी इमेजरी विश्लेषण नवाचार पर काम हो रहा है। इसके लिए उन्नत पैटर्न पहचान सॉफ्टवेयर विकसित किए जा चुके हैं। सूत्रों ने बताया कि डिजिटल और साइबर सुरक्षा क्षेत्रों में नवीनतम प्रगति को देखते हुए सैनिकों को कुशल बनाने के उद्देश्य से लगातार पहल की जा रही है।

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