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कांग्रेस के साथ चलना ममता की मजबूरी, पश्चिम बंगाल में भाजपा को रोकने नरम पड़ी तृणमूल

कोलकाता (Kolkata) । वर्ष 2024 के चुनाव (Election) में एकजुटता के लिए पटना (Patna) में हुए महाजुटान से कांग्रेस (Congress) उत्साहित है। पार्टी को उम्मीद है कि समान विचारधारा वाली पार्टियां आपसी गठबंधन और तालमेल के साथ चुनाव में उतरेंगी। पश्चिम बंगाल (West Bengal) में रणनीति को लेकर कांग्रेस बहुत स्पष्ट नहीं है, पर वह फिलहाल तृणमूल कांग्रेस (Trinamool Congress) के साथ सीधे टकराव से बचेगी।

पश्चिम बंगाल में कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के रिश्ते बहुत अच्छे नहीं रहे हैं। पटना बैठक में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के रुख को लेकर खुद कांग्रेस हैरान है। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक, बैठक में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का रुख बेहद सकारात्मक था। इससे पार्टी को पश्चिम बंगाल में नए राजनीतिक समीकरणों की उम्मीद जगी है।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी, ममता बनर्जी के धुर विरोधी हैं। वह ममता को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ते हैं। इसलिए संभावित संगठन फेरबदल में अधीर रंजन चौधरी की जगह किसी और नेता को प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया जा सकता है। इस माह के अंत तक नई टीम का ऐलान कर दिया जाएगा।

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के रुख में नरमी को पश्चिम बंगाल में भाजपा के आक्रामक रुख से जोड़कर देखा जा रहा है। भाजपा भी पुराने प्रदर्शन को दोहराने की कोशिश कर रही है। ऐसे में तृणमूल कांग्रेस को लगता है कि लोकसभा में भाजपा को नहीं रोका गया, तो वर्ष 2026 में होने वाले विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।


पश्चिम बंगाल में कांग्रेस और लेफ्ट लोकसभा चुनाव के लिए गठबंधन लगभग तय है। ममता की पूरी राजनीति लेफ्ट विरोध पर टिकी है। ऐसे में तीनों पार्टियों का साथ आना मुश्किल है। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक, चुनाव गठबंधन को लेकर अभी कोई चर्चा नहीं हुई है, पर कांग्रेस ने अपने सभी विकल्प खुले रखे हैं।

पार्टी रणनीतिकार मानते हैं कि पश्चिम बंगाल में सीधे गठबंधन के साथ फ्रेंडली फाइट का विकल्प भी खुला है। यह भी हो सकता है कि आपसी तालमेल के आधार पर तृणमूल कुछ सीट पर अपने उम्मीदवार घोषित नहीं करे। इन सीट पर कांग्रेस और लेफ्ट चुनाव लड़े। ऐसे में शिमला बैठक के बाद स्थिति कुछ साफ हो पाएगी। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के रुख में यह बदलाव अचानक नहीं आया है।

तृणमूल कांग्रेस की दूसरे प्रदेशों में विस्तार करने में विफल रही है। टीएमसी से राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा भी छिन गया है। वहीं, भारत जोड़ो यात्रा के बाद कांग्रेस की मजबूत होती जमीन और हिमाचल प्रदेश व कर्नाटक में जीत ने ममता को कांग्रेस के प्रति रुख बदलने पर मजबूर किया है।

गांधी परिवार से रिश्ते
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस के बीच भले ही रिश्ते बनते-बिगड़ते रहे हों, पर ममता के कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ रिश्ते हमेशा अच्छे रहे हैं। वर्ष 2021 में चुनाव जीतने के बाद ममता बनर्जी ने दस जनपथ पर सोनिया गांधी से मुलाकात की थी। इस मुलाकात में राहुल गांधी भी मौजूद थे।

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